राजस्थान कांग्रेस प्रदेश कमिटी समेत सभी मंच-मोर्चों की कमिटियां भंग, बीजेपी भी अब ऐक्टिव मोड में
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जनज्वार। सचिन पायलट और उनके समर्थकों के पार्टी से निष्कासन की कार्रवाई के बाद भी राजस्थान में सियासी
गतिविधियां अभी थमीं नहीं हैं। बताया जाता है कि पायलट, उनके समर्थक दो मंत्रियों और पार्टी विंग के दो प्रदेश अध्यक्षों के हटाए जाने के बाद आज प्रदेश बीजेपी की यह महत्वपूर्ण बैठक हो रही है। वैसे बीजेपी शुरू से ही सारे घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए है।
पायलट ने 14 जुलाई को समाचार एजेंसी से कहा कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे। हालांकि उनके समर्थक शुरू से ही ऐसा कहते आ रहे हैं। फिलहाल ज्यादा संभावना यही बन रही है कि पायलट कांग्रेस में रहकर ही अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे।
गौर करने वाली बात यह है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक मंत्रियों को पद से जरूर हटा दिया गया है, पर उन तीनों और पायलट समर्थक विधायकों को पार्टी से नहीं निकाला गया है। यानि तकनीकी रूप से अभी भी वे कांग्रेस के ही विधायक हैं। माना जा रहा है कि ऐसा न कर एक तो सुलह-समझौते का एक महीन रास्ता खुला रखा गया है, दूसरा आगे पायलट समर्थक विधायकों को अपने खेमे में करने का रास्ता भी खुला रखा गया है।
पायलट ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से मंत्रीपद का विवरण हटा लिया है और अपने परिचय में सिर्फ टोंक विधायक का विवरण दिया है, पर अपने ट्विटर एकाउंट से कांग्रेस का लिंक नहीं हटाया है। अबतक उन्होंने खुद न तो गहलोत सरकार और न ही कांग्रेस के विरोध में कोई बयान दिवा है। अभी तक जो भी बातें अयिन हैं, उनके समर्थकों के माध्यम से ही सामने आईं हैं। यानि यह तय है कि फिलहाल वे खुद कांग्रेस छोड़ने नहीं जा रहे।
बीजेपी के बड़े नेता अभी खुल कर तो कुछ नहीं कह रहे, पर बताया जा रहा है कि कई मोर्चों पर तैयारी की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दो दिन पूर्व पायलट ने दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की थी और अब सिंधिया पायलट के समर्थन में ट्विट कर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। सिंधिया कांग्रेस में योग्यता की कद्र नहीं किए जाने की बात भी कर रहे हैं। राजनीति के जानकार इन बातों को यूंही कही गई बातें नहीं मान रहे।
उधर राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पाण्डेय ने प्रदेश कांग्रेस की कार्यसमिति को भंग कर दिया है। उन्होंने पार्टी के सभी मंच-मोर्चों की कमिटी को भी भंग कर दिया है। पाण्डेय ने मीडिया से कहा 'गोविंद सिंह दतासरा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यसमिति बनेगी। सभी मंच-मोर्चों की कमिटी का भी नए सिरे से गठन होगा।'
बीजेपी सारे घटनाक्रमों पर नजदीकी नजर बनाए हुए है। पार्टी अब ऐक्टिव मोड में आ गई है। 14 जुलाई को बीजेपी के प्रदेश विंग की बैठक बुलाई गई है। बैठक जयपुर में होगी और पार्टी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे इसमें खास तौर से मौजूद रहेंगी। बैठक में पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा होने की सँभववना है।
13 जुलाई को भी बीजेपी की एक बैठक प्रदेश कार्यालय में हुई। बैठक में राज्य की मौजूदा राजनैतिक हालातों पर चर्चा की गई। बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया, वरिष्ठ नेता ओम माथुर, गुलाब चन्द्र कटारिया और राजेंद्र राठौड़ मौजूद थे।
पायलट को हटाए जाने के बाद राज्य कैबिनेट की पहली बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास 13 जुलाई को हुई। देर शाम तक चली इस बैठक में ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट के नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा देने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया। साथ ही राज्य में 10 करोड़ से ऊपर की परियोजनाओं के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाने का निर्णय लिया गया ताकि ऐसी परियोजनाओं को त्वरित अनुमति मिल सके।