Tata Sons Vs Cyrus Mistry : टाटा के साथ विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट से साइरस मिस्त्री को राहत नहीं, शीर्ष अदालत ने ये कहा
रतन टाटा के साथ सायरस मिस्त्री की फाइल फोटो
Tata Sons Vs Cyrus Mistry : सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को टाटा बनाम साइरस मिस्त्री कानूनी विवाद (Tata Sons Vs Cyrus Mistry) में साइरस मिस्त्री की ओर से दाखिल की गयी पुनर्विचार याचिको को खारिज कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री के खिलाफ दिए गए फैसले में की गयी कुछ प्रतिकिूल टिप्पणियों को फैसले से हटाने पर अपनी सहमती दे दी हैं
आपको बता दें कि देश की शीर्ष अदालत ने एसपी (शपोरजी-पालोनजी) समूह की उस याचिका (Tata Sons Vs Cyrus Mistry) को खारिज कर दिया है जिसमें साइरस मिस्त्री को टाटा संस के प्रमुख के पद से हटाने के 2021 के फैसले की समीक्षा और उस पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला लिया।
बता दें कि मार्च 2021 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला देते हुए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रीब्यूनल के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें साइरस मिस्त्री को बोर्ड के डायरेक्टर के पद पर नियुक्त (Tata Sons Vs Cyrus Mistry) करने की मंजूरी दी गयी थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि कानून के सभी तर्क टाटा के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले (Tata Sons Vs Cyrus Mistry) में कठोर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि साइरस मिस्त्री को चेयरमैन बनाना रतन टाटा की सबसे बड़ी गलती थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि साइरस इनवेस्टमेंट्स, स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स की याचिका खारिज की जाती है।
इसके बाद एसपी ग्रुप और साइर मिस्त्री ने अप्रैल 2021 में फिर सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 26 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका डाली गयी थी।
इस पुनर्विचार याचिका (Tata Sons Vs Cyrus Mistry) की सुनवाई करते हुए अब शीर्ष अदालत ने कहा है कि उसे पुनर्विचार याचिका में कोई आधार नहीं मिला है। तीन जजों की बेंच ने चेंबर में इस पर विचार किया, हालांकि जस्टिस वी रामासुब्रण्यम ने अल्पमत के फैसले में कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज किया जाए। यहां बता दें कि 26 मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए साइरस मिस्त्री को टाटा संस के प्रमुख के पद से हटाने के फैसले को बरकरार रखा था।