Supreme Court के पूर्व जज ने कहा- क्रिकेट में भारत पर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाना देशद्रोह नहीं
(सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता की फाइल)
India Pakistan T-20 World Cup। दुबई में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए टी-20 क्रिकेट विश्व कप में भारत को करारी हार मिली थी। इसके बाद देश के कई हिस्सों में पाकिस्तानी टीम (Pakistan Cricket Team) के जीत का कथित तौर पर जश्न मनाया गया। वहीं कहीं तोड़फोड़ की खबरें सामने आयीं। इसके बाद कई जगह थानों में जश्न मनाने वालों के खिलाफ राजद्रोह (Sedition) और आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता (Justice Deepak Gupta) ने कहा है कि पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाना निश्चित रूप से राजद्रोह नहीं है।
'द वायर' को दिए इंटरव्यू में जस्टिस दीप गुप्ता ने कहा कि यह निश्चित रूप से राजद्रोह नहीं है लेकिन यहसोचना निश्चित रूप से हास्यास्पद है कि यह राजद्रोह के बराबर है..इन लोगों पर उन अपराधों के तहत आरोप लगाने से बेहतर चीजें हैं, क्योंकि राजद्रोह के आरोप अदालत में टिक नहीं पाएंगे, इससे समय और जनता का पैसा बर्बाद होगा।
जस्टिस गुप्ता ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई कुछ लोगों के लिए अपमानजनक हो सकती है लेकिन यह कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई चीज कानूनी हो सकती है लेकिन यह अवैध कहने से अलग है...यह जरूरी नहीं कि सभी कानूनी कार्य अच्छे या नैतिक कार्य हों और सभी अनैतिक या बुरे कार्य अवैध कार्य हों। शुक्र है हम कानून के शासन द्वारा शासित हैं न कि नैतिकता के नियम से। समाज में अलग-अलग धर्मों और अलग-अलग समय में नैतिकता के अलग-अलग अर्थ होते हैं।
पूर्व जज ने बलवंत सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य के मामले का हवाला देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि खालिस्तान जिंदाबाद का नारा राजद्रोह नहीं है, क्योंकि इसमें हिंसा या सार्वजनिक अव्यवस्था का कोई आह्वान नहीं है। इस पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा पोस्ट किया गया ट्वीट कि आगरा में कश्मीरी छात्र, जिन्होंने, भारत पर पाकिस्तानी जीत का जश्न मनाया, उस पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाएगा, निश्चित रूप से यह देश के कानून के खिलाफ है और और एक जिम्मेदारी वाली बात नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर वे (यूपी मुख्यमंत्री कार्यालय) राजद्रोह पर विभिन्न फैसलों के माध्यम से जाते तो मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान जारी न करने की सलाह दी जाती। मुझे नहीं पता कि क्या वे उस प्रसिद्ध मामले (बलवंत सिंह) से अवगत हैं।
जस्टिस गुप्ता ने आगे कहा कि मैं कार्रवाई का समर्थन नहीं कर सकता हालांकि खेल में आप दूसरे पक्ष का समर्थन क्यों नहीं कर सकते...बहुत सारे ब्रिटिश नागरिक या भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक भारतीय टीम के लिए खुश होते हैं जब एक मैच लॉर्ड्स में खेला जाता है। क्या भारत में हममें से कोई भी महसूसी करेगा अगर उनपर उनके देश में राजद्रोह का आरोप लगाया जाए? तब हम एक पूरी तरह से अलग धुन गा रहे होंगे।
राजद्रोह के दुरुपयोग के आरोपों को लेकर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि अब समय आ गया है जब राजद्रोह की इस धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी जा रही है, सुप्रीम कोर्ट को कदम उठाना चाहिए और बिना किसी अनिश्चित शर्तों के घोषित करना चाहिए कि यह कानून संवैधानिकता वैध है या नहीं। भले ही यह वैध है, इसकी सीमाएं क्या हैं, जो इसे बहुत सख्त बनाती हैं।