Tripura Violence : स्टेट पुलिस का बड़ा एक्शन, सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 4 वकीलों पर लगाया UAPA, पूछताछ के लिए तलब
(त्रिपुरा हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज)
Tripura Violence : पूर्वोत्तर भारतीय राज्य त्रिपुरा (tripura) में फैली हिंसा और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली सोशल मीडिया पोस्ट (social media post) के खिलाफ कार्रवाई करते हुए त्रिपुरा पुलिस ( tripura police ) ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के चार वकीलों पर गैर कानूनी गतिविधियां ( UAPA ) सहित कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ पश्चिमी त्रिपुरा जिले के एसपी मानिक दास ने कहा कि सभी वकीलों को नवंबर में पुलिस के सामने पेश होने का समन भेजा गया है।
एसपी मानक दास के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकील पिछले मंगलवार को त्रिपुरा आए थे। उसके बाद हमने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट देखे जिनमें घटनाओं को लेकर नाराज़गी व्यक्त की गई थी। फिलहाल, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में त्रिपुरा की जनना चाहती है कि ये पोस्ट फेक थे या उन्होंने ही जारी किए थे। अगर ये लोग फेक पोस्ट के दोषी पाए गए तो सात साल तक की सज़ा हो सकती है।
इस मामले में एडवोकेट एत्हेशाम हाशमी, अमित श्रीवास्तव और अंसार इंदौरी सहित एक अन्य को नोटिस भेजे गए हैं। इन लोगों ने कथित तौर पर ये दावा किया था कि मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया था जिसमें महिलाएं शामिल थीं और एक मस्जिद को भी नुकसान पहुंचाया गया था। भड़काउ पोस्ट के साथ इन्होंने लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई की मांग की थी। अफवाहें फैलाई और उन अधिकारी के ख़िलाफ भी कदम उठाने की मांग की जिन्होंने हिंसा के दौरान ज़रूरी क़दम नहीं उठाए थे। कई जाने माने वकील और संविधान के जानकारों ने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि वकीलों को फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट के आधार पर नोटिस जारी किया गया है।
प्रशांत भूषण ने की पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग
Tripura Police Invoke UAPA Against Lawyers Over Fact-Finding Report On Communal Violence! This is the grossest possible abuse of UAPA by the police.The policemen must be book for malicious prosecution&suspended for violating rightshttps://t.co/dC97yuigk9 https://t.co/dC97yuigk9
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 5, 2021
त्रिपुरा पुलिस की इस कार्रवाई के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा — त्रिपुरा पुलिस ने एक सांप्रादायिक हिंसा पर एक फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट को लेकर वकीलों के ख़िलाफ यूएपीए लगा दिया है। ये यूएपीए का बिल्कुल ग़लत इस्तेमाल है। पुलिसवालों पर दुर्भावनापूर्ण अभियोजन और अधिकारों के हनन के लिए कार्रवाई होनी चाहिए।
हाल ही में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ( VHP ) की ओर से 26 अक्तूबर को रैली का आयोजन किया गया था। इस दौरान कथित तौर पर एक स्थानीय मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और कुछ दुकानों में आग लगा दी गई। इस हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसे त्रिपुरा का बताया गया। उत्तरी त्रिपुरा के पुलिस अधीक्षक भानुपद चक्रवर्ती ने कहा था कि पास के रोवा बाजार में कथित तौर पर तीन घरों और कुछ दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी। पुलिस का कहना है कि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो किसके द्वारा वायरल की गई थी, जिससे राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ी।