UP Elections 2022 : ऐसा क्यों बोले राकेश टिकैत, जो होना था वो हो गया, मोदी सरकार के लिए मन में कोई दुराव नहीं
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत
UP Elections 2022 : संयुक्त किसान मोर्चा ( SKM ) द्वारा किसान आंदोलन ( Kisan Andolan ) की वापसी की घोषणा के ठीक एक दिन बाद राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) ने मीडियाकर्मियों से क्यों कहा कि जो होना था वो हो गया। सरकार और किसानों के बीच समझौता होने के बाद अब हमारे मन में मोदी सरकार ( Modi Government ) को लेकर कोई असंतोष और दुराव वाली बात नहीं है। हम लोग जल्द गाजीपुर बॉर्डर जल्द ही खाली कर देंगे।
16 दिसंबर तक पूरा खाली होगा गाजीपुर बॉर्डर
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait ) ने कहा कि 15 से 16 दिसंबर तक गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह खाली हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि 12 दिसंबर तक कम से कम एक रोड पूरी तरह खुल जाए।
हर साल लगाएंगे किसानों का मेला
उन्होंने कहा एक खास बात यह बताई कि आंदोलन में शामिल लोगों को हर साल मिलाने के लिए 8-10 दिनों का एक मेला लगाया जाएगा। हम चाहते थे कि 10 तारीख से ही किसान अपने घरों को जाने लगें लेकिन हेलिकॉप्टर क्रैश में सीडीएस बिपिन रावत और अन्य अधिकारियों के निधन के शोक के बीच हम खुशियां नहीं मनाना चाहते। इसलिए हमने 11 तारीख से विजय मनाने और वापस लौटने का फैसला किया है।
पहले वाले तेवर में नहीं दिखे राकेश टिकैत
आज मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान उनके चेहने वार जीत की वो चमक नहीं दिखी जो पंजाब के किसानों के चेहरे पर लोग आसानी से पढ़ पा रहे हैं। फिर, उन्होंने मोदी सरकार से दुराव न होने की बात क्यों कहीं? क्या वो किसानों और सरकार के बीच हुए समझौते से संतुष्ट नहीं हैं। अगर नहीं हैं, तो क्यों?
आगे की राह मुश्किल
दरअसल, राकेश टिकैत की असली मुसीबत अब शुरू हुई है। ऐसा इसलिए कि सरकार और किसानों के बीच हुए समझौते में पंजाब किसान संगठनों के नेताओं के हाथ तो बहुत कुछ आया, लेकिन अंतिम दौर में राकेश टिकैत पिछड़ गए। अंतिम दौर की बातचीत में सरकार ने एसकेएम को तवज्जो दी। इतना ही नहीं, एसकेएम के उस पांच सदस्यीय समिति से बातचीत की जिसमें राकेश टिकैत नहीं थे। एसकेएम नेताओं ने उन्हें ज्यादा भाव नहीं दिया। लखीमपुर खीरी मसले पर भी उनकी छवि धूमिल हुई थी, उनपर परदे के पीछे से योगी से अकेले बातचीत करने का आरोप लगा था।
क्या चुनाव में एंट्री मारेंगे, किसके साथ मिलाएंगे हाथ
ऐसे में राकेश टिकैत के समक्ष सबसे बड़ी समस्या अपनी सियासी पूछ को बढ़ाने की है। ऐसा इसलिए कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव फरवरी 2022 में होने हैं। कहीं न कहीं राजनीति में एंट्री मारने की उनकी पुरानी ख्वाहिश है। लेकिन खुलकर न तो वो चुनाव लड़ने की बात कर रहे है ही रालोद, सपा या अन्य पार्टियां उन्हें भाव दे रही हैं। किसान आंदोलन की वजह से भाजपा के साथ न तो वो जा सकते हैं, न ही भाजपा इस पर विचार कर सकती है। सपा—रालोद गठबंधन से भी टिकट की दावेदारी को लेकर अभी उनके बारे में कोई चर्चा नहीं हैं। बसपा से उनके परिवार का बाबा महेंद्र टिकैत के समय से ही छत्तीस का आंकड़ा है।
फिर चर्चा यह भी किसानों की जो गुटबंदी होनी वो हो चुकी है। रालोद नेता जयंत चौधरी अपने पक्ष में वेस्ट यूपी के किसानों को कर चुके हैं। भाजपा का कुनबे के ताकत को अनुमान लगाने के बाद ज्यादा जोड़तोड़ में पड़ने के बजाय अन्य समीकरणों को अपने पक्ष में करने में हुटी है। ऐसे अहम सवाल यह है कि राकेश टिकैत क्या करेंगे?