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हरियाणा के जींद से छुड़ाए गए 79 बंधुआ श्रमिक, मजदूर मोर्चा ने 'जनज्वार' का अदा किया शुक्रिया
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो/जींद/बांदा। उत्तर प्रदेश में जिला बांदा के लगभग एक दर्जन गांवों और सीमावर्ती मध्य प्रदेश के 79 मजदूरों को हरियाणा के जिंद से मुक्त कराया गया है। इनमें काफी संख्या में बाल मजदूर और महिलाएं भी शामिल हैं। इन सभी को कल देर रात उनके गृह जनपद के लिए डीसीएम से रवाना किया गया है। इन सभी मजदूरों से हरियाणा के जींद में बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही थी।
असंगठित मजदूर मोर्चा ने जिंद के जिला प्रशासन और शासन के अधिकारियों को दोषियों पर कार्रवाई के लिए लिखित पत्र भेजा है। साथ ही साथ यूपी के श्रमायुक्त और बांदा के जिलाधिकारी से भी कार्रवाई की मांग की है। बांदा जनपद के पारा बिहारी, सरस्वाह, तेरा, पैगंबरपुर, मोतियारी, बाघा, नगला पुरवा, मकरी, डंगरा पुरवा और बदौसा समेत सीमावर्ती मध्य प्रदेश के ताली गांव से 79 मजदूर हरियाणा के जिंद जिला अंतर्गत सीमा खेड़ी जुलाना में सितंबर महीने से ईंट-भट्ठे में बंधुआ मजदूर बने हुए थे।
इन मजदूरों में 45 बाल मजदूर हैं। ठेकेदार इन्हें सितंबर 2020 में बांदा से ट्रक में ले गया था। वहां ले जाकर इन सभी को ईंट-भट्ठे चलाने वालों के हवाले कर दिया गया था। असंगठित मजदूर मोर्चा की महामंत्री वर्षा भारतीय ने बताया कि एडवांस अदा हो जाने के बाद भी ईंट भट्ठा मालिक मजदूरों को मजदूरी नहीं दे रहा था। न ही उन्हें घर आने दे रहा था।
असंगठित मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दलसिंगार ने कल देर रात जनज्वार संवाददाता से इस बारे में संपर्क किया था। हमें उनकी तरफ से मजदूरों के नम्बर भी मुहैया करवाए गए थे। इन नम्बरों पर हमने फ़ोन किया तो पाया कि सभी बंधक बनाए गए मजदूरों को दबाव पड़ने के बाद एक डीसीएम में भेड़-बकरियों की तरह भरकर बांदा के लिए भेजा जा रहा है। हम लगातार मजदूरों से सम्पर्क बनाये रहे। हमने गाड़ी चला रहे ड्राइवर से भी बात की उससे रुट पूछा, तो उसने बताया कि कानपुर देहात के भोगनीपुर से ही उन्हें बांदा की तरफ लेकर जाया जाएगा।
हमने अपने कानपुर देहात के सहयोगी मोहित कश्यप को फ़ोन किया। हमारे फ़ोन के बाद सक्रिय हुए सहयोगी ने तस्लीम को सिकंदरा भेजा। इस दौरान हमने गाड़ी का नम्बर भी जुटा लिया था। जिसे हमने अपने सहयोगियों को भेजा। नम्बर के आधार पर तस्लीम ने गाड़ी की शिनाख्त की और उसमे बैठे मजदूरों को नीचे उतारकर बात की। मजदूरों के पास एक भी रुपया नहीं था। सभी भूखे थे। गाड़ी में छोटे छोटे बच्चों के अलावा महिलाएं और पुरुष भी थे।
आस-पास कोई व्यवस्था न देख तस्लीम ने एक दुकान से बिस्किट खरीदकर सभी को दिए। भूखे मजदूरों बच्चों की भूख को इससे कुछ बहुत राहत मिली। इसके बाद सभी के लिए हमने हमीरपुर में कुछ खाने का बंदोबस्त कराया। सभी भूखे मजदूरों को हरियाणा से निकलकर हमीरपुर में पेटभर भोजन मिल सका। भोजन करने के बाद कई मज़दूरों की आंखें भी छलक आयीं, जो उनके साथ किये गए बेइंतहां जुल्म की दास्तान खुद-ब-खुद कह रहे थे।
हमने हरियाणा के जींद में उस भट्ठे में भी फ़ोन लगाया जो वहां के मुंशी संतराम ने उठाया। संतराम ने हमे बताया कि सभी मजदूरों को एक गाड़ी करवाकर उनके घर भिजवाया जा रहा है। हमने पूछा कि यह सभी वहां कब से थे तो उसने बताया कि यह लोग नवंबर से यहां थे। खाने पीने का इंतजाम कैसे होता था जिसपर संतराम बे जवाब दिया कि सभी मजदूरों पर हर 15 दिन में वह लोग एक लाख रुपया खर्च करते थे। जिसके बाद हमारा शक यकीन में बदला की वह सफेद झूठ बोल रहा था।
आरोप है कि जींद में मजदूरों से मारपीट व धौंस धमकी देकर काम करवाया जा रहा था। सभी मजदूर अनुसूचित जाति के हैं। वर्षा भारतीय के मुताबिक कुछ मजदूर चकमा देकर भाग निकले और मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दलसिंगार को सूचना दी। अध्यक्ष ने वहां के प्रशासन और बड़े अफसरों से शिकायत की। उत्तर प्रदेश एड एक्शन और बंधुआ मजदूर मोर्चा भी मजदूरों की रिहाई में जुट गए। शुक्रवार 9 अप्रैल को इन सभी मजदूरों को मुक्त कराकर उन्हें ट्रकों से पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया। उन्हें मुक्ति प्रमाणपत्र भी नहीं दिए। मोर्चा के उपाध्यक्ष प्रमोद आजाद, महामंत्री वर्षा भारतीय आदि ने बांदा डीएम और श्रम अधिकारी से कार्रवाई की मांग की है।
(अकबरपुर से मोहित कश्यप और सिकंदरा से तस्लीम से मिले इनपुट के साथ)