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पंजाब सरकार की कोरोना काल में हुए नुकसान की आकलन कमेटी में सिर्फ पूंजीपति

Janjwar Desk
25 Aug 2020 5:48 AM GMT
पंजाब सरकार की कोरोना काल में हुए नुकसान की आकलन कमेटी में सिर्फ पूंजीपति
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प्रतीकात्मक तस्वीर

इसमें आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कृषि क्षेत्र के लिए बनाई गई इस सब कमिटी में न तो किसी किसान को जगह दी गई, न ही कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों को, बल्कि इनमें नेस्ले, कारगिल और आईटीसी जैसी कंपनियों के प्रतिनिधियों को शामिल कर लिया गया।

जनज्वार। कोरोना काल में हुए नुकसान से कैसे उबरा जाय, इसपर रिसर्च कर सुझाव देने के लिए पंजाब सरकार ने एक कमिटी बनाई। इस कमिटी के तहत कृषि आदि विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सब कमिटियां बनाई गईं।

यहां तक तो ठीक है, पर इसमें आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कृषि क्षेत्र के लिए बनाई गई इस सब कमिटी में न तो किसी किसान को जगह दी गई, न ही कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों को, बल्कि इनमें नेस्ले, कारगिल और आईटीसी जैसी कंपनियों के प्रतिनिधियों को शामिल कर लिया गया।

पंजाब सरकार ने कोरोना काल के बाद अर्थव्यवस्था को लेकर मध्यम और दीर्घावधि के लिए नीति निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई थी। इस कमिटी को यह सुझाव देना था कि पंजाब की अर्थव्यवस्था को देश और वैश्विक स्तर पर कैसे विशेष स्थान पर लाया जाय। कमिटी को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जुलाई और फाइनल रिपोर्ट दिसंबर 2020 तक सौंप देना था।

इस कमिटी के तहत अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए कई सब कमिटियां बनाईं गईं। कृषि क्षेत्र के लिए बनाई गई सब कमिटी में ICRIER में प्रोफेसर डॉ अशोक गुलाटी, पूर्व केंद्रीय सचिव व सेवानिवृत्त IAS डॉ टी. नन्दकुमार, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ बी.एस.ढिल्लन, कारगिल इंडिया के अध्यक्ष डॉ साइमन जॉर्ज, नेस्ले इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन और आईटीसी लिमिटेड के चैयरमैन व प्रबंध निदेशक संजीव पूरी को रखा गया है।

बताया जा रहा है कि सब कमिटियों द्वारा अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गई है और आगे इस रिपोर्ट के आधार पर मुख्य कमिटी अपनी अनुशंसाएं सरकार को भेजेगी। इसके आधार पर किस क्षेत्र में क्या नीति और कार्यप्रणाली बनाई जय, इसे लेकर सरकार फैसला करेगी।

ऐसे में प्रारंभिक रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है, चूंकि इसी के आधार पर कमिटी अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगी और सरकार को अनुशंसा करेगी।

वैसे इन कमिटियों के गठन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि अगर कृषि क्षेत्र को उबारने के उद्देश्य से यह कमिटी बनाई गयी है तो इसमें कृषक या कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों को जगह नहीं देना मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है।

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