CAG जांच में बड़ा खुलासा, 2 साल पहले ओडीएफ घोषित राजस्थान के आधे प्रधानमंत्री आवास में शौचालय नहीं
जनज्वार। सरकारी योजनाओं को लेकर बड़े दावे और उसकी जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर होता है। इसका एक और प्रमाण नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की जांच रिपोर्ट में हुआ है। सीएजी ने यह पाया है कि दो साल पहले ही ओडीएफ घोषित राजस्थान के आधे प्रधानमंत्री आवासों में शौचालय नहीं है। सीएजी की यह जांच रिपोर्ट सिर्फ कागजी प्रक्रिया नहीं बल्कि फिजिकल वेरिफिकेशन यानी जमीनी हालात के सर्वेक्षण पर आधारित है।
सीएजी ने राजस्थान के सात जिलोें बारां, बिकानेर, भरतपुर, दौसा, जोधपुर, टोंक व उदयपुर की 59 ग्राम पंचायतों में बने प्रधानमंत्री आवास का फिजिकल वेरिफिकेशन कराया। 59 ग्राम पंचायतों के 590 प्रधानमंत्री आवास की जांच की गई जिनमे 290 यानीं 49.5 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं पाया गया। 358 मकानों यानी 60.68 प्रतिशत को बिना बिजली कनेक्शन के पाया गया। मात्र 232 घरों यानी 39.32 प्रतिशत में बिजली कनेक्शन मिला।
जांच में यह भी पाया गया कि 399 घरों के पास एलपीजी कनेक्शन है। इसका प्रतिशत 67.63 होता है। 191 यानी 32.37 घरों में बिजली कनेक्शन नहीं पाया गया। जांच में यह भी पाया कि मात्र 26 घरों में पाइप लाइन से जलापूर्ति उपलब्ध है। 517 मकानों यानी 87.63 प्रतिशत घर संवर्द्धित जल संग्रह या अपनी व्यवस्था से सुरक्षित पेयजल प्राप्त करते हैं। 73 घरों यानी 12.37 प्रतिशत मकानों में रहने वाले लोग स्वच्छ पेयजल को प्राप्त करने की चुनौतियों से जूझते हैं और उनके साथ उस स्तर पर संकट है।
जांच किए गए कुल 590 प्रधानमंत्री आवासों में 391 यानी 66.27 प्रतिशत में परिवार पक्का मकान में रह रहा है और 181 लोग यानी 31.02 प्रतिशत उन आवासों का उपयोग आवासीय उद्देश्य से नहीं करते पाये गए।
सीएजी की यह रिपोर्ट जनरल व सोशल सेक्टर से संबंधित है और इसे विधानसभा के पटल पर इस वर्ष टेबल किया गया। रिपोर्ट में यह कहा गया कि कई प्रधानमंत्री आवास जिन्हें पूरा बताया गया वे जांच में अधूरे पाए गए। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री आवास योजना को सही तरीके से लागू करने को कहा है।