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CJI एनवी रमना बोले, सभी के लिए समान न्याय सुनिश्चित किए बिना निरर्थक है संवैधानिक गारंटी

Janjwar Desk
2 Oct 2021 4:30 PM GMT
देश के 65 अधिवक्ताओं ने सीएजी को लिखी चिट्ठी, आईएएमसी गठन में सीजेआई एनवी रमना की भूमिका पर उठाए सवाल, जांच की मांग
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देश के 65 अधिवक्ताओं ने सीएजी को लिखी चिट्ठी, आईएएमसी गठन में सीजेआई एनवी रमना की भूमिका पर उठाए सवाल, जांच की मांग

CJI ने कहा कि न्याय (Justice) तक पहुंच की चाबी कानूनी जागरूकता पैदा करने में निहित है। इस सुधार प्रक्रिया के पीछे प्रेरक शक्ति होगी....

जनज्वार। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और नालसा (NALSA) के संरक्षक जस्टिस एनवी रमना ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन से अखिल भारतीय जागरूकता और आउटरीज कैंपने के शुभारंभ पर कहा कि समानता की संवैधानिक गारंटी के लिए सभी को समान न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह निर्विवाद सच है कि केवल समावेश ही एक जीवंत लोकतंत्र सुनिश्चित कर सकता है और न्याय तक समावेशी पहुंच के बिना सतत विकास संभव नहीं होगा। हमारे संविधान (Indian Constitution) निर्माता सामाजिक और आर्थिक वास्तविकता से अवगत थे इसलिए उन्होंने कल्याणकारी राज्य पर जोर दिया जहां कोई भी जीवन की बुनियादी जरूरतों से वंचित न हो।

कार्यक्रम नालसा (Natinal Legal Service Authority Of India) 2 अक्टूबर 2021 में इस दौरान केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू, नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस यू.यू. ललित, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष और जस्टिस ए.एम. खानविलकर भी मौजूद थे।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई रमना ने कहा कि अधिकारों की रक्षा के लिए हमारे पास कानूनों का समान संरक्षण और कानून के समक्ष समानता है लेकिन कमजोर वर्ग अपने अधिकारों का इस्तेमाल न कर सके तो यह अर्थहीन हो जाएगा। समानता और न्याय तक पहुंच एक दूसरे के पूरक हैं। प्रमुख देशों में सामाजिक-आर्थिक अंतराल और न्याय तक असमान पहुंच इन विभाजनों को चौड़ा करती है और व्यक्ति की पूर्ण क्षणता का दमन करती है।

कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई ने आगे कहा कि हमारे जैसा एक जटिल समाज जहां असमानताएं (Inequality) भरी हैं, वहां समस्याएं अपने आप कई गुना बढ़ जाती हैं। दैनिक वेतन की हानि, बेदखली की संभावना, स्वास्थ्य देखभाल की कमी और भविष्य में भोजन के बारे में अनिश्चितता सभी न्याय तक पहुंच से जुड़ी हैं। इसकी सामाजिक लागत अकल्पनीय है। न्याय तक समान पहुंच प्रदान किए बिना सामाजिक आर्थिक न्याय प्राप्त करना असंभव होगा।

रमना ने आगे कहा कि यही कारण है कि आज राज्य के तीनों अंग समानता व निष्पक्षता के आधार पर भविष्य के लिए प्रयास करने के लिए एकसाथ आए हैं। न्याय (Justice) तक पहुंच की चाबी कानूनी जागरूकता पैदा करने में निहित है। इस सुधार प्रक्रिया के पीछे प्रेरक शक्ति होगी। केवल कमजोर वर्ग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे तो वे अपना भविष्य खुद बना सकते हैं। इस देश में हम लोगों को यह मससूस करने की आवश्यकता है कि कानून और प्रशासन सभी के लिए है। एक लोकतांत्रिक देश में यह नागरिकों का विश्वास है।

सीजेआई ने नालसा (Nalsa) को लेकर कहा कि पच्चीस साल पहले अपनी स्थापना के बाद से नालसा ने करोड़ों लोगों को सेवाएं प्रदान की हैं, उन्हें उनके अधिकारों को महसूस करने में मदद की है। लेकिन अब नालसा का लक्ष्य होना चाहिए कि यदि जरूरतमंद नहीं कर सकते हैं हम तक पहुंचें, हम जरूरतमंदों तक पहुंचेंगे। इस आग को देश के सबसे दूर के कोने और सबसे कमजोर व्यक्ति तक लेकर जाना है। राज्य के सभी अंगों के लिए एक साथ काम करना सच्ची स्वतंत्रता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के आजादी के 75 साल बाद भी एक चुनौती है। असमानता से आजादी, सपने देखने की आजादी, हासिल करने की आजादी, लोगों को सशक्त और सक्षम बनाने की आजादी की कुंजी में है।

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