नानकमत्ता गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के इस्तीफे नामंजूर, अकाल तख्त ने 15 दिन सेवा का सुनाया हुक़्म
(नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब परिसर में पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी को चांदी का मुकुट पहनाया गया था)
नानकमत्ता। उत्तराखण्ड के नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब परिसर में मुख्यमंत्री के स्वागत समारोह के दौरान मर्यादा उल्लंघन के मामले श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर ने नानकमत्ता गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के इस्तीफे नामंजूर करते हुए कमेटी सदस्यों को 15 दिन की धार्मिक सेवा का हुक्म सुनाकर मामले का पटाक्षेप कर दिया है। इस आदेश को कमेटी सदस्यों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब परिसर में पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी के गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में आगमन के दौरान उन्हें चांदी का मुकुट पहनाया गया था। इसे सिख धर्म की परंपराओं के खिलाफ माना गया था। सिख समाज की परम्पनुसार ऐसे समय में दरबार में सरोपा भेंट करने की परंपरा है। दूसरी ओर सीएम के साथ दरबार तक नृत्य करते हुए सांस्कृतिक दल की बालिकाएं पहुंच गई थी, जिन्हें सेवादारों ने रोका भी था।
इस नृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सिख समाज में रोष फैल गया था। गुरुघर में मर्यादाओं के उल्लंघन के मामले की गूंज अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई थी। उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित कई प्रदेशों से आई सिख संगत ने गुरुद्वारा साहिब में एकत्र होकर मामले में कार्यवाही की मांग की थी।
जिसके बाद सिख समाज की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त की तरफ से मामले की जांच के लिए जांच कमेटी गठित कर दी गई थी। नानकमत्ता गुरुद्वारा परिसर में ही जांच कमेटी के समक्ष गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सेवा सिंह, महामंत्री धन सिंह, उपाध्यक्ष जसविंदर सिंह गिल व सचिव केहर सिंह ने अपना इस्तीफा कमेटी को सौंप दिया था। जिस पर कमेटी ने गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के संचालन के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर अपनी जांच रिपोर्ट अकाल तख्त के जत्थेदार के समक्ष प्रस्तुत की।
सिख पंथ की अदालत श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आदेश के अनुसार अध्यक्ष, महासचिव व डेरा कार सेवा प्रमुख अकाल तख्त में पेश हुए। अकाल तख्त साहिब ने जांच के बाद कमेटी की ओर से दिए गए इस्तीफे को नामंजूर करते हुये भूल सुधार करने का मौका दिया।
जिसके तहत जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीतसिंह सिंघसाहिब ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरदार सेवा सिंह, प्रधान सरदार घन्ना सिंह, जनरल सकत्तर सिंह, बाबा तरसेम सिंह व डेरा कार सेवाकार को 15 दिन तक लगातार गुरुद्वारा साहिब में एक घंटा कथा सुनने, जोड़ा घर में जोड़ो की सेवा, लंगर हाल में लंगर की सेवा करने, प्रसाद भेटा करवाने तथा ग्रंथी साहिबान से अरदास करवा कर क्षमा याचना करने सहित गुरुघर की मर्यादा उल्लंघन करने पर सेवा लगाई है। कमेटी के सभी सदस्यों ने व्यक्तिगत पेशी के दौरान श्री अकाल तख्त के इस हुक्मनामे को स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद इस प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया गया।