पेगासस जासूसी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
जनज्वार। पेगासस जासूसी प्रकरण का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच के लिए जनहित याचिकाओं पर केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस जारी किया है। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने बार-बार कहा कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए फोन इंटरसेप्ट करने के लिए किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया। इसका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया जा सकता।
सीजेआई जस्टिस एनवी रमना के नेतृत्व में तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि वह मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की समति बनाने के केंद्र के प्रस्ताव की जांच करेगी। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को दस दिनों में याचिकाओं पर जवाब देने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत अब दो सप्ताह बाद इस मामले पर सुनवाई करेगी।
केंद्र सरकार की ओर पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में तर्क दिया कि सुरक्षा व सैन्य एजेंसियों द्वारा राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार यह सार्वजनिक नहीं करेगी कि वह किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है ताकि आतंकी नेटवर्क अपने सिस्टम को मॉडिफाई कर सकें और ट्रैकिंग से बच सकें।
सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार निगरानी के बारे में सभी तथ्यों को एक विशेषज्ञ तकनीकी समिति के समक्ष रखने के लिए तैयार है जो अदालत को एक रिपोर्ट दे सकती है।
तुषार मेहता ने कहा, 'वह यह नहीं कह रहे हैं सरकार की समक्ष खुलासा नहीं करेगा लेकिन वह सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा नहीं कर सकते।'
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अन्य ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि सरकार, राज्य की सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी दें। अगर पेगासस को एक तकनीक के रूप में इस्तेमाल किया गया तो उन्हें जवाब देना होगा।' पीठ ने कहा, 'हम चर्चा करेंगे कि क्या करने की जरूरत है। हम गौर करेंगे कि अगर विशेषज्ञों की समिति या कोई अन्य समिति बनाने की जरूरत है।'