पैसेंजर ट्रेनों का न्यूनतम किराया 8 से बढ़कर हुआ 30 रुपये, कोरोना का कहर खत्म होने पर भी नहीं मिली राहत
पैसेंजर ट्रेनों का न्यूनतम किराया 8 से बढ़कर हुआ 30 रुपये, कोरोना का कहर खत्म होने पर भी नहीं मिली राहत
जनज्वार। कुछ लोग कहते हैं नाम में क्या रखा है,पर हमारी सरकार के लिए नाम में ही सब कुछ रखा है। शहरों के बदलते नाम पर हम यहां चर्चा नहीं करेंगे,हम बात कर रहे हैं भारतीय रेल की। आपके इलाके में चलनेवाली अधिकांश पैसेंजर ट्रेन अब एक्सप्रेस हो गई है। ट्रेन का इंजन से लेकर कोच तक वही है व उनका ठहराव भी उतना ही होता है। यहीं तक नहीं उसके चाल में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। अगर बदला है तो सिर्फ नाम। पैसेंजर ट्रेनों को स्पेशल एक्सप्रेस के नाम से चलाया जा रहा है। जिसका नतीजा है कि सबसे कम किराया जो दस रूपये था अब यात्रियों को तीस रूपये चुकता करना पड़ रहा है।
यह सब हुआ कोरोना के आड़ में। सरकार व रेल के अफसरों ने यह दलिल दी की किराया अधिक रहेगा तो लोग सफर कम करेंगे। लिहाजा संक्रमण का खतरा भी कम रहेगा। कोरोना का कहर भले ही कम हो गया पर यात्रियों पर सरकार के तरफ से बढ़ाई गई महंगाई की कहर कम नहीं हुई। कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री हैं रंजिता रंजन। यह राज्यसभा सदस्य के साथ ही अपनी पार्टी की जम्मु कश्मीर व लददाख की चुनाव प्रभारी हैं। वे ट्वीट कर कहती हैं कि रेलवे ने न्यूनतम किराया आठ रूपये से बढ़ाकर 30 रूपये किया। सब कुछ मोदी जी ने अपने मित्रों के लिए किया सस्ता व गरीबों के लिए महंगा। इनके इस कॉमेंट पर लोगों ने जमकर ट्वीट किया है। जिसमें सरकार के कदमों की जहां आलोचना हो रही है तो वहीं कुछ ने इसे मजबूरी भी बताया है।
भारतीय रेल को कोई लाइफ लाइन कहता है,तो किसी के शब्दों में पूरब से पश्चिम तक तथा उत्तर से दक्षिण तक के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का अनोखा माध्यम। रेल के साथ यात्रियों के रिश्तों का सुखद इतिहास है, पर वर्तमान लोगों को निराश करनेवाला है। यह निराशा है रोजाना देशभर में ढाई करोड़ यात्रियों के लिए, जो किसी न किसी ट्रेन से यात्रा करते हैं। हाल यह है कि कोरोना के आड़ में यात्रियों पर बढ़े अतिरिक्त बोझ से अब तक राहत नहीं मिली। रेलवे के यात्रियों के जेब में डांका डालने की हकीकत इस कदर है कि अब सफर मे तीन गुना अधिक किराया चुकता करना पड़ रहा है।
कोविड19 को देखते हुए स्पेशल ट्रेनों में तब्दील की गईं रेगुलर मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें फिर से रेगुलर हो रही हैं। देश में कोरोनावायरस की स्थिति नियंत्रण में देखते हुए रेलवे ने मेल व एक्सप्रेस स्पेशल और हॉलिडे स्पेशल ट्रेनों की सेवा फिर से शुरू कर दी है। रेल मंत्रालय की ओर से जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक 1700 से अधिक ट्रेनें, रेगुलर ट्रेनों के तौर पर चालू हो गई हैं। पहले रेलवे 1744 ट्रेनों को स्पेशल ट्रेनों के तौर पर संचालित कर रही थी। स्पेशल ट्रेनों के नंबर में सबसे आगे शून्य रहता है।
अब हाल यह है कि कोरोना काल में सरकार ने अनावश्यक यात्राओं में कमी लाने का हवाला देते हुए किराये में बढ़ोतरी की थी। सामान्य ट्रेनों को स्पेशल बनाकर एकाएक किराये में इजाफा कर दिया गया और पिछले दो सालों से स्पेशल का ही किराया भी वसूल भी किया जा रहा है। अब स्पेशल ट्रेनों में 35 किमी की दूरी के लिए भी 100 किमी का किराया देना पड़ रहा है। अगर आपको 250 किमी जाना है तो आपसे फेयर लिस्ट के हिसाब से 300 किलोमीटर का किराया लिया जाएगा, जबकि रेगुलर ट्रेनों में ऐसा नहीं होता था। लोकल व पैसेंजर ट्रेनों की बात करें तो इसमें 200 फीसद तक बढ़ोतरी की गई है।पहले लोकल ट्रेन में 45 किलोमीटर का सफर करने पर 10 रूपये किराया लगता था, अब इसे बढ़ाकर 30 रूपये कर दिया गया है। 45 से 65 किलोमीटर तक की दूरी का सफर करने के लिए पहले 15 रूपये का टिकट कटाना पड़ता था। अब ऐसे यात्रियों को 30 से 35 रूपये तक टिकट कटाना पड़ रहा है। यह इसलिए हुआ है कि एक्सप्रेस में 50 किलोमीटर के लिए 30 रूपये किराया लगता है।
देश की राजधानी की बात करें तो पहले साहिबाबाद से आनंद बिहार का किराया 10 रूपये लगता था,जो अब 30 रूपये देना पड़ रहा है। इतनी दूरी तक आटो रिक्शा से जाएं तो 10 रूपये लगता है। नई दिल्ली से पुरानी दिल्ली या नई दिल्ली से हजरत निजामुद्दीन तक का किराया अब 10 रूपये की जगह 30 रूपये लग रहा है। इसी तरह अमृतसर से पठानकोट तक का किराया पहले 25 रूपये था, जो अब 55 रूपये लग रहा है। जालंधर से फिरोजपुर तक डीएमयू का किराया 30 रूपये से बढ़कर 60 रूपये हो गया है।
राष्ट्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य सतीश मिश्र उर्फ बाबा कहते हैं कि कोरोना काल में सरकार को किराये में बढ़ोतरी करनी पड़ी थी। अब स्थिति सामान्य हो जाने के बाद पुनः विचार करना चाहिए। पैसेंजर ट्रेनों का स्पेशल के नाम पर तीन गुना बढ़ोतरी वापस लेना चाहिए। रेलवे के डीसीआई देवरिया राजाराम कहते हैं कि गोरखपुर-छपरा व वाराणसी रेलखंड पर अभी भी कई पैसेंजर ट्रेन स्पेशल एक्सप्रेस के नाम पर चल रही है। जिसका न्यूनतम किराया तीस रूपये है। इसमें किसी भी तरह के बदलाव का निर्णय उच्चाधिकारियों के तरफ से लिया जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम नारायण द्विवेदी के मुताबिक कुछ पैसेंजर ट्रेनों को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी ट्रेनें स्पेशल के नाम पर एक्सप्रेस के रूप में चलाया जा रहा है। हालांकि उन ट्रेनों का ठहराव व स्पीड पूर्ववत ही है। ऐसे में यात्रियों को अधिक जेब ढीली करनी पड़ रही है।