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हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड में एक और गिरफ्तारी, लखनऊ लेकर पहुंची पुलिस
file photo
जनज्वार। लखनऊ के हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड में पुलिस ने सोमवार 14 सितंबर की देर रात एक बड़ी कार्रवाई की। पुलिस ने बरेली से एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है उसके अलावा एक अन्य को भी गिरफ्तार किया है। इससे पहले पुलिस ने 3 आरोपियों को पिछले साल अक्टूबर में ही गिरफ्तार कर लिया था। इन दोनों पर गैंगस्टर लगा हुआ है।
जानकारी के मुताबिक कमलेश तिवारी हत्याकांड में शामिल रहे आरोपी कामरान को लखनऊ के नाका थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक बरेली के शाहाबाद निवासी कामरान पर सूरत से गिरफ्तार आरोपियों की मदद करने का आरोप है। उसके खिलाफ गुंडा और गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
जानकारी के मुताबिक पुलिस ने कामरान के अलावा एक अन्य आरोपी कैफी अली को भी पकड़ा है, हालांकि उसकी गिरफ्तारी पर रोक का कोर्ट से आदेश होने के कारण पुलिस को उसे छोड़ना पड़ा था। कैफी के पास हाईकोर्ट का अरेस्ट स्टे होने के चलते उसे कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर थाना से ही छोड़ दिया गया। कामरान को जेल भेज दिया गया है।
गौरतलब है कि हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों में से अशरफ और मोइनुद्दीन पर हत्या का आरोप है।
हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की बीते साल 18 अक्टूबर को उनके घर में स्थित कार्यालय में निर्मम हत्या कर दी गई थी, जिसमें यूपी ATS ने अशरफ और मोइनुद्दीन को गुजरात-राजस्थान की सीमा से गिरफ्तार किया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि दोनों हत्याकांड की घटना के बाद से फरार चल रहे थे। पुलिस के मुताबिक इन्हें शामलाजी के पास से दबोचा गया था।
हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में झकझोरने वाली जानकारियां सामने आई थीं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि हत्यारों ने कमलेश तिवारी पर 15 बार चाकुओं से वार किया था। साथ ही गला रेतने के बाद गोली मारने का भी खुलासा हुआ था। हत्या के समय कमलेश तिवारी के सीने और जबड़े पर चाकुओं से वार के साथ ही गला रेतने की बात भी सामने आई थी। इसके अलावा कमलेश तिवारी की पीठ पर भी चाकुओं से कई वार किए गए थे।
इस मामले में पिछले साल डीजीपी ओपी सिंह ने खुलासा किया था कि कमलेश तिवारी की हत्या का कारण उनके द्वारा 2015 में दिया गया एक भड़काऊ भाषण था।