एक आरटीआई की जानकारी देने के लिए सरकारी बाबू ने मांगे 13 लाख रुपये
जनज्वार ब्यूरो। रायपुर। सूचना का अधिकार गांव के प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक की सूचना मांगने का कारगार हथियार माना जाता है। इस अधिकार ने एक ओर जहां आम आदमी के हाथों को मजबूत किया है वहीं दूसरी ओर ऐसे भी मामले सामने आते हैं जो सबको हैरत में डाल देते हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ से ऐसा मामला सामने आया है जहां एक आरटीआई आवेदन का जवाब देने के लिए 13 लाख रुपये का डिमांड नोटिस भेजा गया है।
आरटीआई कार्यकर्ता उचित शर्मा ने छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय उर्जा अभियकरण (क्रेडा) से सौर सुजला योजना के तहत हुए कार्यों और भुगतान के संबंध में जानकारी मांगी थी। अब क्रेडा की ओर से जवाब मिला है कि यह जानकारी 6.06 लाख पेज की है, ऐसे में दो रुपये प्रति पेज की दर से 13 लाख 20 हजार रूपये की राशि जमा कराने के बाद ही जानकारी दी जाएगी। क्रेडा के जनसूचना अधिकारी अभिषेक शुक्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि जानकारी का स्वरूप वृहद है और विभिन्न कार्यालयों से दस्तावेज एकत्र करने हैं। ऐसे में राशि जमा होने के बाद ही सूचना एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ एक आरटीआई का हाल है।
क्रेडा ने छह मीटर, नौ मीटर और 12 मीटर के ड्यूल पंप के टेंडर और कार्य आदेश से जुड़े दस्तावेज देने के लिए अलग से तीन लाख रुपये का डिमांड नोटिस भेजा है। इसी तरह हाई मास्क लाइट से जुड़े दस्तावेज के लिए एक लाख रुपये का नोटिस भेजा गया है।
आरटीआई कार्यकर्ता उचित शर्मा के मुताबिक यह सूचना पर परोक्ष पहरा है। विभाग जानकारी देने से बचने के लिए भारी भरकम राशि का डिमांड नोटिस भेज रहा है। क्रेडा के अधिकारियों की मंशा सही जानकारी की होती तो वे 13 लाख रुपये का डिमांड नोटिस नहीं भेजते। कानून में व्यवस्था है कि दस्तावेज में पन्नों की संख्या अधिक होने पर उसे दिखाकर जरूरत के अनुसार दस्तावेज चयनित करने और लेने की सुविधा दी जाए।
उचित शर्मा कहते हैं कि सौर सुजला योजना में तीन आरटीआई लगायी गई थी। पंप की जानकारी देने के लिए 13 लाख 20 हजार रुपये, ड्यूल पंप के लिए 3 लाख रुपये और हाई मास्ट लाइट से जुड़े दस्तावेज देने के लिए एक लाख रुपये का नोटिस मिला है। प्रदेश में अब तक किसी भी आरटीआई आवेदन का जवाब देने के लिए इतनी बड़ी राशि की मांग कभी नहीं की गई है।
वहीं क्रेडा के चीफ इंजीनियर कहते हैं कि सभी बीस हजार पंप के लिए अलग-अलग दस्तावेज देने के कारण पेज की संख्या बढ़ गई है। आला अधिकारियों से चर्चा के बाद एकबार फिर तय करेंगे कि आरटीआई में कितने पेजों की जानकारी दी जाए।