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विकास के नाम पर लक्षद्वीप के लोगों को परेशान न करें मोदी, पूर्व नौकरशाहों ने लिखा पीएम को पत्र

Janjwar Desk
7 Jun 2021 1:28 PM GMT
विकास के नाम पर लक्षद्वीप के लोगों को परेशान न करें मोदी, पूर्व नौकरशाहों ने लिखा पीएम को पत्र
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(पांच दिसंबर 2020 को लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल को प्रशासन ने नियुक्त किया गया था।)

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि नए प्रावधानों में न केवल लक्षद्वीप के भूगोल और सामुदायिक जीवन की अनदेखी की, बल्कि इस प्रस्ताव से प्रशासक को संपत्तियों के मालिकाना हक बदलने की कोशिश हो रही है....

जनज्वार ब्यूरो/दिल्ली। लक्षद्वीप के मुद्दे को लेकर सेवानिवृत्त 93 नौकरशाहों ने लक्षद्वीप के मुद्दे पर पीएम मोदी को खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में , केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में "विकास के नाम पर" परेशान करने वाले घटनाक्रमों पर चिंता व्यक्त की। अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर लक्षद्वीप में भूमि और विकास के मसौदे के नियमों पर चिंता व्यक्त की है।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व पर्यावरण एवं वन सचिव मीना गुप्ता, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह और पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह शामिल हैं।

पूर्व नौकरशाहों ने कहा, "हम अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के पूर्व सिविल सेवकों का एक समूह हैं, हमने अपने करियर में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ काम किया है। हमारा किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है, लेकिन भारत के संविधान के प्रति हमारी निष्पक्षता, तटस्थता और प्रतिबद्धता है।

पत्र में कहा गया है कि हम केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) लक्षद्वीप में 'विकास' के नाम पर हो रहे परेशान करने वाले घटनाक्रमों पर अपनी गहरी चिंता दर्ज करने के लिए आपको लिखते हैं।

अपने पत्र में उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप के प्रशासक पीके पटेल ने प्रस्तावों का जो मसौदा तैयार किया इसमें स्थानीय लोगों से सलाह नहीं ली। यह एक तरफा मसौदा केंद्र में पास कराने के लिए भेज दिया गया है। प्रस्ताव के तहत जो बदलाव हो रहे है, इससे द्वीप और द्वीप वासियों हितों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। यह मुस्लिम आबादी का सांस्कृतिक विविधताओं से भरा क्षेत्र है। लक्षद्वीप के 36 द्वीप समूह में विकास के नाम पर जो हो रहा है, वह परेशान करने वाला घटनाक्रम है।

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि नए प्रावधानों में न केवल लक्षद्वीप के भूगोल और सामुदायिक जीवन की अनदेखी की, बल्कि इस प्रस्ताव से प्रशासक को संपत्तियों के मालिकाना हक बदलने की कोशिश हो रही है। ऐसा लगता है कि यहां के लोगों को अपनी जमीन से बेदखल करने की कोशिश है। यहां अपराध की घटनाएं शेष भारत से कम है, इसके बाद भी यहां एक साल तक बिना कारण बताए गिरफ्तार करने का प्रावधान किया जा रहा है।

यहां की 96 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। फिर भी यहां बीफ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। फरवरी 2021 को जारी नोटिफिकेशन में बीफ पर बैन लगा दिया।

इस वजह से गाय वंश की हत्या पर प्रभावी रोक लग जाएगी। यहां मवेशियों के मांस खाने, भंडारण, परिवहन और बिक्री पर रोक लगेगी। उत्तर पूर्व के कई राज्यों यहां तक की केरल में भी इस तरह की रोक नहीं है। जबकि यहां के लोगों का मुख्य भोजन बीफ है। दो बच्चों से ज्यादा वालों के लिए पंचायत चुनाव लड़ने पर लगाई गई पाबंदी गलत है। मांसाहारी भोजन को मिड-डे स्कूल भोजन से मनमाने ढंग से हटा दिया गया है।

यहां जो विकास का मॉडल बनाया जा रहा है, वह भी तर्क संगत नहीं है। क्योंकि यहां इंसानों की ज्यादा गतिविधियां से यहां नए खतरे पैदा हो सकते हैं। जो द्वीप के लिए किसी भी मायने में सही नहीं ठहराए जा सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्री स्तर से द्वीपों की रक्षा करने वाले प्रवाल एटोल के लिए भी खतरा पैदा होगा। कवरत्ती जैसे कुछ द्वीपों के आस पास प्रवाल भित्तियां की पुनर्जन्म की शक्ति को घटा रही है। इससे उनका अस्तित्व खत्म हो सकता है।

इन खतरों के बावजूद भी प्रशासक मालदीव की तरह इस द्वीप को भी विकसित करना चाहते हैं। यह सही नहीं है। क्योंकि हर द्वीप की परिस्थितियां अलग अलग है। मालदीव मॉडल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होटल, रेस्टोरेंट, समुद्र तट पर पर्यटन गतिविधियां विकसित करना है। जो कम से कम इस द्वीप के लिए ठीक नहीं है।

पांच दिसंबर 2020 को लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल को प्रशासन ने नियुक्त किया गया था। लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश है, यहां विधानसभा नहीं होती। यह राष्ट्रपति के अधीन होता है, उनकी ओर नियुक्त प्रशासक राष्ट्रपति के नाम पर यहां कमान संभालते हैं।

पटेल ने यहां आते ही आते ही विकास के नाम पर कई तरह की मनमानी करनी शुरू कर दी। इस वजह से यहां की संस्कृति, रहने खाने के तरीके, प्रभावित हो रहे हैं। यहां के लोगों में डर फैलाया जा रहा है। उन्हें बेवजह तंग किया जा रहा है।

पटेल से पहले यहां मछली पकड़ने वाले पहले समुद्र के किनारे बने शेड में अपनी नाव खड़ी करते थे। अब ऐसा करने पर रोक लगा दी गई है। समुद्र के किनारे बने शेड तोड़ दिए गए। अब मछली पकड़ने वालों को अपनी नाव समुद्र में छोड़नी पड़ रही है। जिससे नुकसान का अंदेशा बना रहता है।

यहां के लोगों में एक डर है कि उन्हें धीरे धीरे सार्वजनिक संपत्ति से बेदखल किया जा रहा है। उनकी जमीन भी आने वाले दिनों में छीनी जा सकती है। 28 मार्च 2021 को जारी किए गए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार किसी भी जगह को प्लानिंग एरिया घोषित कर सकती है। नए कानून में लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी को कई ज्यादा अधिकार दे दिए गए हैं। इससे भी लोगों में डर का माहौल बना हुआ है।

यहां के निवासियों ने बताया कि वह विकास के खिलाफ नहीं है। लेकिन विकास की आड़ में उनकी परंपराओं व रहन सहन के तौर तरीके से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।

कांग्रेस ने लक्षद्वीप के मसले पर सरकार का विरोध किया है। राहुल गांधी और शशि थरूर ने ट्वीट किया। राहुल गांधी ने कहा, लक्षद्वीप समुद्र में भारत का गहना है, सत्ता में बैठे अज्ञानी इसे नष्ट कर रहे हैं। मैं लक्षद्वीप के लोगों के साथ खड़ा हूं। शशि थरूर ने अपने ट्वीट में कहा, आपको लगता है, बीजेपी पहले उन जगहों का बर्बाद करेगी, जहां वो चुन कर आई, इससे पहले कि वे वहां जाए, जहां उनकी मौजूदगी नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है उनका सिद्धांत है अगर नहीं टूटा है, तो तोड़ दो।

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