Unparliamentary Words : संसद में पाखंड, भ्रष्ट, जुमलाजीवी जैसे शब्दों पर लगा बैन, विपक्षी सांसद बोले - 'मैं तो करूंगा'
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Unparliamentary Words : लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐेसे शब्दों का संकलन तैयार किया है, जिसे असंससदीय भाषा ( unparliamentary word ) की श्रेणी में रखा गया है। अब ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया है। यानि अब लोकसभा ( Lok Sabha ) और राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में सदन की कार्यवाही के दौरान बहुत सारे शब्दों का इस्तेमाल करना ग़लत और असंसदीय माना जाएगा।
घड़ियाली आंसू, जयचंद, शकुनी, जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी रोक
अगर सांसद ( Member of Parliament ) ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेंगे तो उसे सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं किया जाएगा। लोकसभा सचिवालय ( Lok Sabha Secretariat ) द्वारा असंसदीय शब्द 2021 के नाम से तैयार शब्दों और वाक्यों की सूची सारे सांसदों को भेजा गया है। विपक्षी सासंद इसकी आलोचना कर रहे हैं। नए नियमों के मुताबिक गद्दार, घड़ियाली आंसू, जयचंद, शकुनी, भ्रष्ट जैसे कई शब्दों और मुहावरों पर रोक लगा दी गई है।
मोदी सरकार को शर्म आनी चाहिए
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। आप मुझे सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दीजिएगा। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि कुछ ही दिनों में संसद का सत्र शुरू होने वाला है। ठीक उससे पहले सांसदों पर पाबंदी लगाने वाला आदेश जारी किया गया है। अब हमें संसद में भाषण देते समय इन बुनियादी शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।मोदी सरकार को शर्म आनी चाहिए। अब हम दुर्व्यवहार किया, धोखा दिया, भ्रष्ट, पाखंड, अक्षम जैसे शब्दों पर रोक लगाते हुए। मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। मुझे निलंबित कर दीजिए। लोकतंत्र के लिए लड़ाई लडूंगा।
तो ये भी नहीं बता सकती - मोदी सरकार असक्षम है
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी ट्वीट करते हुए लिखा है कि आपके कहने का यह मतलब है कि अब मैं लोकसभा में यह भी नहीं बता सकती कि हिंदुस्तानियों को एक अक्षम सरकार ने कैसे धोखा दिया है, जिन्हें अपनी हिपोक्रेसी पर शर्म आनी चाहिए?
अब और क्या करोगे, बताओ गुरु
वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मोदी सरकार की असलियत बताने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्दों को अब 'असंसदीय' माना जाएगा। अब आगे क्या विषगुरु?
ये है नियम
बता दें कि संसद के सदस्य कई बार सदन में ऐसे शब्दों, वाक्यों या अभिव्यक्ति का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन्हें बाद में सभापति या अध्यक्ष के आदेश से रिकॉर्ड या कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाता है। लोकसभा में कामकाज की प्रक्रिया एवं आचार के नियम 380 के मुताबिक अगर अध्यक्ष को लगता है कि चर्चा के दौरान अपमानजनक या असंसदीय या अभद्र या असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, तो वे सदन की कार्यवाही से उन्हें हटाने का आदेश दे सकते हैं। नियम 381 के मुताबिक सदन की कार्यवाही का जो हिस्सा हटाना होता है, उसे चिन्हित करने के बाद कार्यवाही में एक नोट इस तरह से डाला जाएगा कि अध्यक्ष के आदेश के मुताबिक इसे हटाया गया।