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Raebareli : राहुल गांधी रायबरेली के हुए, सोनिया गांधी ने सौंप दिया जनता को अपना बेटा !

Janjwar Desk
18 May 2024 4:13 PM IST
Raebareli : राहुल गांधी रायबरेली के हुए, सोनिया गांधी ने सौंप दिया जनता को अपना बेटा !
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Loksabha election 2024 : राहुल गांधी ने एक काम ज़रूर ठीक किया कि अमेठी से लड़ना तय नहीं किया। राहुल के अमेठी से लड़ने की इतनी ज़्यादा चर्चा हो चुकी थी कि नब्बे के दशक से वहाँ काम कर रहे किशोरी लाल शर्मा को भी अब लगने लगा होगा कि वे भी राहुल गांधी ही हैं। कहा नहीं जा सकता कि स्मृति ईरानी असली राहुल के स्थान पर उनके चुनावी ‘प्रतिरूप’ से भी उतना ही ख़ौफ़ खा रही हैं या नहीं...

वरिष्ठ संपादक श्रवण गर्ग की टिप्पणी

Loksabha Election 2024 : बीस मई को होने जा रहे पाँचवे चरण के मतदान के पहले एक छोटा सा सवाल मन में उठ रहा था! सवाल थोड़ा इमोशनल क़िस्म का था! सवाल यह था कि राहुल गांधी जब रायबरेली से भी चुनाव जीत जाएँगे, सुदूर केरल में स्थित वायनाड के उन लाखों मलयाली मतदाताओं को किस तरह के ख़याल आएँगे जिन्होंने अमेठी के मतदाताओं द्वारा 2019 में नकार दिए गए कांग्रेस के युवा नेता को अपने दिलों में जगह दी थी?

राहुल गांधी द्वारा तीन मई को रायबरेली में नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ ही वायनाड दो धड़ों में विभाजित हो गया था कि राहुल को कौन सी सीट रखना और कौन सी छोड़ देना चाहिए? कई लोगों का कहना था उन्हें वायनाड सीट रखनी चाहिये, जबकि काफ़ी नागरिक ऐसे भी थे जिन्हें रायबरेली को लेकर भी कोई एतराज़ नहीं था। ऐसी ही कोई बहस रायबरेली में भी चली होगी कि 1952 से ‘गांधी परिवार’ की आत्मा में बसी फ़िरोज़ गांधी, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी की सीट को राहुल अपने नाम पर क़ायम रखेंगे कि नहीं?

हक़ीक़त में तो राहुल गांधी के लिए अब सिद्ध करने के लिए ऐसा कुछ बचा ही नहीं था कि 2019 के बाद 2024 में भी उन्हें दो सीटों से चुनाव लड़ना पड़े! उनकी दो अद्भुत भारत जोड़ो यात्राओं के दौरान देश की जनता ने सड़कों पर जो मोहब्बत बाँटी, सुख-दुख की जो कहानियाँ उनके साथ साझा कीं, उसके बाद तो कांग्रेस के इस नेता को कोई चुनावी करिश्मा दिखाने की ज़रूरत ही नहीं थी!

दोनों यात्राओं और उसके कारण क़ायम हुई विपक्षी एकता ने देश के समूचे राजनीतिक परिदृश्य को आने वाले कई सालों के लिए बदल कर रख दिया है। यात्राओं के दौरान सड़कों से प्राप्त अनुभवों के आधार पर तैयार किए गए घोषणापत्र को विकास का नया संविधान माना गया है। भाजपा को सत्ता से बेदख़ल करने का काम भी अब उसी जनता ने अपने कंधों पर ले लिया है जिसने बिना किसी ख़ौफ़ के राहुल का साथ दिया।

राहुल गांधी ने एक काम ज़रूर ठीक किया कि अमेठी से लड़ना तय नहीं किया। राहुल के अमेठी से लड़ने की इतनी ज़्यादा चर्चा हो चुकी थी कि नब्बे के दशक से वहाँ काम कर रहे किशोरी लाल शर्मा को भी अब लगने लगा होगा कि वे भी राहुल गांधी ही हैं। कहा नहीं जा सकता कि स्मृति ईरानी असली राहुल के स्थान पर उनके चुनावी ‘प्रतिरूप’ से भी उतना ही ख़ौफ़ खा रही हैं या नहीं! शायद इसीलिए प्रियंका गांधी ने अपनी पूरी ताक़त अमेठी में झोंककर चुनाव को प्रतिष्ठा के युद्ध में बदल दिया।

यह केवल ऊपरी बात है कि अमेठी में लड़ाई राजनीति और टेलीविज़न की नेत्री-अभिनेत्री और गांधी परिवार के एक सहयोगी-कार्यकर्ता के बीच है। हक़ीक़त में अमेठी में प्रधानमंत्री मोदी, यूपी की पूरी हुकूमत और भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। अमेठी के परिणामों की कहानियाँ दशकों तक गिनाई जाने वाली हैं। यह भी कहा जा सकता है कि 2019 की पराजय का बदला लेने के लिए राहुल के पास बस यही ‘गांधी मार्ग’ बचा था कि अपने स्थान पर किसी अज्ञात उम्मीदवार की उपस्थिति का एंटी-क्लायमेक्स पैदा कर दें। स्मृति ईरानी भी यही जानते हुए चुनाव लड़ रही होंगी कि राहुल गांधी उन्हें भाजपा की भीड़ से अलग हारता हुआ देखना चाहते हैं।

शुक्रवार (17 मई) को जब सोनिया गांधी उस रायबरेली की चुनावी सभा में भाषण दे रहीं थीं, जिसका उन्होंने बीस वर्षों तक संसद में प्रतिनिधित्व किया, राहुल और प्रियंका उनके नज़दीक खड़े भावुक हो रहे थे। रायबरेली के जीवन का यह बहुत ही अद्भुत क्षण था। अब तक के चार चरणों में सोनिया गांधी का यह पहला चुनावी संबोधन था। सभा में व्यक्त किए गए सोनिया गांधी के शब्दों से इस सवाल का जवाब भी मिल गया कि संसद में राहुल किस चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं- वायनाड या रायबरेली का?

सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता से कहा : 'मैं आपको अपना बेटा सौंप रही हूँ। जैसा आपने मुझे माना वैसे ही राहुल को अपना मानकर रखना। वो आपको निराश नहीं करेगा।’ मान लिया जाना चाहिए कि सोनिया गांधी का रायबरेली में कहा गया शब्द वायनाड के साथ-साथ दिल्ली के कानों तक भी पहुँच गया होगा।

(इस लेख को shravangarg1717.blogspot.com पर भी पढ़ा जा सकता है।)

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