Rahul Vs Mayawati : यूपी चुनावों में दो सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने एक सीट जीतने वाली मायावती को दिया था सीएम बनाने का प्रस्ताव, माया का पलटवार- कांग्रेस घिनौने हथकंडे अपना रही
Rahul Vs Mayawati : यूपी चुनावों में दो सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने एक सीट जीतने वाली मायावती को दिया था सीएम बनाने का प्रस्ताव, माया का पलटवार- कांग्रेस घिनौने हथकंडे अपना रही
Rahul Vs Mayawati : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में भाजपा (BJP) की जीत के लगभग एक महीने पूरे हो चुके हैं। इस बीच कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक बयान देकर राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए सीधे-सीधे बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) पर हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले उन्होंने मायावती को गठबंधन करने का प्रस्ताव दिया था, राहुल ने यह भी कहा है कि उन्होंने मायावती को मुख्यमंत्री बनने का आॅफर भी दिया था, पर उनकी ओर से कोई जवाब ही नहीं आया। वहीं मायावती ने रविवार को इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि यह सब झूठ है। राहुल से अपना घर संभल नहीं रहा है वे दूसरों पर कटाक्ष कर रहे हैं। कांग्रेस घिनौने हथकंडे अपना रही है।
राहुल गांधी ने मायावती पर यह भी आरोप लगाया है कि मायावती ने सीबीआई (CBI)और ईडी (ED) के डर से इस बार का चुनाव ही नहीं लड़ा। राहुल ने यह भी कहा है कि उनकी पार्टी काशीराम (Kansiram) जी का बहुत सम्मान करती है। उन्होंने दलितों को सशक्त किया, इससे कांग्रेस कमजोर हुई पर ये मुद्दा नहीं है दलितों का मजबूत होना अहम है। पर मायावती कहती हैं कि लड़ेंगी ही नहीं। राहुल ने कहा है कि रास्ता एकदम खुला है पर सीबीआई (CBI), ईडी (ED) और पेगासस (Pegasus) के डर से चुनाव लड़ना ही नहीं चाहती हैं।
विधानसभा चुनावों के बाद आए राहुल गांधी के इस बयान से यूपी से देश की राजनीतिक तक में सरगर्मी आ गयी है। इस बात की भी चर्चा हो रही है कि क्या विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस और बसपा का गठबंधन होता तो जमीनी हालात में कोई परिर्वतन आता।
क्या यह गठबंधन मायावती को वादानुसार मुख्यमंत्री बनाने में सफल हो पाती। शायद नहीं क्योंकि अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो हमने देखा है कि चुनाव नतीजों में जहां कांग्रेस को दो सीटोंं पर ही सफलता मिली है वहीं मायावती की पार्टी ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए सिर्फ एक सीट ही हासिल किया है।
कांग्रेस और बसपा दोनों ही पार्टियां इस बारे के यूपी विधानसभा चुनावों में अपने दम पर चुनाव लड़ीं और अपना सूपड़ा साफ करवा लिया। चुनाव जीतना तो दूर दोनों ही पार्टियों के अधिकांश उम्मीदवारों ने अपनी जमानत भी जब्त करवा ली। इस बार के विधानसभा चुनावों में बसपा को महज 12 फीसदी वोट ही मिले हैं। यह 2017 के विधानसभा चुनावों की तुलना में 10 फीसदी कम है। साल 2017 में बसपा को यूपी में 22 फीसदी वोट मिले थे। इस बार के विधानसभा चुनावों में बसपा पर ना तो मुस्लिमों ने भरोसा जताया, ना ब्राह्मणों और ना ही जाटवों ने।
ऐसे में राहुल गांधी का बसपा से चुनावों के दौरान गठबंधन अगर हो भी जाता तो इस गठबंधन को कोई लाभ मिल पाता इस बात पर संदेह है। वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी का इस समय पर ऐसा बयान देना यह भी सवाल पैदा कर रह है कि क्या इस समय पर कांग्रेस की टॉप लीडरशिप में शुमार राहुल गांधी को यह बयान देना चाहिए। अब जब कांग्रस को देश में अपनी खोयी हुई राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए एक मजबूत जमीन और सधे हुए नेतृत्व की जरुरत है वैसे समय में इस तरह की बयानवाजी पार्टी को सही रास्ते पर ले जाएगी इसकी उम्मीद ना के बराबर ही है।
आपको बता दें कि जब इसी कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी से उनके भविष्य के कार्यक्रम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में वे अभी नहीं सोच रहे हैं। इस बात का क्या मतलब है यह भी राहुल गांधी को साफ करना चाहिए था। अंत में कांग्रेस के बारे में जो बात कही जा सकती है वह यह है कि कांग्रेस फिलहाल को खुद उभारने की बजाय एक के बाद एक सेल्फ गोल दागने में ही व्यस्त है।
वहीं दूसरी ओर मायावती ने राहुल गांधी के इस बयान के बाद पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस अपना बिखरा घर तो संभाल नहीं पा रहे हैं और हम पर कटाक्ष कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस घिनौने हथकंडे धंधे अपना रही है। उन्होंने राहुल गांधी के जवाब नहीं देने के आरोप पर कहा है कि यह पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को दूसरी पार्टियों की चिंता करने की बजाए खुद की चिंता करनी चाहिए।