जैसलमेर के गर्ल्स स्कूल ने वास्तु-कला का पेश किया नायाब नमूना
जयपुर। राजस्थान के थार रेगिस्तान के केंद्र में स्थित, पीले बलुआ पत्थर से बनी एक स्कूल की इमारत अपनी विशेष वास्तु-कला के साथ स्थिरता की कहानी बयां कर रही है, क्योंकि छात्र यहां बाहर की प्रचंड गर्मी से बचते हुए संरक्षित प्रांगण में बिना किसी चिंता के अध्ययन कर सकते हैं और खेल सकते हैं।
ऐसे समय में, जब राजस्थान में तापमान बढ़ता जा रहा है और यहां गर्म हवा के साथ पूरे दिन रेत उड़ती रहती है, स्कूल का बेहतर पर्यावरण विद्यार्थियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है।
स्कूल भवन को एक अंडाकार संरचना के साथ में बनाया गया है। भवन के अंदर कोई एयर कंडीशनर नहीं है, मगर यह रेगिस्तानी परि²श्य में और विपरीत मौसम के दौरान भी राहत प्रदान करता है। यहां खूबसूरत जालीदार दीवार और हवादार छत के साथ ही सौर प्रतिष्ठान एक शानदार वास्तु कला का उदाहरण हैं।
इस विद्यालय का नाम राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल है और इसकी इमारत डायना केलॉग आर्किटेक्ट्स की ओर से डिजाइन की गई है। इसे माइकल ड्यूब द्वारा स्थापित एक अंतराष्र्ट्ीय गैर-लाभकारी संस्था सीआईटीटीए की ओर से वित्त पोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों को अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए लुभाना है।
इसका उद्देश्य छात्राओं की माताओं और अन्य महिलाओं को बुनाई और प्रिंटिंग जैसे कौशल प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है, ताकि लोग अपने सामानों को सही प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित करने के साथ बेहतर मूल्य के साथ बाजार में उतार सकें।
यह स्कूल भवन जैसलमेर के प्रसिद्ध सैम सैंड टिब्बा से केवल छह मिनट की दूरी पर कानोई गांव में स्थित है। इसे आर्थिक तौर पर मजबूती के साथ ही जैसलमेर के पर्यटन, संस्कृति, शिल्प कौशल और अन्य विशिष्ट पहलुओं को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ स्थापित किया गया है।
स्कूल ने हालांकि मार्च 2021 में अपना संचालन शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह कोविड-19 महामारी के कारण परिचालन शुरू नहीं कर सका। मगर स्कूल के अद्भुत डिजाइन ने पहले ही लोगों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है, जो कि काफी प्रभावशाली दिखाई देता है।
सीआईटीटीए वेबसाइट में कहा गया है, "राजकुमारी रत्नावती स्कूल जैसलमेर के थार मरुस्थलीय क्षेत्र में रहने वाली गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों के लिए ऑफर किया जाएगा। यहां की सुविधाओं में कक्षाएं, एक पुस्तकालय, एक कंप्यूटर सेंटर और पड़ोसी गांवों से लड़कियों को लाने के लिए एक बस सुविधा शामिल होगी।"
वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार, यहां 400 से अधिक लड़कियों को शिक्षा प्रदान कराने के साथ ही उनका उचित पोषण सुनिश्चित करने के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी होगी। इसका उद्देश्य परिवारों का वित्तीय बोझ कम करते हुए महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
सीआईटीटीए का एक और लक्ष्य महिला सहकारिता के माध्यम से इस क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ाना भी है। लड़कियों को विशेष तौर पर गर्ल्स स्कूल में शिक्षा प्राप्त कराने के अलावा स्थानीय कारीगर माताओं और अन्य महिलाओं को जैसलमेर क्षेत्र से बुनाई और कढ़ाई की तकनीक भी सिखाई जाएगी, जिसे स्थानीय लोग अब भूलने की कगार पर हैं।
समकालीन डिजाइनरों के साथ जोड़ी गई पारंपरिक तकनीक वैश्विक बाजार के लिए अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में विविधता और वृद्धि होगी।
स्कूल भवन में एक सेंट्रल हॉल है, जो गर्ल्स स्कूल और महिला को-ऑपरेटिव के रूप में कार्य करेगा। इसके अलावा महिला सशक्तीकरण के सिद्धांतों का ²ढ़ता से पालन करते हुए स्थापित किया गया ज्ञान केंद्र महिला कलाकारों और डिजाइनरों को एक बेहतरीन मंच प्रदान करेगा।