कृषि विधेयकों के खिलाफ मप्र में भी किसानों का विरोध प्रदर्शन
जनज्वार ,भोपाल। मध्य प्रदेश में किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को विरोध दर्ज कराया और जगह-जगह ज्ञापन सौंपे। किसानों ने कई स्थानों पर कोरोना को लेकर ज्यादा संख्या में सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराने में एहतियात बरती। केंद्र सरकार द्वारा सदन में लाए गए तीन कृषि विधेयकों को लेकर किसानों में देशव्यापी गुस्सा है। इन विधेयकों को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन जारी है। मध्य प्रदेश में भी किसानों में केंद्र सरकार को लेकर नाराजगी है। मंदसौर, नीमच, रतलाम, हरदा, सहित अनेक स्थानों पर किसान सड़कों पर उतरे, मगर कोरोना को लेकर किसानों ने एहतियात बरतते हुए सीमित संख्या में ही विरोध दर्ज कराया।
किसान नेता केदार सिरोही ने बताया कि किसानों में केंद्र सरकार के रवैए से खासी नाराजगी है, सब्जी मंडिया बंद चल रही हैं, तो दूसरी ओर किसान गांव-गांव और कम संख्या में समूह बनाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। वर्तमान में कोरोना का संकट आया हुआ है और संक्रमण फैलने का खतरा है, इसलिए किसान कम संख्या में ही सड़क पर उतरे। विरोध में किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
किसानों को हर संभव मदद देने का वादा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को पिछले दिनों चार हजार रूपये सालाना सम्मान निधि देने का ऐलान किया था। यह सम्मान निधि केंद्र सरकार की सालाना छह हजार रूपये की सम्मान निधि की तरह है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्य सरकार के रवैए पर तंज कसते हुए कहा कि ये कैसा किसानों का सम्मान है, ये कैसी कल्याण योजना? कोरोना महामारी के इस संकट काल में किसानों को मात्र 10 रुपये प्रतिदिन के करीब देकर ये उसे किसानों का कल्याण बता रहे हैं, किसानों का सम्मान बता रहे हैं? एक तरफ किसान खेत खलिहान के विरोध में तीन-तीन बिल लाते हैं, वहीं दूसरी तरफ खुद को किस मुंह से किसान हितैशी बताते हैं? यदि शिवराज सरकार को किसानो के सम्मान की, कल्याण की चिंता है तो कांग्रेस सरकार की कर्ज माफी योजना को चालू रखे, किसानो को कर्ज मुक्त बनाये, जिससे किसान सम्मान पूर्वक अपना जीवन जी सके। यही किसानों का सबसे बड़ा सम्मान है, यही कल्याण है।