Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

स्वामी विवेकानंद ने सांप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न खतरों का किया था विश्लेषण, उनके शब्दों पर ध्यान देने की जरूरत : CJI एनवी रमना

Janjwar Desk
12 Sep 2021 10:42 AM GMT
स्वामी विवेकानंद ने सांप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न खतरों का किया था विश्लेषण, उनके शब्दों पर ध्यान देने की जरूरत : CJI एनवी रमना
x

(जस्टिस रमणा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद मजबूती से इस बात को मानते थे कि धर्म का असली सार सामान्य भलाई और सहिष्णुता है)

सीजेआई रमणा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद मजबूती से इस बात को मानते थे कि धर्म का असली सार सामान्य भलाई और सहिष्णुता है। धर्म अंधविश्वास और कठोरता से ऊपर होना चाहिए....

जनज्वार। सीजेआई जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन एक्सीलेंस के 22वें स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि धर्म को अंधविश्वास और कठोरता से ऊपर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) ने अपने संबोधन (1893 में शिकागो धर्म संसद) में सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति के विचार का प्रचार किया। सीजेआई स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की 128वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

सीजेआई रमना ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद ने समाज में राष्ट्रों और सभ्यताओं के लिए अर्थहीन और सांप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न खतरों का विश्लेषण किया। आज समकालीन भारत में स्वामी विवेकानंद द्वारा 1893 में बोले गए शब्दों पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उपमहाद्वीप में हुए दर्दनाक मंथन से बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप भारत का संविधान बना। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता (Secularism) की वकालत की जैसे कि वो पहले से सब जानते थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि धर्म (Religion) का असली सार सामान्य भलाई और सहिष्णुता है।

जस्टिस रमणा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद मजबूती से इस बात को मानते थे कि धर्म का असली सार सामान्य भलाई और सहिष्णुता है। धर्म अंधविश्वास और कठोरता से ऊपर होना चाहिए। पुनरुत्थान भारत बनाने का सपना पूरा करने के लिए सामान्य भलाई और सहिष्णुता के सिद्धांतों के माध्यम से हमें आज के युवाओं में स्वामी जी के आदर्शों को स्थापित करना चाहिए। युवाओं को जागरूक होने की जरूरत है कि उनके कार्य राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं। उन्होंने युवा स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा निभाई गई भूमिका को भी याद करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी उनके नामों के बिना अधूरी होगी।

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा और जागरूकता सशक्तिकरण के प्रमुख घटक हैं और आज के युवां को अपने संघर्ष के दिनों से मिलने वाली पहुंच की तुलना की। जस्टिस रमणा ने कहा कि मैं एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से हूं। हमने खुद को शिक्षित करने के लिए संघर्ष किया। आज संसाधन आपकी उंगलियों पर उपलब्ध हैं। सूचना के प्रवाह में आसानी के साथ आधुनिक समाज की अति जागरूकता की अनुमति है। छात्र सामाजिक और राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक हैं। आपको समाज और राज व्यवस्था के सामने आने वाली सामाजिक बुराइयों और समसामयिक मुद्दों के बारे में पता होना चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि अपनी दृष्टि का विस्तार करने और अपनी राय में विविधता लाने के लिए किताबें पढ़ें। उन्होंने युवाओं को शहरी स्थानों के भीतर मौजूद झुग्गी बस्तियों के बारे में जागरूक होने के लिए और गांवों का दौरा कर ग्रामीण जीवन के बारे में जागरूक होने के लिए दौरा करने के लिए प्रोत्साहित किया। जस्टिस रमना ने सलाह दी कि समाज में सार्थक बदलाव लाने और समाधान ढूंढने की मानसिकता के साथ यह सब जागरूकता भी होनी चाहिए।

Next Story

विविध