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Supreme Court का आदेश आधी सजा काट चुके कैदी होंगे रिहा, योगी सरकार को मिला चेतावनी भरा नोटिस

Janjwar Desk
12 Oct 2021 7:30 AM GMT
dilli news
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(आधी सजा पूरी कर चुके कैदियों को छोड़ने पर विचार)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर जिला जेल का अधीक्षक ऐसे कैदियों की पहचान कर उनकी सूचना जिला लीगल सेवा समिति को देंगे जो उनकी अर्जी बनाकर सरकार को भेजेगी...

जनज्वार, मंगलवार 12 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों के लंबन और देरी के कारण जेल में कैदियों की भीड़ को कम करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। कहा है कि तय सजा (तीन, पांच, सात 10 और 20 साल) पाए ऐसे कैदी जो सजा की आधी से ज्यादा अवधि जेल में गुजार चुके है, उन्हें रिहा करने पर विचार किया जाए।

शीर्ष कोर्ट ने आदेश में कहा कि ऐसे कैदी यदि लिख कर देते हैं कि उन्होंने जो अपराध किया है उस कृत्य के लिए उन्हें पछतावा है और उन्हें जो जेल की सजा मिली है वह सही है तो सरकार ऐसे कैदियों की शेष सजा माफ करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है और उन्हें जेल से रिहा कर सकती है। कोर्ट ने इसके लिए समय सीमा भी तय की है।

कोर्ट ने कहा, हर जिला जेल का अधीक्षक ऐसे कैदियों की पहचान कर उनकी सूचना जिला लीगल सेवा समिति को देंगे जो उनकी अर्जी बनाकर सरकार को भेजेगी। राज्य सरकारें इन अर्जियों पर तय समय के अंदर फैसला लेगी। इसमें माफ किए दोषियों को हाईकोर्ट में दायर अपनी अपीलों को वापस लेना होगा।

न्यायमूर्ति एस.के. कौल और एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने आदेश में कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालयों में शुरू किया जाए। इसकी रिपोर्ट जनवरी 2022 में कोर्ट में रखी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य यह नहीं है कि दोषियों से जबरन कबूलनामा लिखवाया जाए और उनके सजा के खिलाफ अपील करने के अधिकार को समाप्त कर दिया जाए।

साथ ही शीर्ष अदालत ने अपने दिए आदेश में कहा कि, उम्रकैद की सजा वाले मामलों में जहां दोषी आठ साल व 16 साल की सजा जेल में काट चुके हैं उनकी जमानत याचिकाएं लीगल सेवा समित उच्च न्यायालय में दायर करेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस/चेतावनी

कैदियों को छोड़ने के इस पायलट प्रोजेक्ट पर यूपी सरकार को नोटिस जारी जारी किया है और उससे जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि यूपी सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है जहां ऐसे मामले बहुतायत में हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि यूपी सरकार एक माह में सूचनाएं नहीं देती है तो एमाइकस क्यूरी वकील इस मामले का अदालत में उल्लेख करेंगे। इसके बाद प्रदेश के मुख्य सचिव को अदालत में तलब किया जाएगा। बिहार सरकार ने सूचनाएं नालसा को दे दी हैं। मामले की सुनवाई जनवरी 2022 में होगी।

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