मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान कांग्रेस में गहरा रहा है सत्ता का संघर्ष, सिंधिया की तरह पायलट के खेमे में 25 विधायक?
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जनज्वार। सामान्य बहुमत से जिन राज्यों में कांग्रेस शासन कर रही है, वहां एक के बाद एक संकट आता दिख रहा है। कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश और अब राजस्थान में सत्ता का संघर्ष गहरा हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलौत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच मतभेद की खाई बढती जा रही है। पायलट के समर्थन में 25 कांग्रेस विधायकों के होने की बात कही जा रही है। पायलट समर्थक विधायकों के दिल्ली से सटे भाजपा शासित हरियाणा में होेने की बात कही जा रही है, वहीं कुछ विधायक दिल्ली में भी हैं।
राजस्थान में बन रहा यह राजनीतिक सीन कुछ दिनों पूर्व के मध्यप्रदेश कांग्रेस के दृश्य की याद दिला रहा है। 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं और भाजपा के पास 72 विधायक है। निर्दलीय विधायकोें की संख्या 13 है, जबकि अन्य छोटे घटकों के तीन, दो या एक तक विधायक हैं। यानी राजस्थान की कांग्रेस सरकार सामान्य बहुमत के आधार पर ही सत्ता में है और किसी प्रकार का असंतोष उसे अस्थिर या फिर सत्ता से बाहर भी कर सकता है।
शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने एक प्रेस कान्फ्रेंस भी किया जिसमें उन्होंने सचिन पायलट की मुख्यमंत्री बनने की इच्छा के सवाल पर कहा था कि कौन सीएम बनना नहीं चाहता है, हमारी पार्टी से छह से सात लोगों इसके लिए दावेदार हैं।
गहलौत ने यह भी कहा कि भाजपा राज्य की निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है, लेकिन सरकार स्थिर है, स्थिर रहेगी और पांच साल चलेगी। उन्होंने भाजपा के स्थानीय नेताओं पर केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर साजिश रचने का आरोप लगाया है।
अशोक गहलौत ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा था कि भाजपा बकरे की मंडी की तरह विधायकों को खरीदना चाहती है और दस-दस करोड़ के आफर किए जा रहे हैं।
अशोक गहलौत ने शनिवार साढे आठ बजे कैबिनेट की बैठक की, जिसमें सचिन पायलट शामिल नहीं हुए। दो घंटे लंबे चली इस बैठक में पायलट के शामिल नहीं होने से कई सवाल उठ रहे हैं। पायलट इस वक्त दिल्ली में हैं और उनके समर्थक कम से कम दस विधायक के भी दिल्ली में होने की बात कही जा रही है जो केंद्रीय नेतृत्व से मिल कर अपनी समस्या बताना चाह रहे हैं।
दोनों नेताओं के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर भी मतभेद बढा है। कहा जा रहा है कि गहलौत हाइकमान पर सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के दबाव बना रहे हैं, जबकि सचिन पायलट इस पद पर रहते हुए संगठन पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं।
सरकार गिराने की कोशिश में दो भाजपा नेता गिरफ्तार
राजस्थान पुलिस के स्पेशल आपरेशन ग्रुप ने सरकार गिराने की कोशिश को लेकर दो भाजपा नेताओं भरत मालानी व अशोक सिंह को गिरफ्तार किया है और उन पर एफआइआर दर्ज किया गया है। अदालत ने इन दोनों नेताओं को दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है।
22 विधायकों के बाद 25 विधायकों वाला खेल?
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 विधायकों की नाखुशी के बाद गिर गई थी, जिसमें छह मंत्री भी थे। उस समय भी कांग्रेस के नाराज विधायक भाजपा शासित कर्नाटक में थे और अब भाजपा शासित हरियाणा व दिल्ली में हैं। सचिन पायलट अबतक चुप हैं जिसे एक असंतोष को सहमति के रूप में ही देखा जा रहा है अन्यथा वे पूरे घटनाक्रम पर अपना पक्ष रख तसवीर को अधिक साफ कर सकते थे। दरअसल, कांग्रेस में पुरानी पीढी व युवाओं नेताओं के बीच हमेशा द्वंद्व चला है। युवा नेताओं को यह लगता है कि कड़ी मेहनत के बाद भी उन्हें उसका परिणाम नहीं मिलता है। मध्यप्रदेश के चुनाव में सिंधिया व राजस्थान के चुनाव में पायलट ने काफी मेहनत की थी।