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उत्तर प्रदेश

दिल्ली की तिहाड़ जेल के कैदी का खुलासा, तस्करी का आरोप लगाकर उगाही करते हैं जेल अधिकारी

Janjwar Desk
26 July 2020 9:43 AM GMT
दिल्ली की तिहाड़ जेल के कैदी का खुलासा, तस्करी का आरोप लगाकर उगाही करते हैं जेल अधिकारी
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कैदी का कहना है कि वह पिछले साढ़े आठ सालों से जेल में हैं और जेल में कैद के दौरान अच्छा व्यवहार करते रहे हैं, 24 मार्च 2019 को उन्हें कसूरी बैरक में तंबाकू से संबंधित कुछ झूठे और मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर हिरासत में लिया गया था और 11 अप्रैल 2019 को उन्हें वहां से रिहा कर दिया गया था...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

नई दिल्ली। जेल जो शब्द सुनकर हर आम और खास व्यक्ति की रूह कांप जाती है। इसे हमेशा से एक तिलिस्म के तौर पर देखा जाता है। दिल्ली की अतिसुरक्षित जेलों में शुमार तिहाड़ जेल और उसके अफसरों का कारनामा 9 साल तक तिहाड़ की विभिन्न जेलों को काटने के बाद जमानत पर आये एक कैदी ने 'जनज्वार' से कई एक बातों का खुलासा किया।

जनज्वार से हुई बातचीत में कैदी ने जेलों के अंदर चरस गांजा, स्मैक, मोबाइल इत्यादि का भी खुलासा किया। कैदी दिलीप का कहना है कि 90 परसेंट ये प्रतिबंधित वस्तुएं जेल के भीतर यहां ड्यूटी करने वाले अफसर व हेड मुलाजिम ही पहुंचाते हैं। जो मोबाइल बाहर हजार रुपये का मिलता है वह अंदर पहुंचकर 20 से 25 हजार में बिकता है। वहीं एंड्राइड मोबाइल अंदर जाते ही 50 हजार के सौदे में निपटाया जाता है। जेल के भीतर सर्चिंग इत्यादि आने पर यही अफसर खुद का दिया हुआ मोबाइल बरामद करते हैं और छोड़ने के नाम और फिर धन की अवैध उगाही की जाती है।

जेल के अंदर गरीब कैदियों बंदियों का जीवन बेहद मुहाल है। दिलीप बताते हैं कि यहां यदि आपके पास ठीक ठाक रुपया है तो आपको एक पैसे की भी समस्या नहीं आने पाएगी। आपकी चाकरी में चारों ओर यहां के अफसर मुलाजिम लगे रहेंगे। वहीं गरीब कैदी बन्दी से जबरन काम लिया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है।


कैदी दिलीप ने दिल्ली की मंडोली जेल नंबर 12 में तैनात असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट निश्छल शर्मा, डिप्टी सुपरिटेंडेंट विनय ठाकुर और अन्य के खिलाफ जबरन वसूली, उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और अन्य अपराधों के खिलाफ शिकायत की थी।

कैदी का कहना है कि वह पिछले साढ़े आठ सालों से जेल में हैं और जेल में कैद के दौरान अच्छा व्यवहार करते रहे हैं। 24 मार्च 2019 को उन्हें कसूरी बैरक में तंबाकू से संबंधित कुछ झूठे और मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर हिरासत में लिया गया था और 11 अप्रैल 2019 को उन्हें वहां से रिहा कर दिया गया था।

कैदी के मुताबिक अदालत के आदेश के परिणाम स्वरूप उनके बैंक खाते में 10 अप्रैल 2019 को लगभग 33,000 रूपये की राशि जमा की गई थी जो पैसा मुझे मुआवजे के रूप में भुगतान किया गया था। और चेक के रूप में आया था।


दिलीप आगे बताते हैं 23 मई को धमकी और बल के प्रयोग से जेल में मुझपर दबाव बनाकर एक आवेदन पर हस्ताक्षर करवा लिए गए थे जिसमें जिक्र किया गया था कि मैने जेल के अंदर दी गई मुसक्कत के काम में कुछ धोखाधड़ी की (जैसा कि जेल में सेवादार अखबारों को वितरित करते हैं आदि) और उक्त राशि से सिम, चरस और तंबाकू खरीदा था।

जिसके बाद असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट (सहायक अधीक्षक) निश्छल शर्मा ने धमकी और बल से विक्रम जोशी नाम के एक कैदी की मौजूदगी में 33,000 रूपये के एक बैंक विदड्रॉल फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाए। मैं उनकी धमकियों और बल की वजह से बहुत चिंतित और डरा हुआ था। दिनाँक 24 मई 2019 को उक्त 33,000 की राशि निश्छल शर्मा और जेल के कुछ अन्य अधिकारियों ने मेरे बैंक खाते से अवैध और गैरकानूनी तरीके से निकाल लिया।

हालांकि जब मैने इस बाबत शिकायत की तो जेल अधिकारियों ने मुझे धमकाया। जिसके बाद मैं इन अफसरों के आगे रोया गिड़गिड़ाया तो उक्त धनराशि मेरे कैंटीन खाते में जमा कर दी गई और उक्त धनराशि को बाद में तथाकथित गबन/चोरी में समायोजित (एडज्सट) किया गया था। अपने कुकर्मो को ढकने के लिए मुझे सिर्फ दिखाने के लिए कुछ 'मशक्कत' दी गयी ताकि मैं ऐसा दिखूं कि मुझे कोई निशाना नहीं बनाया गया या कानून के अनुसार व्यवहार किया जा रहा है।


यहां तक कि इस उद्देश्य के लिए मुझसे पैसों की भी डिमांड की गई। जिसमे मुझे paytm से पैसे डालने के लिए कहा गया। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि 23 मई 2019 से इस अवधि तक मुझे डयोढ़ी बुलाया गया, जहां मुझे कई घंटों तक बंद कमरों में रहने के लिए दबाव बनाया गया। मुझसे अप्रासंगिक सवाल पूछे गए और सहायक अधीक्षक निश्छल शर्मा और उपाधीक्षक विनय ठाकुर ने धमकी दी कि अगर मैंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई तो जेल में मेरी जिंदगी को और दुखी किया जाएगा।

यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि मुझे कभी भी कोई दस्तावेजी साक्ष्य/बयान आदि नहीं दिया गया है ताकि मैं किसी भी अखबार( जेल की मुसक्कत) के काम आदि में गबन / धोखाधड़ी करने के आरोप में अपना कथित चालान दिखा सकूँ और यह न दिखा सकूं कि मेरे खाते से 30000 की राशि जबरन अवैध और गैरकानूनी और मेरी फिरौती देने की धमकी के तरीके से निकाली गई थी।

मुझे धमकियों के बल पर जेल अधिकारियों के द्वारा अवैध तरीके से कसूरी हिरासत में रखा गया, मेरे साथ दुर्व्यवहार (अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार) किया गया, जो ऊपर स्पष्ट है। मैं निश्चल शर्मा और विनय ठाकुर व उनके अन्य सहयोगियों के हाथों काफी असुरक्षित और पीड़ित महसूस कर रहा हूं जो मुझ पर खतरे बढ़ा रहे हैं और मुझे गैरकानूनी तरीके से परेशान करने और अपमानित करने के लिए झूठे और मनगढ़ंत मामलों में निहितार्थ निकाल रहे हैं।

अत्यधिक दबाव और खतरों के कारण मुझे चिकित्सकीय रूप से अनफिट कर दिया गया था और जेल की ओपीडी में इलाज भी किया गया था। यहां तक ​​कि वर्तमान में भी उपरोक्त आरोपी व्यक्तियों की ओर से अवैध तरीके से मुझसे 1500 रुपये राशि की मांग की जा रही है। चूँकि मैं काफी असुरक्षित और कमजोर स्थिति में पहुंच गया था, इसलिए मैं अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी अन्य जेल में स्थानांतरित किया जा सकता हूं तो यह अति आवश्यक होगा। इसके अलावा जेल अधिकारियों के द्वारा मुझसे जबरन वसूली और उत्पीड़न की जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष की जानी चाहिए ताकि दोषिओं की सच्चाई को सामने लाया जा सके और उक्त कृत्यों के लिए उन्हें दंडित किया जा सके।

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