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Gangrape Case : एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति सुनाई उम्रकैद की सजा, अब राजनीति में नहीं दिखा पाएंगे अपना दम
एमपी-एमएलए कोर्ट ने सपा नेता गायत्री प्रजापति को गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई।
Gangrape Case : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के पूर्व कबीना मंत्री और सपा नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति ( Gayatri prajapati ) को एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट ( MP-MLA Court ) ने गैंगरेप ( Gangrape Case ) के एक मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई है। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले गायत्री प्रजापति के सियासी करिअर और सपा के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री के दो सहयोगी अभियुक्त आशीष शुक्ला व लेखपाल अशोक तिवारी को भी उम्र कैद की सजा सुनाई है। गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी ठोंका है। एमपी-एमएलए कोर्ट की सजा के साथ ही अब गायत्री प्रजापति सियासीस अखाड़े में नहीं दिखा पाएंगे अपना दम।
एमपी-एमएलए कोर्ट के स्पेशल जज पवन कुमार राय ने कहा है कि जुर्माने की समस्त धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी। इस मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए। उसकी बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है। ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है। जिसके पुर्नवास की आवश्यक्ता है। लिहाजा अर्थदंड की सम्पूर्ण धनराशि उसे ही दिया जाएगा।
दो दिन पहले एमपी-एमएलए कोर्ट ( MP-MLA Court ) के स्पेशल जज पवन कुमार राय ने गैंगरेप मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति ( Gayatri Prajapati News ) सहित तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी व पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत दोषी माना है। पॉक्सो एक्ट के प्राविधानों के मुताबिक जिस धारा के तहत अधिक सजा होगी, अभियुक्त को उसी धारा से दंडित किया जाएगा। लिहाजा उन्होंने अभियुक्तों को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई। 2019 से पहले पॉक्सो की धारा 5जी/6 के तहत 10 साल से उम्र कैद तक की सजा का प्राविधान था। जबकि यह मामला वर्ष 2017 का है।
खनन-पट्टे का लालच दे किया गैंग रेप
स्पेशल जज ने अपने 72 पन्ने के फैसले में कहा है कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, की माली स्थिति का लाभ उठाकर उसे खनन-पट्टे का लालच दिया। खनन-पट्टे दिलाने के नाम पर उसे लखनऊ बुलाया। फिर उसके व उसकी नाबालिग बच्ची के साथ भी सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। जबकि मंत्री होने के नाते गायत्री प्रजापति को उसकी सहायता करनी चाहिए लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए घिनौने काम को अंजाम दियां। जिस समय एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा मुकर्रर की उस समय गायत्री प्रजापति समेत तीनों अभियुक्त जेल से अदालत में उपस्थित थे। अभियोजन की ओर से अभियुक्तों के लिए अधिकत्तम सजा की मांग की गई। तर्क दिया गया कि इनका यह अपराध अत्यंत गंभीर है, जो किसी भी व्यक्ति की अर्न्तआत्मा को झकझोर देने वाला है।
इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से कम से कम सजा की मांग की गई थी। गायत्री की ओर से कहा गया था कि वह करीब 60 वर्ष का है। वह किडनी व लीवर आदि जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित है। उसके पांच बच्चों में सिर्फ एक का विवाह हुआ है। उसे अभी अपनी दो पुत्रियों का भी विवाह करना है। वह 2017 से लगातार जेल में है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यह उसका पहला अपराध है। वहीं अभियुक्त अशोक तिवारी की ओर से कहा गया कि उसके परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उसी पर है।