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UP में लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान चलाने के लिए योगी सरकार किसके आदेश के बाद हुई मजबूर, जानिए पीछे की पूरी कहानी

Janjwar Desk
30 April 2022 5:42 PM IST
UP में लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान चलाने के लिए योगी सरकार किसके आदेश के बाद हुई मजबूर, जानिए पीछे की पूरी कहानी
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UP में लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान चलाने के लिए योगी सरकार किसके आदेश के बाद हुई मजबूर, जानिए पीछे की पूरी कहानी

UP : कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि क्या धार्मिक और सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए सभी लाउडस्पीकर संबंधित अधिकारियों से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद लगाए गए हैं....

UP : उत्तर प्रदेश में धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर लाउडस्पीकर (Loudspeaker In Religious Place) के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाले अभियान ने इस सप्ताह जोर पकड़ लिया है लेकिन राज्य सरकार (UP Govt) के रिकॉर्ड बताते हैं कि इस अभियान को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए वह चार साल से अधिक समय से इंतजार कर रही थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन प्रधान सचिव (गृह) अरविंद कुमार द्वारा 4 जनवरी 2018 को एक आदेश जारी किया गया था जिसके मुताबिक सभी जिलाधिकारियों को टीमों का गठन करने और एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक और धार्मिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए लिखित अनुमति लेने के लिए कहा गया था। 20 जनवरी 2018 तक उचित अनुमति नहीं लेने पर अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया।

ये निर्देश 20 दिसंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद आए थे। कोर्ट ने यूपी सरकार से नियमों का पालन करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सवाल किया था और पूछा था कि क्या धार्मिक और सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए सभी लाउडस्पीकर संबंधित अधिकारियों से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद लगाए गए हैं।

इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने शुक्रवार को कहा कि यूपी सरकार मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर नहीं हटा रही है बल्कि कोर्ट के आदेश का पालन कर रही है जैसे महाराष्ट्र कर रहा है। उन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) के 'यूपी में योगी और महाराष्ट्र में भोगी' वाली टिप्पणी पर भी निशाना साधा था। राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार हमेशा कोर्ट के आदेश के पालन करती है। लाउडस्पीकर का मुद्दा राजनीतिक माहौल को गरम करने के लिए उठाया गया है।

बता दें कि इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब राज ठाकरे ने 12 अप्रैल को ठाणे में अपनी विशाल रैली को संबोधित करते हुए मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग रखी थी। उन्होंने लाउडस्पीकर को धार्मिक नहीं सामाजिक मुद्दा बताया था। ठाकरे ने कहा था कि मैं राज्य सरकार को बताना चाहता हूं, हम इस विषय पर पीछे नहीं हटेंगे, आप जो करना चाहते हैं, वह करें।

इसके बाद 17 अप्रै लोक अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था, हम दंगे नहीं चाहते हैं। किसी ने भी नमाज अदा करने का विरोध नहीं किया है लेकि अगर आप लाउडस्पीकर पर करते हैं तो हम लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल करेंगे। मुसलमानों को चाहिए समझें कि धर्म कानून से बड़ा नहीं है।

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