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राष्ट्रीय

सिख महिला ने कहा, 'अपनी मर्जी से बदला धर्म, जहां हूं खुश हूं, ना दें मामले को धार्मिक-राजनीतिक रंग'

Janjwar Desk
30 Jun 2021 8:06 AM GMT
सिख महिला ने कहा, अपनी मर्जी से बदला धर्म, जहां हूं खुश हूं, ना दें मामले को धार्मिक-राजनीतिक रंग
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सिख महिला के वायरल वीडियो का स्क्रीन शॉट

जम्मू-कश्मीर में चार लड़कियों के जबरन धर्म बदलने के मसले पर बोली दनमीत, अपनी मर्जी से अपनाया इस्लाम, अब कैसे एक बेगुनाह को फंसा दूं

जनज्वार ब्यूरो। "मैं 29 साल की महिला हूं, कोई छोटी बच्ची नहीं हूं। मैंने अपनी मर्जी से धर्म (Religion) बदला है। 2012 में मैंने अपनी मर्जी से धर्म बदला और 2014 में निकाह किया। मैं कोई बच्ची नहीं जो बगैर मेरा स्टेटमेंट दर्ज किये मुझे मेरे परिवार को सौंपा जा रहा है।" ये बातें उस सिख महिला दनमीत ने अपने एक वीडियो में कहीं है, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

दरअसल, धर्मांतरण (forced conversion) का मुद्दा इन दिनों देश में सुर्खियों में है। एक ओर उत्तर प्रेदश (UP) में जबरन धर्म बदलने वाले रैकेट को लेकर यूपी पुलिस (UP Police) कार्रवाई कर रही है। वहीं जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सिख महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में नया मोड़ आ गया है। जम्मू-कश्मीर का सिख परिवार अपनी जिस बेटी (दनमीत) के मिसिंग होने का दवा कर रहा है, उसका एक वीडियो वायरल (Video Viral) हो रहा है। जिसमें उसने साफ कहा है कि उसने अपनी मर्जी से धर्म बदला है। और देश का संविधान उसे इस बात की इजाजत देता है। इसलिए इस मामले को धर्मिक, राजनीतिक रंग देने का कोई मतलब नहीं है।

'मैं बच्ची नहीं, जो किया अपनी मर्जी से किया'

करीब 10 मिनट के इस वायरल वीडियो में सिख महिला ने साफ कहा है कि उस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है। ना ही उसे गन प्वाइंट पर रखकर कोई बयान दिलवाया गया है। जबरन धर्म परिवर्तन की बात से इनकार करते हुए दनमीत ने कहा कि उसने 2012 में ही इस्लाम कबूल लिया था। और 2014 में अपने बैंच के एक मुस्लिम लड़के से निकाह किया। जो भी हुआ, दोनों की रजामंदी से हुआ।

अपने वीडियो मैसेज में दननीत ने कहा कि 6 जून, 2021 को भी वो अपनी मर्जी से घर छोड़ आय़ी थी। उसने अपने घरवालों को बोला भी कि उसे नहीं ढूंढे। लेकिन परिवार ने पुलिस को सूचना दी और दो घंटे में दननीत को पकड़ कर पुलिस सदर पुलिस स्टेशन बागत ले आय़ी। जहां उसकी फैमिली के अलावे सिख समुदाय के कई लोग मौजूद थे। इस दौरान सिख महिला लगातार कहती रही कि जो कुछ हुआ उसमें उसकी रजामंदी है। लड़के का कोई दोष नहीं है। उसने हाईकोर्ट के दस्तावेज भी दिखाये, इसके बावजूद पुलिस ने लड़के को लॉकअप में डाल दिया। और सिख समुदाय के लोग कहते रहे कि दबाव में लड़की ये सब बोल रही है।

'सिख समुदाय ने दी धमकी'

धर्मांतरण मसले पर बड़ा खुलासा करते हुए दनमीत ने कहा कि उस पर कभी कोई दबाव नहीं था। सिख समुदाय पर धमकी देने का आरोप लगाते हुए अपने वीडियो में कहा कि महिला ने दावा किया कि लड़के के विरोध में बयान देने के लिए उस पर दबाव बनाया गया। उसका कहना है कि सिख फेडरेशन ने उसे जबरन धर्मांतरण की बात मानने और लड़के को फंसाने को कहा। साथ ही ऐसा नहीं करने पर जान से मारने और एसिड अटैक जैसी धमकियां भी दी। इतना तक कहा गया कि उसकी मौत को हार्ट अटैक से हुए अचानक मौत बता दिया जायेगा।


अपने वीडियो में महिला बार-बार जिक्र कर रही है कि ये कोई दो-चार दिन पुराना मसला नहीं है। बल्कि 2012 में ही उसने धर्म बदल लिया था। वो 29 साल की शिक्षित और बालिग है। जिसे अच्छे-बुरे की समझ है। जिसे संविधान राइट टू रिलीजन (Right To Religion), राइट टू मैरिज (Right To Marriage) का अधिकार देता है। वो अपने हक और अधिकारियों क बारे में भली—भांति जानती है।

'कैसे किसी बेगुनाह को फंसा दूं?'

6 जून से 25 जून तक की पूरी कहानी दनमील ने अपने वीडियो मैसेज में सुनाई है। कैसे वो पहले जम्मू और फिर पंजाब लायी गयी। कैसे उस पर हर तरीके से दबाव बनाया गया, कि वो जबरन धर्म बदलवाने की बात स्वीकार करते हुए लड़के के खिलाफ बयान दे। लेकिन उसने अपने मैसेज में पूछा है कि जब लड़के ने कुछ गलत नहीं किया तो, कैसे एक बेगुनाह को वो फंसा दें। पंजाब में उससे यहां तक कहा गया कि एक वीडियो बनाकर दे, जिसमें जबरन धर्मांतरण की बात हो। उस वीडियो को कश्मीर की कोर्ट में पेश कर दिया जायेगा।

दनमीत ने बताया कि उसने अपने परिवार को मनाया कि वो लड़के के खिलाफ गवाही देगी, लेकिन पंजाब नहीं जम्मू में। जिसके बाद वो जम्मू आ गयी। फिर 25 जून को कश्मीर पुलिस उसके घर आयी, जिसके साथ जम्मू की पुलिस भी थी। और हाईकोर्ट के ऑर्डर पर सिख महिला को जानिबपुर पुलिस स्टेशन लाया गया, जहां से कश्मीर पुलिस के हवाले कर दिया।

अपने बयान पर कायम दनमीत ने कहा कि इतना तो हर पढ़ा लिखा नागरिक जानता है कि कोर्ट औऱ जज के सामने कोई दबाव नहीं होता। 6-25 जून के बीच तीन बार की सुनवाई रद्द होने की जानकारी देते हुए उसने बताया कि कोई बंदूक की नोंक पर आपसे बयान नहीं दिलवा सकता। जब जज के सामने मैंने अपनी मर्जी से बयान दिया है, जिसमें धर्मांतरण जैसी कोई बात नहीं है। फिर क्यों इसे मुद्दा बनाया जा रहा है।

मैं जहां हूं, खुश हूं ऐसा कहते हुए दनमीत ने अपने वीडियो मैसेज में इस मसले को जबरन धार्मिक रूप देने, इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करने की बार-बार अपील की है। साथ ही कहा कि ये कोई अल्पसंख्यक का मसला ही नहीं है। बेवजह इस पर प्रोपगैंडा फैलाया जा रहा है।

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