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UP के प्रतापगढ़ में स्कूल की जमीन पर बन रहा सार्वजनिक शौचालय, गांव के बच्चे कहां पढ़ेंगे-खेलेंगे शासन-प्रशासन को नहीं परवाह
संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश में सरकारी मुलाजिमों और कायदा कानून भी अजब-गजब हाल है। विद्यालय बच्चों के पढ़ने और खेलने के लिए होते हैं, लेकिन अब वहां पर गांव का सामुदायिक शौचालय बन रहा है। विद्यालय तो है, किन्तु बच्चों के लिए के लिए मैदान नही है। विद्यालय के लिए जो जमीन अधीकृत रुप से सरकार द्वारा आवांटित हुई थी उस पर सामुदायिक शौचालय बन रहा है, जिससे भविष्य में बेसिक शिक्षा विभाग चाह कर भी उस जमीन पर बच्चों के शिक्षण अथवा खेल हेतु निर्माण कार्य नही करवा सकता है।
दूसरा यह कि बच्चे सामुदायिक शौचालय की गंदगी के बीच कैसे पठन-पाठन करेगें, इसे भी समझा जा सकता है। बावजूद इसे नजरअंदाज कर आखिरकार कैसे परिषदीय विद्यालय की जमीन पर सामुदायिक शौचालय निर्माण कार्य को स्वीकृति दे दी गई? यह समझ से परे है।
मामला उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद का है, जहां जिले के जेठवारा थाना क्षेत्र के सिंधौर ग्राम सभा में शासन के आदेश को धता बताते हुए शमशेरगंज बाजार में स्थित प्राथमिक विद्यालय की जमीन गाटा संख्या -1308/0.1260 हेक्टेयर पर ग्राम प्रधान सुनीता जायसवाल द्वारा सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है, जबकि सरकार और शिक्षा महानिदेशक का सख्त आदेश है कि परिषदीय विद्यालय परिसर की जमीन पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण न होने दिया जाय।
इसकी शिकायत भी ग्रामीणों ने लालगंज के उपजिलाधिकारी और जिलाधिकारी प्रतापगढ़ सहित कई जिम्मेदार आलाधिकारियों से की है। मामले को संज्ञान में लेकर उपजिलाधिकारी लालगंज ने ग्राम विकास अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया है।
इस पूरे मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि मामले का संज्ञान लेकर उपजिलाधिकारी लालगंज द्वारा ग्राम विकास अधिकारी को जांच करने का आदेश दिये जाने, खंड विकास अधिकारी द्वारा उच्चाधिकारियों को अवगत कराए जाने तथा स्थानीय लोगों द्वारा ग्राम प्रधान से लगाए अन्य अधिकारियों को इस पूरे मामले से अवगत करवाया जा चुका है, अनगिनत पत्र भेजने के बावजूद भी शौचालय निर्माण का कार्य जारी है। सवाल यह है कि आखिरकार सामुदायिक शौचालय बन जाने पर बच्चे गंदगी के बीच कैसे पठन-पाठन करेंगे और कैसे खेलेंगे कूदेंगे?
सामुदायिक शौचालय का निर्माण विद्यालय की जमीन के बजाय कहीं अन्यत्र किया जाए, लेकिन ग्राम प्रधान की हठधर्मिता और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के चलते गांव के नौनिहालों, देश के भावी कर्णधारो के भविष्य और मानसिक विकास को दरकिनार करते हुए विद्यालय की भूमि पर सामुदायिक शौचालय निर्माण कराने की पूरी तरह से खुली छूट दे दी गई है। ऐसे में शासन द्वारा निर्धारित किए गए वह तमाम कायदे कानून के आदेश निर्देश भरे कागज भी इनके आगे बौने साबित हो रहे हैं।
हालांकि मामले में खण्ड विकास अधिकारी अंजू वर्मा ने बताया कि 'उन्होंने जिलाधिकारी के आदेश पर मामले की जांच की तो पाया कि जिस जमीन पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया जा रहा है वह विद्यालय के नाम से आवंटित है।'
सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार मिश्रा कहते हैं, 'सिंधौर ग्रामसभा में शासन के आदेश को धता बताते हुए शमशेरगंज बाजार में स्थित प्राथमिक विद्यालय की जमीन गाटा संख्या -1308/0.1260 हेक्टेयर पर ग्राम प्रधान सुनीता जायसवाल द्वारा सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध होने के साथ ही साथ गांव के बच्चों के स्वास्थ्य और उनके मानसिक विकास के विरुद्ध भी है। वह कहते हैं कि तमाम शिकायतों के बाद भी ग्राम प्रधान ने कार्य रुकवाने की वजह शौचालय के निर्माण कार्य को गति देने में जुटे हुए हैं।'