उत्तर प्रदेश

यूपी में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दलित ग्राम प्रधान की गोली मारकर हत्या

Janjwar Desk
16 Aug 2020 7:51 AM GMT
यूपी में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दलित ग्राम प्रधान की गोली मारकर हत्या
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File photo

परिजनों का आरोप है कि दलित का ग्रामप्रधान होना गांव के ऊंची जाति के लोगों को नागवार गुजरता था, इधर चारों आरोपितों के विरुद्ध गुंडा ऐक्ट, गैंगस्टर ऐक्ट और रासुका लगाने की तैयारी चल रही है....

जनज्वार। उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिला में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एक दलित ग्राम प्रधान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे और स्थानीय पुलिस चौकी पर हमला कर दिया था। इस दौरान हुई अफरातफरी और भगदड़ में एक बच्चे की वाहन से कुचलकर मौत हो गई थी। आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोपितों के घर पर भी पथराव किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मृत ग्राम प्रधान के परिजनों ने आरोप लगाया है कि गांव के उच्च जाति के लोगों द्वारा इस ईर्ष्या में कि एक दलित ग्राम प्रधान क्यों बन गया, सत्यमेव जयते की हत्या की गई है। परिजनों के बयान पर पुलिस ने गांव के ही चार लोगों विवेक सिंह उर्फ भोलू, सूर्यांश कुमार दुबे, बृजेन्द्र सिंह उर्फ गप्पू और वसीम के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। इनमें से सूर्यांश कुमार दुबे के विरुद्ध विभिन्न मामलों को लेकर 5 केस पहले से थानों में दर्ज हैं। घटना के बाद बांसगांव में भारी पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई है और गांव की ऊंची जातियों के घरों में ताले लटके हुए हैं।

मृत ग्राम प्रधान के परिजनों का आरोप है कि सत्यमेव जयते के ग्राम प्रधान चुने जाने के बाद से ही गांव की ऊंची जातियों के लोग ईर्ष्या रखते थे। वे इसलिए और खुन्नस खाया करते थे, चूंकि मृत ग्राम प्रधान उनकी हां में हां नहीं मिलाते थे। परिजनों का कहना है कि वे 42 वर्षीय थे और उनका नाम 'सत्यमेव जयते' बहुत सोच-समझकर रखा गया था। उनके एक भतीजे का नाम 'लिंकन' इसलिए रखा गया था, चूंकि उसका एक बड़ा भाई अमेरिकी राष्ट्रपति लिंकन के बारे में पढ़ रहा था, जिन्होंने छुआछूत को मिटाया था, जबकि एक भतीजे का नाम रामू राम रखा गया था।

आजमगढ़ जिला के बांसगांव के ग्रामीणों के अनुसार गांव में दलित बहुसंख्यक हैं। यहां दलितों की आबादी ऊंची जातियों की अपेक्षा पांच गुनी ज्यादा है, लेकिन उत्तरप्रदेश के अन्य इलाकों की तरह वास्तविक ताकत ब्राह्मणों और ठाकुरों के हाथ से शायद ही बाहर गई है। गांव में लगभग 300 घर दलितों के हैं, जबकि ठाकुर और ब्राह्मणों के लगभग 30-30 घर हैं। कम संख्या होने के कारण ऊंची जाति के लोग लंबे समय से ग्राम प्रधान नहीं बने हैं।

मृत ग्राम प्रधान के भतीजे लिंकन दावा कर रहे हैं कि इससे पहले भी ठाकुरों और ग्राम प्रधान के बीच कई घटनाएं हुईं थीं। लिंकन कहते हैं 'वे सत्यमेव जयते के बढ़ते कद से जलते थे। वे इसलिए भी जलते थे कि ग्राम प्रधान उनलोगों के सामने सर ऊंचा कर कैसे चलते हैं। उन्होंने इसलिए उनकी हत्या कर दी, चूंकि एक दलित उनको 'ना' कैसे कह देता है।'

लिंकन मुख्य रुप से सूर्यांश कुमार दुबे को आरोपित करते हैं। वे कहते हैं कि वह सत्यमेव पर इस बात का दबाव डाल रहा था कि उसके लिए एक ऐसा प्रमाणपत्र जारी किया जाय, जिससे साबित हो कि वह गांव में ही रहता है।

लिंकन ने कहा 'पिछले कुछ सप्ताह में इसके लिए दुबे तीन बार आया था, पर मेरे चाचा ने इंकार कर दिया था। फिर उनलोगों ने ऐसा दिखावा किया, जैसे उनके साथ अब कोई विवाद नहीं है।' लिंकन यह भी आरोप लगा रहे हैं कि हत्या के बाद चारों आरोपित सत्यमेव की माँ के पास आए और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि उनके बेटे की हत्या कर दी है, जाकर लाश देख लो।

आजमगढ़ प्रक्षेत्र के डीआईजी सुभाष चन्द्र दुबे ने मीडिया से कहा 'वे सत्यमेव के परिवार के आरोपों के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं, जबतक कि आरोपितों की गिरफ्तारी और उनसे पूछताछ नहीं हो जाती। यह मायने नहीं रखता कि वजह क्या थी, एक निर्वाचित प्रतिनिधि की हत्या अत्यंत ही गंभीर अपराध है।'

हत्या के बाद हुए उवद्र्व के दौरान सूरज नाम के लड़के की कथित तौर पर पुलिस वाहन से कुचल कर मारे जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी।

डीआईजी ने कहा कि पुलिस प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। आरोपितों के विरुद्ध गुंडा ऐक्ट, गैंगस्टर ऐक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने की तैयारी चल रही है। साथ ही आरोपितों के ऊपर 25 हजार का इनाम भी घोषित किया गया है। आरोपितों के निकट संबंधियों को हिरासत में लिया गया है, चारों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

घटना के बाद रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने उत्तरप्रदेश में दलितों, पिछडो और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि योगी सरकार में इन घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। बांसगांव में दलित प्रधान की हत्या के पहले सामंती ताकतों द्वारा मारपीट की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया, पर कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि रिहाई मंच का एक प्रतिनिधिमंडल बांसगांव जाकर मृत प्रधान के परिजनों से मुलाकात करेगा।

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