Parliamentary Panel : संसदीय समिति ने की गोद लेने के कानून से 'अवैध बच्चे' शब्द हटाने की सिफारिश
Parliamentary Panel : संसदीय समिति ने की गोद लेने के कानून से 'अवैध बच्चे' शब्द हटाने की सिफारिश
एक संसदीय समिति ने गोद लेने के कानून से नाजायज बच्चे के संदर्भ को हटाने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता, चाहे वह विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुआ हो। सूत्रों ने यह जानकारी दी उन्होंने कहा कि समिति ने विभिन्न श्रेणियों के व्यक्तियों के संरक्षण पहलुओं को शामिल करते हुए एक ऐसे व्यापक कानून बनाए जाने की आवश्यकता जताई है, जो धर्म से परे सभी पर लागू हो।
गोद लेने का कानून
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता में कार्मिक लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने ''अभिभावक और वार्ड कानून'' की समीक्षा करते हुए यह सिफारिश की। समिति की ओर से मौजूदा मॉनसून सत्र में ''संरक्षकता (अभिभावक) और गोद लेने के कानूनों की समीक्षा'' पर अपनी रिपोर्ट पेश करने की संभावना है।
कोई भी बच्चा नाजायज नहीं
जानकारी के मुताबिक समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि 'नाजायज' शब्द को हटा देना चाहिए क्योंकि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता और कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए चाहे वे विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुए हों। समिति का मानना है कि अभिभावक के अधिकार पर 'कल्याण सिद्धांत' को प्रधानता देने के लिए 'अभिभावक और वार्ड कानून' में संशोधन करने की आवश्यकता है।
बुजुर्ग व्यक्तियों का संरक्षण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समिति का यह भी विचार है कि दोनों कानूनों में व्यापक रूप से बच्चे के कल्याण को परिभाषित करने की आवश्यकता है। समिति ने सुझाव दिया है कि संशोधित कानून में बुजुर्ग व्यक्तियों के संरक्षण की सुविधा भी होनी चाहिए क्योंकि ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं जहां एक वरिष्ठ नागरिक उस स्तर तक पहुंच सकता है जहां स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ जाती हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य और कल्याण की देखभाल के लिए संरक्षककी आवश्यकता हो सकती है। समिति ने कहा की बच्चों के कल्याण पर भी ध्यान देना चाहिए। बजाय इसके कि अभिभावक के तौर पर किसका अधिकार है।