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उत्तर प्रदेश

योगी के गृहनगर गोरखपुर में तार-तार हुई इंसानियत, घर में आया शव तो पड़ोसियों ने खिड़की दरवाजे किए बंद

Janjwar Desk
17 April 2021 11:21 AM GMT
योगी के गृहनगर गोरखपुर में तार-तार हुई इंसानियत, घर में आया शव तो पड़ोसियों ने खिड़की दरवाजे किए बंद
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शव को देखते ही आसपास के घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद हो गईं। दोपहर तक शव घर पर ही पड़ा रहा। कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिले। दोपहर करीब एक बजे प्रशासन ने शव वाहन के साथ टीम को भेजा तब शव राप्ती तट पर ले जाया गया...

जनज्वार, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर में इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक परिवार में कोरोना से पहले पिता फिर शिक्षक बेटे की मौत हो गई। मौत के बाद मोहल्लेवालों ने धड़ाधड़ अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद कर ली। संक्रमण के चलते शिक्षक के भाई और भतीजे पहले ही दूसरे मोहल्ले में आइसोलेशन में थे। ऐसे में घर पर छह घंटे तक शव पड़ा रहा लेकिन कोई कंधा देने वाला नहीं मिला।

इंसानियत को तार-तार कर देने वाली यह घटना गोरखपुर के रामजानकी नगर की है। 12 अप्रैल को कॉलोनी में रहने वाले रिटायर बिजली कर्मचारी की मौत हो गई। परिवार के मुताबिक उनकी रिपोर्ट निगेटिव थी लेकिन लक्षण कोरोना वाले ही थे। ऐसे में शिक्षक बेटे ने अपनी और दोनों भाइयों व बच्चों की 11 अप्रैल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जांच कराई जिनकी रिपोर्ट पिता की मौत के एक दिन बाद पॉजिटिव आई थी। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद परिवार होम आइसोलेशन में था।

पड़ोस के मोहल्ले में आइसोलेशन में रह रहे शिक्षक के भाई ने फोन से प्रशासनिक अधिकारियों को इस बाबत जानकारी दी। जिसके बाद दोपहर लगभग एक बजे प्रशासन ने शव वाहन के साथ टीम को भेजा तब जाकर शव राप्ती नदी के तट पर ले जाया जा सका। पिता को मुखाग्नि देने वाले बड़े भाई ने ही छोटे भाई का भी अंतिम संस्कार किया।

इस सदमे से परिवार अभी उबर भी नहीं पाया था कि गुरुवार की देर रात शिक्षक की हालत बिगड़ गई। शुक्रवार तड़के संक्रमित भाई और भतीजे उन्हें ऑटो से एचएन सिंह चौराहे के पास एक निजी अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत बताया। यहां से उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गए जहां कोविड हॉस्पिटल के सामने एंबुलेंस ड्यूटी में तैनात टेक्नीशियन ने भी मृत बताया तब सुबह करीब सात बजे शव लेकर घर आ गए।

शव को देखते ही आसपास के घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद हो गईं। दोपहर तक शव घर पर ही पड़ा रहा। कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिले। इस बीच कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले विजय श्रीवास्तव को इसकी जानकारी हुई। भाई के संक्रमित होने से खुद को आइसोलेट करने वाले विजय ने फोन से प्रशासनिक अफसरों को सूचना दी। इसके बाद दोपहर करीब एक बजे प्रशासन ने शव वाहन के साथ टीम को भेजा तब शव राप्ती तट पर ले जाया गया। पिता को मुखाग्नि देने वाले बड़े भाई ने ही छोटे भाई का अंतिम संस्कार किया।

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