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बजरंगी और मेराज के बाद कहीं अगला नंबर मुख्तार का तो नहीं, बांदा कारागार में बढ़ाई गई सुरक्षा
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। चित्रकूट की रगौली जेल में हुआ गोलीकांड अपने पीछे तमाम सवाल छोड़कर गया है। सवाल है कि आखिर बिना किसी बड़ी साठगांठ के इतने बड़े कांड को अंजाम दिया ही नहीं जा सकता, खासकर जेल जैसी जगह के अंदर। रगौली जेल के इस कांड के बाद मुख्तार को अगले नंबर के तौर पर देखा जा रहा है। यही बात गोली चलाते समय अंशुल दीक्षित ने भी बोली थी कि 'मुख्तार का कोई भी करीबी जिंदा नहीं रहना चाहिए' अब अंशुल की इस बात का बड़ा मतलब निकाला जा रहा है।
रगौली की वारदात के बाद बांदा जिला जेल में सुबह ईद की खुशियों के बीच अचानक जेल का सायरन गूंज उठा। कैदी अपनी-अपनी बैरकों में चले गए तो कई कैदियों को खाना छोड़कर बैरक में भागना पड़ा। बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और पंजाब आर्मरी लूटकांड के आरोपी मुंबई के डी-2 गैंग का सुक्खा पाचा की बैरकों में कड़ा पहरा लगा दिया गया। सभी इस बात से हैरान थे कि आखिर हुआ क्या? यहां लोगों को बाद में पता चला कि यह चित्रकूट जिले के रगौली जेल में हुई गैंगवार की घटना का असर था।
जानकारी के मुताबिक जेल में अलार्म बजते ही बंदी रक्षक अलर्ट मोड में आ गए। जेल प्रशासन ने आनन-फानन सभी बंदियों को उनकी बैरकों के अंदर कर दिया। एक-एक बंदी को बाहर निकालकर खाना दिया गया और फिर उन्हें बैरक के अंदर कर दिया गया। कारागार अधीक्षक प्रमोद तिवारी व डिप्टी जेलर वीरेश्वर सिंह ने जेल का भ्रमण कर जायजा लिया। सीसीटीवी से शातिर बंदियों पर निगरानी तेज कर दी गई है। बता दें कि चित्रकूट जेल में मारा गया मेराजुद्दीन बाहुबली विधायक और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का गुर्गा था।
बांदा जेल की सभी बैरकों के बाहर सुरक्षा कर्मी तैनात कर दिए गए। पहले गेट से लेकर जेल के मुख्य गेट तक त्रिस्तरीय बैरिकेडिंग की गई है। जेल बाउंड्री की निगरानी के लिए पिकेट ड्यूटी लगाई गई है। यह लगातार गश्त कर रही है। जेल प्रशासन की अनुमति के बिना किसी को भी अंदर आने-जाने की इजाजत नहीं है।
जेल अधीक्षक बांदा, प्रमोद तिवारी ने बताया कि 'चित्रकूट की घटना के बाद सर्तकता बढ़ा दी गई है। हालांकि यहां पर इस तरह की घटना की कोई संभावना नहीं है। यहां के ज्यादातर अपराधी व डकैत अन्य जेलों में स्थानांतरित हो चुके हैं। फिर भी एहतियात बरती जा रही है। जो ठीक-ठाक अथवा इनामी बदमाश हैं उनपर सीसीटीवी से निगरानी रखी जा रही है।'
मुख्तार के करीबी रहे मुन्ना बजरंगी की 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में फिल्मी स्टाइल में हत्या हुई थी। इसी तरीके को रगौली में भी अपनाया गया है। हालांकि बागपत में मुन्ना को मारने वाला सुनील राठी जिंदा है। जिंदा अंशुल भी रहता लेकिन जैसा पुलिस बता रही है अपनी कहानी में की उसने 5 बंदियों को बंधक बना लिया था और मार देने की धमकी दे रहा था। जिसके बाद उसे मारना पड़ा।
मुन्ना बजरंगी, मुख्तार का राइट हैंड था तो चित्रकूट में मारा गया मेराजुद्दीन उर्फ मेराज भी मुख्तार का करीबी बताया जा रहा है। जेल के अंदर ये वारदातें और उसमें मरने वाले भी चुन-चुनकर मारे जा रहे हैं। अधिकतर मुख्तार के करीबी। षणयंत्रकारी जो हैं वो सबकुछ यानी सुबुत से लेकर आदमी तक जेल में ही समाप्त करवा देना चाहता है। और सच भी है कि जब सिस्टम और सियासत किसी को मिटाने की ठाने तो जेल से मारक कोई जगह नहीं होती।
इस मसले पर संपादक और वरिष्ठ पत्रकार सुशील दुबे जनज्वार से कहते हैं कि 'सियासत औऱ माफियागिरी एक ही पहलू के दो सशक्त सिक्के हैं। कोई पहली हत्या है ये जेल में, किसी बड़े अपराधी की। छोटे मोटे कांड तो पता ही नहीं चलते। अन्नू त्रिपाठी बनारस से लेकर मुन्ना बजरंगी और अब ये काला-पीला। सियासत में राजनीतिक या व्यक्तिगत दुश्मनी कभी भी-कहीं भी निभाई जा सकती है, कोई भी हो कैसा भी हो।'
मुख्तार के सवाल पर सुशील कहते हैं, 'कोई बड़ी बात नहीं है बताया ना कुछ भी हो सकता है। अब देखिए मुख्तार को इतने गाजे-बाजे के साथ लाने की क्या जरूरत थी कि खुद डीजी जेल हैडक्वार्टर में बैठकर सीसीटीवी से देख रहे थे। मॉनिटरिंग कर रहे थे। अब इस भयानक कांड के बाद कहां कहां मॉनिटरिंग होगी?'