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यूपी में फर्जी दस्तावेज पर सरकारी टीचर बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार
जे.पी. सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। यूपी के कस्तूरबा विद्यालयों में फर्जी दस्तावेज पर गोंडा की रहने वाली मेधावी अनामिका शुक्ला की मेहनत और मेधा लूटकर नौकरी दिलाने वाले गैंग का एसटीएफ ने भंडाफोड़ कर दिया है। एसटीफ ने फर्रूखाबाद में तैनात सहायक अध्यापक के साथ जौनपुर और हरदोई के बेसिक शिक्षा विभाग के दफ्तर में तैनात दो बाबुओं को गिरफ्तार किया है। इनके पास एक लाइसेंसी पिस्टल के साथ बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी शिक्षकों के डॉक्यूमेंट्स की जांच के आदेश दे दिए हैं।
इस गैंग का सरगना मैनपुरी का मूल निवासी और फर्रूखाबाद में सहायक शिक्षक के पद पर तैनात पुष्पेन्द्र सिंह उर्फ राज उर्फ सुशील उर्फ गुरुजी पुत्र महराम सिंह है। फर्जी दस्तावेज से नौकरी दिलाने के लिए यह कई नाम से कई जिलों में पैसा लेकर सरकारी नौकरी दिलाने के लिए जाना जाता रहा।
इस गैंग में मेधावी छात्रों के अंकपत्र और प्रमाणपत्र जांच के बहाने जमा करके फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर फर्जी लोगों को नौकरी दिलाने के खेल में जौनपुर जिले के बीएसए दफ्तर में तैनात आनंद सिंह भी शामिल रहा। बीएसए जौनपुर दफ्तर में यह जिला समन्वयक अधिकारी के पद पर तैनात है। हरदोई के बीएसए दफ्तर के प्रधान लिपिक ही रामनाथ भी इस भ्रष्टाचार में शामिल रहे हैं। एसटीएफ ने इस गैंग के पास से दो मोबाइल फोन, एक डीएल, एक आधार कार्ड, एक लाइसेंसी पिस्टल और सात जिंदा कारतूस भी बरामद किया है।
दरअसल गोंडा की रहने मेधावी अनामिका शुक्ला के मार्कशीट और प्रमाणपत्र पर प्रदेश के 25 जिलों में फर्जी अनामिका नौकरी कर रही थी। फर्जी नौकरी करने वाली कई अनामिका अब तक पकड़ी जा चुकी हैं। इस गैंग ने प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, बागपत, कासगंज, सहारनपुर, अम्बेडकरनगर और अलीगढ़ सहित कई दर्जन जिलों में फर्जी दस्तावेज पर नौकरी दिलाने का काम किया है।
गौरतलब है कि शिक्षकों का डिजिटल डाटाबेस तैयार किए जाने के दौरान अनामिका शुक्ला नाम से एक ही दस्तावेज के आधार पर एक साथ 25 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में नौकरी कर एक साल में सरकार को एक करोड़ रुपये का चूना लगाए जाने का मामला सामने आया था।
इस मामले में यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी आक्रामक तेवर दिखाते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद चौतरफा आलोचनाओं से घिरी यूपी की योगी सरकार ने इसकी जांच के लिए जांच कमेटी बनाने के साथ ही सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के आदेश दे दिए थे।
उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षकों के मामले में रोज नए-नए प्रकरण सामने आते जा रहे हैं। अब मैनपुरी में अनामिका शुक्ला जैसा ही एक मामला प्रकाश में आया है दीप्ति सिंह का।मामले की जांच तब शुरू हुई जब मैनपुरी में एक दीप्ति सिंह ने अचानक अपना इस्तीफा भेज दिया।
इस नए मामले के खुलासे के साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी उबाल आ गया और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी एक ट्वीट कर डाला। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 13 जून को अपने एक ट्वीट में कहा कि यूपी सरकार की शिक्षा व्यवस्था के तंत्र से भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।अनामिका के नाम पर 25 फर्जी नियुक्तियों, परिषदीय विद्यालयों की फर्जी नियुक्तियों के बाद अब मैनपुरी में कस्तूरबा गांधी विद्यालय में फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया है। उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये सब भर्तियां हुईं किसके कार्यकाल में हुईं और अभी तक चलती कैसे रहीं?
दीप्ति की ज्वानिंग के बाद मैनपुरी के बेवर थाना क्षेत्र में अनुदेशक के पद पर तैनात दीप्ति सिंह ने बीएसए को शिकायत की थी कि कस्तूरबा बालिका विद्यालय करहल में जिन दीप्ति तैनाती हुई है।उनके अभिलेख फर्जी हैं. हालांकि यह शिकायत बाद में वापस ले ली गई।.अब अनामिका शुक्ला का नाम जब सुर्खियों में आया और कासगंज की एक शिक्षिका को जेल भेज दिया गया तो करहल स्थित कस्तूरबा में तैनात दीप्ति सिंह ने भी अपना इस्तीफा भेजा दिया।दीप्ति सिंहा का इस्तीफा आते ही शिक्षा विभाग हरकत में आ गया और बीएसए ने मामले की जांच के लिए 2 सदस्यों की कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दे दिए।
उत्तर प्रदेश में संविदा शिक्षक भर्ती के नाम पर अनामिका शुक्लाभर्ती घोटाले में भर्ती माफिया और विभाग के लोगों की मिली भगत के गम्भीर आरोप हैं। मप्र में भी संविदा शिक्षकों की भर्ती में बड़े घोटाले उजागर हुए हैं। शिक्षा विभाग में व्यवस्थागत भ्रष्टाचार और शिक्षक भर्ती के फर्जीवाड़े से बच्चों को क्या और कैसी शिक्षा मिल रही है यह शोध का विषय है । इसे केवल एक तथ्य से समझा जा सकता है कि छोटे छोटे कस्बों और गांवों तक में अंग्रेजी माध्यम के स्कुल उग आये है और जिनके पास जरा भी पैसा है वे अपने बच्चों कीओ सरकारी स्कुल के बजे उनमें भेज रहे हैं ।
गौरतलब है कि यूपी में दोहजार शिक्षकों की फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति की जांच पहले से चल रही है। वहां पिछले साल योगी सरकार ने 69 हजार सहायक अध्यापको की नियुक्ति की घोषणा की थी, जिसमें भी एक भर्ती गिरोह पकड़ा गया है।