Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

RBI Latest News: साल के आखिर तक जनता का तेल निकालने वाली है महंगाई, RBI ने कह दी यह बड़ी बात

Janjwar Desk
8 Jun 2022 6:27 AM GMT
RBI Latest News: साल रभके आखिर तक जनता का तेल निकालने वाली है महंगाई, RBI ने कह दी यह बड़ी बात
x

RBI Latest News: साल रभके आखिर तक जनता का तेल निकालने वाली है महंगाई, RBI ने कह दी यह बड़ी बात

RBI Latest News: रिजर्व बैंक के मुताबिक महंगाई का दौरान इस साल बना रहेगा और लोगों को महंगाई डायने राहत नहीं मिलेगी।

RBI Latest News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने बुधवार को जब रेपो रेट में 50 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोतरी करने की घोषणा की, उससे ठीक पहले यह खबर चिंता पैदा करने वाली थी कि देश में पिछले 24 घंटे में कोविड मामलों की संख्या में 41% का उछाल आया है। रिजर्व बैंक के मुताबिक महंगाई का दौरान इस साल बना रहेगा और लोगों को महंगाई डायने राहत नहीं मिलेगी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के भी 5.7% के अनुमान की जगह 6.7% रहने की संभावना है। ये सभी आंकड़े साफतौर पर दर्शाते हैं कि कोविड महामारी की दोनों लहरों से देश की अर्थव्यवस्था अभी तक उबर नहीं पाई है और मंदी का दौर गया नहीं है। सिर उठाते कोविड के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़ी बात यह भी कही कि लगातार तीन तिमाहियों से देश की आर्थिक विकास दर धीमी पड़ी है।

महंगाई से रिजर्व बैंक भी चिंतित

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में महंगाई दर 6% के लक्ष्य से लगातार अधिक होने पर चिंता जताते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस अंकों का इजाफा किया है। मौद्रिक समिति ने वित्त वर्ष 2023 में आर्थिक विकास के अनुमान को ही 7.2% के स्तर पर ही कायम रखा है। हालांकि, रेपो रेट में बढ़ोतरी से आरबीआई को महंगाई में कमी की खास उम्मीद नहीं है। बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही से पहले महंगाई दर के 6% से नीचे आने की संभावना कम है। बैंक ने आखिरी तिमाही में महंगाई दर 5.8% रहने का अनुमान जताया है। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पूरे साल 6.7% रहेगा, जबकि पहले इसके 5.7% रहने का अनुमान लगाया गया था।

मंदी से उबरा नहीं है देश

कोविड महामरी के कारण 2020-21 में देश का आर्थिक विकास 6.6% संकुचित हो गया था। उसके बाद देश ने 8.7% की रफ्तार से आर्थिक विकास करना शुरू किया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सप्लाई चेन प्रभावित होने से 2021-22 की आखिरी तिमाही, यानी इस साल जनवरी-मार्च के बीच आर्थिक विकास केवल 4.1% ही हो पाया है। 2021-22 के दौरान वास्तविक जीडीपी कोविड महामारी से पहले यानी 2019-20 के आर्थिक विकास से 1.5% अधिक रही थी। इससे यह तो साफ हुआ है कि देश महामारी के झटके से उबर चुका है, लेकिन जिस तेजी से अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकड़नी चाहिए थी, वह तेजी दिख नहीं रही है।

इसलिए नहीं उठ पा रही है इकोनॉमी

जनवरी में ओमिक्रॉन के डर से इंडस्ट्री का वह हिस्सा प्रभावित हुआ, जो ठेके पर श्रमिकों से काम करवाता है। मिसाल के लिए रियल एस्टेट और इन्फ्रा सेक्टर। इसी तरह होटल, ट्रांसपोर्ट और सेवा क्षेत्र में भी उम्मीद के अनुसार सुधार नहीं आ पाया और यह 2020 के स्तर से 11% नीचे है। विनिर्माण क्षेत्र में पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 0.2% का संकुचन रहा। इसका कारण सामानों की बढ़ी हुई कीमतें और सप्लाई चेन का प्रभावित होना रहा। नीलसन आईक्यू के अनुसार, चौथी तिमाही में निजी क्षेत्र के खर्च में 1.8% का इजाफा हुआ और उपभोक्ता सामानों का बाजार भी 6% बढ़ा। लेकिन शहरी क्षेत्रों में तो इन सामानों की मांग घटी ही, साथ में ग्रामीण इलाकों में 5.3% की कमी देखी गई। यह पिछले वित्त वर्ष की बाकी तीन तिमाहियों में सबसे कम रही। सबसे चिंता की बात यह है कि उपभोक्ताओं की मांग में लगातार गिरावट आ रही है और मौजूदा वित्त वर्ष में मांग बढ़ने के बारे में अनिश्चितता की स्थिति कायम है।

ज्यादा जीएसटी के दावे में दम नहीं

केंद्र सरकार ने अप्रैल में 1.68 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रहण किया, जिसके बारे में कहा गया कि यह एक रिकॉर्ड है। लेकिन मई में सरकार के खाते में केवल 1.41 लाख करोड़ का ही जीएसटी आया। यह बताता है कि पेट्रोलियम पदार्थों और खाद्य सामग्री की बढ़ती महंगाई ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है। इससे उनकी क्रय शक्ति घट गई है। बढ़ती महंगाई ने सामानों की कीमतें बढ़ा दीं, जिससे सरकार को जीएसटी भी अधिक मिली, इसलिए अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बढ़ी हुई जीएसटी को आर्थिक सुधार का संकेत मानना गलत है।

Next Story

विविध