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उत्तर प्रदेश

गाड़ी न पलटी तो मुन्ना बजरंगी की तरह जेल में निपटाया जा सकता है मुख्तार, इससे पहले जानिए बाहुबली का इतिहास

Janjwar Desk
6 April 2021 9:35 AM GMT
गाड़ी न पलटी तो मुन्ना बजरंगी की तरह जेल में निपटाया जा सकता है मुख्तार, इससे पहले जानिए बाहुबली का इतिहास
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मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी रसूखदार अपराधी से विधायक जरूर बन गया लेकिन तब से जेल में है। मुख्तार का आपराधिक इतिहास और अपराध के दम पर राजनीतिक रसूख किसी के बताने का मोहताज नहीं है.....

जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। मुख्तार अंसारी योगी आदित्यनाथ के लिए नाक की लड़ाई की तरह बन गया है। मुख्तार को लाने के लिए वज्र वाहन सहित यूपी से एक सुपरकॉपों की टीम पंजाब रवाना हो चुकी है। मीडिया हर एंगल से टकटकी लगाए हुए है। कहीं ना कहीं मीडिया सहित प्रदेश के लोग भी मुख्तार का अंजाम विकास दुबे जैसा होने के कयास भी लगा रहे हैं। इससे पहले मुख्तार की पत्नी व भाई अफजाल ने रास्ते में मुख्तार की जान को खतरा बताया है।

मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी रसूखदार अपराधी से विधायक जरूर बन गया लेकिन तब से जेल में है। मुख्तार का आपराधिक इतिहास और अपराध के दम पर राजनीतिक रसूख किसी के बताने का मोहताज नहीं है। मुख्तार अपने आप मे खुद एक परिचय है। रॉबिनहुड छवि वाला मुख्तार पिछले साल कोविड लॉकडाउन के दौरान फिर से चर्चा में आया था। उसने कोरोना वायरस से लड़ रही पूरी दुनिया के बीच जेल से ही अपने क्षेत्र की जनता को 20 लाख रुपये का उपहार भेजा था।

उत्तर प्रदेश के मऊ में 30 जून 1963 को मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ था। मुख्तार के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ ही साथ 1926-27 मे इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे। मुख्तार को नामचीन खानदान विरासत में मिला था, लेकिन रसूख में राजनीति के कॉकटेल ने मुख्तार को राजनेता परिवार से इतर गंभीर अपराधों की पंक्ति में ला खड़ा किया।

1988 में अपराध की दुनिया मे पहला कदम रखने वाले मुख्तार अंसारी पर 40 से अधिक संगीन मामले दर्ज हैं। एक समय मऊ में ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब जैसे कारोबारों पर मुख्तार का एकछत्र राज था। मर्डर, किडनैपिंग और रंगदारी के लिए मुख्तार अंसारी का नाम ही काफी होता था। मऊ के एक लोकल ठेकेदार की हत्या में मुख्तार ने पहली बार 1988 मे मऊ में सरेंडर किया था जिसके बाद उसे गाजीपुर जेल में रखा गया था। उसके बाद मुख्तार जुर्म की सीढ़ियां चढ़ते हुए बाहुबली राजनेता और डॉन बन गया था।

मुख्तार अंसारी का नाम 1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में उनका नाम आया था 1990 में मुख्तार अंसारी ने जमीनी कारोबार और रेलवे एवं कोयले के ठेके की वजह से अपराध की दुनिया में कदम रखा, जिसके कुछ ही समय बाद पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उसके नाम का सिक्का चलने लगा था। 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की दुनिया में कदम रखा। 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधानसभा के लिए चुना गया।

कभी ब्रजेश मुख्तार का हमराही हुआ करता था पर धन और बादशाहत ने दोनों के रास्ते अलग अलग कर दिए। ब्रजेश मुख्तार से अलग होकर अपनी बादशाहत कायम कर रहा था तो इधर वह मुख्तार के लिए चुनौती भी बनता जा रहा था। उसके बाद से ही मुख्तार ने माफिया डॉन ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया। 2002 आते आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए। इसी दौरान एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया। दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए। ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था। उसके मारे जाने की अफवाह थी। इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे।

मुख्तार अंसारी के रसूख और अपराधी के तौर पर उसके शातिरपने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने जेल में बंद होने के बावजूद कृष्णानंद राय की हत्या करा दी। गौरतलब है कि बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को उनके 6 अन्य साथियों को सरेआम गोलीमार उनकी हत्या कर दी गई। हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थी। मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थीं। इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाया गया था। उसने कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला करने वालों में से अंसारी और मुन्ना बजरंगी के निशानेबाजों अंगद राय और गोरा राय को पहचान लिया था। 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया गया था।

मुख्तार अंसारी का प्रतिद्वंदी बना ब्रजेश खुद पर हुए अटैक के बाद मुम्बई होते हुए दुबई भाग गया था। दुबई में उसने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से हाथ मिला लिया था। वहीं से बैठकर ब्रजेश सिंह ने अपने गुर्गे लंबू शर्मा को मुख्तार की हत्या करने के लिए 6 करोड़ की भारी भरकम राशि देने की पेशकश की थी। मामला तब खुला था जब लंबू गिरफ्तार हो गया था। इस मामले के बाद जेल में मुख्तार की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। मुख्तार अंसारी अपने भाई अफजाल और सिगबतुल्लाह कि मदद से 5 बार विधायक बना। उसने 1996 में पहला चुनाव सपा के टिकट पर जीता, दो चुनाव बसपा से जीतने के बाद उसने दो बार निर्दलीय चुनाव लड़कर जीता।

मुख्तार ने अपने भाइयों के साथ 2010 में नई पार्टी कौमी एकता दल बनाई, जिससे चुनाव लड़कर जीत हासिल की। मुख्तार अंसारी हमेशा अपने मुस्लिम बहुल क्षेत्र और मुस्लिम वोटों की मजबूत किलेबंदी के दम पर ही 5 बार विधायक बना। वह अपने क्षेत्र की जनता के लिए जन्मदिन से किसी की लड़की की शादी तक के लिए जेल से ही बैठकर मदद भेजता था। मुख्तार के विधानसभा छेत्र में मुस्लिमो की नमाज पढ़ने को कोई मस्जिद नहीं थी। एक मुस्लिम ने जेल में इस संबंध में पत्र भेजा। बताया जाता है कि पत्र मिलते ही तत्काल मुख्तार ने मस्जिद का निर्माण करवाया था।

विधायक मुख्तार अंसारी जेल में पत्र, फ़ोन या अपने गुर्गों के सहारे लोगों से रंगदारी व अपराध के मैसेज पास करता था। जब वह लखनऊ जेल में था, तब एक कंपनी ने जेल में जैमर लगाने का ठेका लिया। जैमर लगाने वाले इंजीनियर को मुख्तार ने जेल से ही फोन कर मरवा देने की धमकी दी थी, जिसके बाद मुख्तार को दूसरी जेल ट्रांसफर किया गया था। मुख्तार गाजीपुर, मथुरा, आगरा, झांसी, बांदा के बाद फिलहाल पंजाब की मोहाली जेल में बंद होने के बाद अब रोपड़ में था, जहां से आज उसे उत्तर प्रदेश लाया जा रहा है।

सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ आज मुख्तार की चर्चा हो रही है। चर्चा यह भी हो रही है कि मुख्तार को विकास दुबे की तरह रास्ते में ही निपटवा दिया जाएगा। लेकिन आपको बता दें मौजूदा सरकार का कट्टर विरोध होने के बाद भी मुख्तार को रास्ते में इतनी आसानी से नहीं मरवाया जा सकता है। क्योंकि इस सफर पर पूरे देश की निगाहें जमी हैं। फिर क्या मुख्तार को उस तरह मरवाया जा सकता है जैसे उसके खास राइट हैंड मुन्ना बजरंगी को बागपत जेल में सुनील राठी से निपटवा दिया गया था। आज तक उसकी जांच नहीं हो सकी है। फिलहाल जो बी हो मुख्तार की पंजाब से बांदा जेल तक यूपी की दो निगाहें जरूर उसका पीछा कर रही होंगी।

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