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कार सेवकों के वेश में आतंकियों ने गिराया था बाबरी ढांचा, खुफिया रिपोर्ट पर सरकार ने नहीं लिया था एक्शन : जजमेंट
file photo
जनज्वार। अयोध्या में बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में लखनऊ की विशेष सीबीआइ अदालत ने बुधवार (30 सितंबर) को सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में फैसला देने वाले जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अपने फैसले में आरोपियों द्वारा विवादित ढांच गिराने की साजिश रचने को खारिज कर दिया। जज ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि विवादित ढांच गिराए जाने में पाकिस्तानी एजेंसियों के शामिल होने की खुफिया रिपोर्ट के बावजूद सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अपने फैसले में लिखा कि आरोपियों के खिलाफ सीबीआइ के आपराधिक साजिश रचने का आरोप पांच दिसंबर 1992 को स्थानीय खुफिया एजेंसी द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट की वजह से कमजोर हो गया था। उक्त रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के सदस्य विवादित स्थल पर घुसपैठ कर सकते हैं और ढांचे को गिरा सकते हैं।
अदालत के फैसले में कहा गया है कि उक्त रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान में बना हुआ विस्फोटक दिल्ली होते हुए अयोध्या पहुंच गया है। वहीं, दूसरी रिपोर्ट के अनुसार, 100 देश विरोधी लोग जिनमें जम्मू कश्मीर के ऊधमपुर के भी कई लोग थे, अयोध्या आए थे।
अदालत ने कहा है कि महत्वपूर्ण खुफिया रिपोर्ट मिलने के बावजूद सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। अभियोजन पक्ष के गवाह ने भी यह स्वीकार किया है कि समाज विरोधी और आतंकी कार सेवक के भेष में अयोध्या पहुंचे थे, जिसके चलते विवादित ढांचा गिराया गया।
सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला दिया। इस मामले में कुल 49 आरोपी थे, जिनमें 17 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी और 32 आरोपी वर्तमान में जीवित हैं, जिन्हें बरी कर दिया गया। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, विनय कटियार जैसे प्रमुख नेता आरोपी रहे हैं, जो अब अदालत से बरी किए जा चुके हैं।
सीबीआई की विशेष अदालत ने बाबरी विध्वंस के आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा व विष्णु हरि डालमिया पर धारा 120 बी यानी आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया। इन सबके खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 147, 149, 153ए, 153बी और 505(1) के तहत मुकदमा चला।