Supreme Court on freebies : सीजेआई रमना का सवाल - सही वादे क्या हैं, मुफ्त बिजली-पानी और शिक्षा को हम मान लें फ्रीबीज!
सोशल मीडिया पर हो रही टू फिंगर टेस्ट पर एससी के फैसले की तारीफ, अभिषेक मनु सिंघवी बोले - यह सबसे घटिया और पितृसत्तात्मक प्रथा
Supreme Court on freebies : फ्रीबीज को को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जारी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में आज एक बार फिर सुनवाई जारी है। सीजेआई एनवी रमना ( CJI NV Ramana ) की अध्यक्षता वाली बेंच फ्रीबीज पर सुनवाई कर रही है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई रमना ने मुफ्त की योजनाओं को लेकर कई टिप्पणियां कीं हैं। मुफ्त की योजनाओं को लेकर सुनवाई करते हुए सीजेआई रमना ( CJI NV Ramana ) ने कहा कि ये सही है कि हम राजनीतिक दलों को वादे करने से नहीं रोक सकते हैं लेकिन सवाल ये है कि सही वादे क्या हैं और किन्हें फ्रीबीज ( Freebies ) के तौर पर सही मना जाए? क्या हम मुफ्त शिक्षा और कुछ यूनिट मुफ्त बिजली को फ्रीबीज के तौर पर देख सकते हैं।
अहम सवाल : पानी-बिजली फ्री में देना फ्रीबीज है या नहीं
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मसले गंभीर प्रकृति के हैं और जनता से जुड़े हैं। इस पर सार्थक चर्चा होनी जरूरी है। सीजेआई ( CJI NV Ramana ) ने इस मसले पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि ऐसे वादे ही किसी पार्टी की जीत या सत्ता में आना तय नहीं करते हैं। ये सवाल है कि पानी और बिजली लोगों को देना फ्रीबीज ( Freebies ) है या नहीं।
पब्लिसिटी के लिए न हो हलफनामे का इस्तेमाल
बुधवार को कोर्ट ( Supreme Court ) में सुनवाई के दौरान फ्रीबीज के मसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि हमारे पास हलफनामे नहीं पहुंचे हैं। जबकि मीडिया को ये पहले मिल गए हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इसका इस्तेमाल पब्लिसिटी के लिए नहीं होना चाहिए। साथ ही ये सुनिश्चित किया जाए कि एप्लीकेशन की कॉपी सभी पार्टियों को दी जाएं। इस मामले को लेकर सुझाव और बाकी चीजों की जानकारी शनिवार तक दर्ज करवा सकते हैं।
ये है फ्रीबीज का मामला
फ्रीबीज ( Freebies ) को लेकर भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की थी। अपनी याचिका के जरिए उपाध्याय ने शीर्ष अदालत ( Supreme Court ) से मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करने वाली पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक्सपर्ट कमेटी बनाने की बात कही है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने इस याचिका के खिलाफ सख्त विरोध जताया है। आम आदमी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं मुफ्त उपहार या फ्रीबीज नहीं हो सकते। यदि इस मसले पर सुनवाई हो रही है तो इसमें सांसदों, विधायकों और कॉरपोरेट्स को दिए जाने वाले भत्तों पर विचार किया जाना चाहिए।