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BHU News: कर्मचारियों को गाली देने वाला हॉर्टिकल्चर इंचार्ज अनिल सिंह हटा, छात्रों-कर्मचारियों की एकजुटता के आगे झूका बीएचयू प्रशासन

Janjwar Desk
17 Aug 2022 9:21 AM GMT
BHU News: कर्मचारियों को गाली देने वाला हॉर्टिकल्चर इंचार्ज अनिल सिंह हटा, छात्रों-कर्मचारियों की एकजुटता के आगे झूका बीएचयू प्रशासन
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BHU News: बीएचयू प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ आंदोलित कर्मचारियों के संघर्ष को आखिरकार जीत मिली। हॉर्टिकल्चर के प्रोफेसर इंचार्ज अनिल सिंह को हटा दिया गया है।

BHU News: बीएचयू प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ आंदोलित कर्मचारियों के संघर्ष को आखिरकार जीत मिली। हॉर्टिकल्चर के प्रोफेसर इंचार्ज अनिल सिंह को हटा दिया गया है। साथ ही बकाए वेतन के भुगतान समेत ईपीएफ व मेडिकल की सुविधा की मांग को भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने मान लिया है। इसे कर्मचारियों के आंदोलन के प्रति छात्रों की एकजुटता का नतीजा माना जा रहा है। इसको लेकर संघर्षरत रहे भगत सिंह छात्र मोर्चा के सदस्यों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कर्मचारियों को बधाई दी है।

वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय के हॉर्टिकल्चर विभाग के इंचार्ज अनिल सिंह को हटाने की मांग को लेकर यहां तैनात माली लंबे समय से आंदोलनरत रहे थे। यहां तैनात मालियों की मांग थी कि उनके पांच माह से बकाया वेतन को दिया जाए और उनके साथ उनके इंचार्ज अनिल सिंह जिस तरह से अभद्रता करते हैं, उनके खिलाफ विश्वविद्यालय एक जांच कमेटी बैठाकर उचित कार्यवाही करें।

हाल यह रहा कि जुलाई माह में हॉर्टिकल्चर विभाग के माली जो विश्वविद्यालय की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं, वह अपनी नाराजगी लेकर परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर के करीब धरने पर बैठे रहे। उनकी मांग थी कि उनके वेतन को दिया जाए और बड़े अधिकारी उनकी बातों को संज्ञान में ले।


आंदोलनरत कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि अनिल सिंह आये दिन कर्मचारियों के साथ दुव्र्यवहार करते हैं। इनके खिलाफ बीएचयू के कर्मचारियों (मालियों) ने 12 दिनों तक धरना दिया था क्योंकि वे कर्मचारियों के साथ मारपीट व गाली गलौच करते थे। इसके साथ कर्मचारियों की अन्य मांगें जैसे कई महीने से बकाया वेतन देना, पीएफ व मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराना आदि।

यह सब मांगें भी आंदोलन के दबाव में प्रशासन ने मान लिया है। यह इनके आंदोलन और एकता की बड़ी जीत है। इसके पूर्व चीफ प्रॉक्टर मौके पर पहुंचकर कर्मचारियों से वार्ता की थी। मीडिया से बातचीत में चीफ प्रॉक्टर अभिमन्यु सिंह ने कहा कि कर्मचारियों की वेतन की बात कर ली गई है और उन्हें जल्द वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। साथी कर्मचारियों की और भी मांगे हैं जिस पर कमेटी बैठाई जाएगी और कमेटी अपना जो निर्णय देगी उस पर कार्यवाही की जाएगी।

कर्मचारियों का कहना है कि हमारी मांग कई महीनों से चल रही है लेकिन अधिकारी सिर्फ हमें आश्वासन दे रहे हैं और हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो हम सेंट्रल ऑफिस का घेराव करेंगे और कुलपति के सामने अपने बातों को रखा। उन्होंने उद्यान विभाग के प्रभारी पर भी अनदेखी और दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है।

लंबे समय तक चले आंदोलन के क्रम में कर्मचारी एक दिन बैनर लगाकर प्रोटेस्ट कर रहे थे तो प्रशासन ने बैनर हटवा दिया और बोला कि धरना प्रदर्शन कैंपस में अलाउड नहीं है। कैंपस में संवैधानिक तौर पर विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने का आदेश आया है। प्रशासन का कहना है धरना प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है और इस पर दंडात्मक कार्रवाई होगी। इस पर कर्मचारियों ने कहा कि कैंपस में जिला प्रशासन का यह खुला हस्तक्षेप है। लोकतन्त्र पर भी यह बड़ा हमला है। आम स्टूडेंट्स को सामने आना चाहिए नही तो वो वक्त दूर नही जब सब कुछ आप पर भी थोपा जायेगा और आपको बोलने तक की आजादी नहीं होगी।

इसके बाद कर्मचारियों के समर्थन में भगतसिंह छात्र मोर्चा के सदस्य भी सड़क पर उतर आए। कर्मचारियों के मुद्दे से सबको अवगत कराने के लिए बीसीएम के सदस्यों ने कुछ मालियों के साथ मिलकर आर्ट्स फैकल्टी, लाइब्रेरी और विश्वनाथ मंदिर पर पर्चे बांटे।

भगत सिंह छात्र मोर्चा ने समर्थन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखना, इनको पूरा वेतन और सुविधाएं न देना सरकार द्वारा निजीकरण और ठेके प्रथा को बढावा देने की नीति का हिस्सा है। अगर जल्द ही इनकी मांगें नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। जिसका अन्य छात्रों का भी व्यापक समर्थन मिलते दिखा। लिहाजा विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंदोलन को संज्ञान में लेते हुए मांगों के निस्तारण के लिए एक कमेटी का गठन कर दी थी, जिसके विचार करने के बाद मालियों की अब सभी मांगे मान ली गई है। साथ ही इंचार्ज अनिल सिंह को भी यहां से हटा दिया गया है।

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