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UP में अब दुकान-मकान-जमीन खरीदने से पहले DM के यहां आवेदन करना जरूरी, कैबिनेट ने दी प्रस्ताव को मंजूरी

Janjwar Desk
14 Jun 2021 3:28 PM GMT
UP में अब दुकान-मकान-जमीन खरीदने से पहले DM के यहां आवेदन करना जरूरी, कैबिनेट ने दी प्रस्ताव को मंजूरी
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(स्टाम्प व रजिस्ट्री मंत्री ने कहा- अब कोई भी व्यक्ति प्रदेश में कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा।)

स्टांप मंत्री ने बताया कि अभी तक जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति भूमि, भवन खरीदना चाहता था तो उस भू-सम्पत्ति का मूल्य कितना है इस पर संशय बना रहता है और खरीददार प्रापर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करता था ....

जनज्वार डेस्क। उत्तर प्रदेश कैबिनेट की ओर से सोमवार को स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग की ओर से लाए गए उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई जिसके तहत प्रदेश में अब जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि भू-सम्पत्तियों की कीमत और ऐसी सम्पत्ति की खरीद फरोख्त में रजिस्ट्री करवाने के लिए लगने वाले स्टाम्प शुल्क को जिलाधिकारी तय करवाएंगे।

प्रदेश के स्टाम्प व रजिस्ट्री मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब प्रदेश में भू-सम्पत्तियों की कीमत तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे और इस मुद्दे पर होने वाले मुकदमों की संख्या घटेगी।

उन्होंने कहा कि अब कोई भी व्यक्ति प्रदेश में कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा और साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। उसके बाद डीएम लेखपाल से उस भू-सम्पत्ति की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा कीमत का मूल्यांकन करवाएंगे। उसके बाद उस सम्पत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का भी लिखित निर्धारण होगा।

स्टांप मंत्री ने बताया कि अभी तक जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति भूमि, भवन खरीदना चाहता था तो उस भू-सम्पत्ति का मूल्य कितना है इस पर संशय बना रहता है और खरीददार प्रापर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करता था और उसमें मौखिक तौर पर उस भवन या भूमि की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क लगता था।

बाद में विवाद की स्थिति पैदा होती थी कि उक्त भू-संपत्ति की कीमत इतनी नहीं बल्कि इतनी होनी चाहिए थी, इस लिहाज से इसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क कम वसूला गया। प्रदेश के स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही थी जिस पर अब अंकुश लगेगा।

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