कृषि कानूनों पर आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें अबतक क्या-क्या हुआ
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जनज्वार। तीन नए कृषि कानूनों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। 11 जनवरी, सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि हम नहीं समझते कि केंद्र ने इस मामले को सही तरीके से हैंडल किया है।
पिछले 48 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के बीच सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि हम इसे लेकर एक कमिटी बनाने की सोच रहे हैं और इस कानून के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगाने की भी सोच रहे हैं। अब सबकी निगाहें सर्वोच्च न्यायालय में आज होनेवाली सुनवाई और फैसले पर टिक गई हैं।
सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र से कहा कि अगर आप इस कानून पर रोक नहीं लगाएंगे तो हम लगा देंगे। कोर्ट ने कहा कि हम कमिटी बनाने जा रहे हैं, इसपर किसी को कुछ कहना हो तो कहे।
सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए। लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। कानून पर रोक लगने के बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे।
चीफ जस्टिस ने कहा कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। लोग मर रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं। हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है। खैर, हम कमिटी बनाने जा रहे हैं। किसी को इस पर कहना है तो कहे।
हालांकि सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे। इसलिए, हम इस पर नहीं जाना चाहते हैं। अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं। आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं। नहीं तो हम लगा देंगे।
वहीं एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी। कई लोगों से चर्चा की। पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था।
कोर्ट ने कहा कि आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है। लोग कह रहे हैं कि कोर्ट को क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं, लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं। एक साझा हल निकले। अगर आपमें समझ है तो फिलहाल कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए। इसके बाद बात शुरू कीजिए। हमने भी रिसर्च किया है। हम एक कमिटी बनाना चाहते हैं।
उधर केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन मंगलवार को 49वें दिन भी जारी है। किसानों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे बहस कर रहे हैं। वहीं केंद्र और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई आठ राउंड की बैठक बेनतीजा रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी।