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उत्तर प्रदेश

क्या लोकसभा में योगी आदित्यनाथ की आंखों से निकले आंसुओं की कीमत चुका रहे सपा सांसद आजम खान?

Janjwar Desk
5 March 2021 5:13 PM IST
क्या लोकसभा में योगी आदित्यनाथ की आंखों से निकले आंसुओं की कीमत चुका रहे सपा सांसद आजम खान?
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2014 में हुए विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने पश्च‍िमी यूपी में चुनावी सभाओं के जरिए पूरे जोर-शोर से प्रचार किया। नतीजा ये हुआ कि गोरखपुर की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया। वहीं पूरे प्रदेश में पार्टी ने 325 सीटें हासिल कर भगवा परचम लहराने में कामयाब रहे। लोकसभा से स्तीफा देकर सांसद योगी आदित्यनाथ सूबे के नए मुख्यमंत्री बने।

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य‍नाथ एक बार लोकसभा में यूपी पुलिस की बर्बरता को याद कर रो पड़े थे। प्रखर व उग्र हिंदुत्व के ध्वजवाहक माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ आक्रामक बीजेपी नेताओं में गिने जाते हैं। योगी आदित्यनाथ लोकसभा में उस समय फूट-फूटकर रोने लगे थे जब वर्ष 2006 में लोकसभा में पुलिस‍ की प्रताड़ना का जिक्र कर रहे थे। तब यूपी में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। साल 2006 में गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से विशेष अनुमति ली थी। उस समय पूर्वांचल के कई कस्बों में सांप्रदायिक हिंसा फैली थी। जब आदित्यनाथ अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो सिसक-सिसककर कर रोने लगे।

लोकसभा के अन्दर व्यथित योगी आदित्यनाथ कुछ देर तक कुछ बोल ही नहीं पाए और जब बोले तो कहा कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रही है और उन्हें जान का खतरा है। लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से योगी ने बताया था कि गोरखपुर जाते हुए उन्हें शांतिभंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और जिस मामले में उन्हें सिर्फ 12 घंटे बंद रखा जा सकता था, उस मामले में 11 दिन जेल में रखा गया। इस बात की शुरुआत पूर्वांचल में आजमगढ़ के छात्र नेता रह चुके अजित सिंह की हत्या किए जाने के बाद हुई थी। बताया जाता है कि आजमगढ़ में अजित सिंह की तेरहवीं वाले दिन योगी आदित्यनाथ अपने काफिले के साथ कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे, तभी रास्ते में तकिया गांव में योगी के काफिले पर हमला कर दिया गया था। इस हमले में योगी पूरी तरह से घि‍र गए थे और उनके कई समर्थक लहूलुहान हुए थे।

यहाँ तक की योगी की जान बचाने के लिए उनके अंगरक्षक को फायरिंग तक करनी पड़ी थी। फायरिंग के दौरान हमलावर भीड़ में से एक युवक की मौत हो गई थी। इसके बाद आजमगढ़ व आसपास के इलाकों में इस मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया था। इस घटना के बाद योगी के समर्थकों और उनके ऊपर कई मुकदमे हुए थे। उस समय पुलिस ने पीएसी लगवाकर एक के बाद एक योगी के कई ठिकानों पर दबिश देनी शुरू कर दी थी। यही नहीं योगी के समर्थकों को बड़ी संख्या में जेल भेजा गया था। योगी समर्थक पुलिस के डर से अपना गांव छोड़कर पलायन कर गए थे। तब योगी ने अपनी पीड़ा लोकसभा में रखी थी। पुलिसिया आतंक और प्रताड़ना का वर्णन करने के दौरान योगी सदन में फूट-फूट कर रो पड़े थे।

2014 में हुए विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने पश्च‍िमी यूपी में चुनावी सभाओं के जरिए पूरे जोर-शोर से प्रचार किया। नतीजा ये हुआ कि गोरखपुर की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया। वहीं पूरे प्रदेश में पार्टी ने 325 सीटें हासिल कर भगवा परचम लहराने में कामयाब रहे। लोकसभा से स्तीफा देकर सांसद योगी आदित्यनाथ सूबे के नए मुख्यमंत्री बने। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद आजम खान ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि 'योगी आदित्यनाथ एक मजहबी रहनुमा हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने पर मजहबी रहनुमाओं को ही अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। तब आजम खान ने कुछ मुस्लिम नेताओं के नाम भी गिनाए थे।'

विवादित बयान देने में माहिर आजम खान की एक मुशकिल उनका जरूरत से जादा खुले मुँह का होना भी माना जा सकता है। संसद में आजम खान सभापति रमा देवी के सामने शेर पढ़ा और बातों बातों में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। आज़म के इस बयान की तीखी आलोचना हुई और बात यहां तक आ गई कि जिस आदमी में बात करने का ढंग न हो उसे लोकतंत्र के मंदिर में रहने का कोई अधिकार नहीं है। विवाद बढ़ा तो आजम खान ने माफ़ी मांगी। मगर जिस अंदाज में आज़म ने संसद को संबोधित किया और जिस लहजे में इन्होंने माफ़ी मांगी उसको देखकर कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि आजम अपनी गलती पर शर्मिंदा हैं। आजम के लिए एक समस्या तत्कालीन डीएम गोरखपुर राजीव रौतेला के प्रमोशन के रूप में भी सामने आया था। जिसके बाद आजम ने फिर विवादित बयान दिया था, जो सीधा योगी के लिए था।

अपने इस बयान में समाजवादी पार्टी नेता आजम खान ने कहा था कि 'वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जाति के नहीं हैं, इसलिए राज्य सरकार उन्हें फंसा रही है। सपा नेता ने यूपी सीएम पर निशाना साधते हुए कहा था, राज्य सरकार राजीव रौतेला को इसलिए बचा रही है क्योंकि वह मुख्यमंत्री की जाति के हैं। लेकिन सरकार मुझे फंसा रही है, क्योंकि मैं सीएम की जाति का नहीं हूं। दरअसल, गोरखपुर उपचुनाव के दौरान विवादों में आए राजीव रौतेला को प्रमोशन देते हुए सरकार ने देवीपाटन का नया मंडलायुक्त नियुक्त कर दिया था। गोरखपुर के डीएम से उन्हें सीधा देवीपाटन का मंडलायुक्त बनाया गया था। हालांकि उनकी नई नियुक्ति के दो दिन बाद ही उन्हें वापस उत्तराखंड भेज दिया गया था। उपचुनाव में मतगणना केंद्र में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगाने के कारण रौतेला विवादों में आए थे, लेकिन उनके ऊपर कड़ा कदम उठाने के बजाए उन्हें प्रमोशन दिया गया था। आजम खान ने इसी प्रमोशन को लेकर योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला था।

राजधानी में योगी आदित्यनाथ के सीएम पद पर बैठने के बाद समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की मुश्किलें कम होने की बजाए बढ़ती ही रहीं। पहले गाजियाबाद और लखनऊ में बने हज हाउस के निमार्ण की जांच योगी सरकार ने कराई। सूत्रों के मुताबिक इनके निमार्ण कार्य में कई गड़बड़ियां हुईं थीं। बीते साल फरवरी में ही एनजीटी के आदेश पर गाजियाबाद में बने हज हाउस को सील किया गया था। इसका कारण ये था कि इस हज हाउस में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया था। जिसका गंदा पानी हिंडन नदी में डाला जा रहा था। इससे पहले खान के हमसफर रिजॉर्ट को तोड़ने के लिए नोटिस जारी किया गया था। हमसफर रिसॉर्ट को 15 दिनों के भीतर ध्वस्त करने की बात कही गई थी। सरकार का कहना है कि उनका यह रिसॉर्ट अवैध तरीके से बनाया गया है, इसलिए इस पर कार्यवाही की जाएगी। बताया जा रहा है कि आजम खान का आलीशान रिसॉर्ट बिना नक्शा पास कराए बनाया गया है जो कि 30 मीटर चौड़ाई की ग्रीन बैल्ट में बना हुआ है। आजम ने इसका नक्शा ग्राम पंचायत से पास कराया था। जिसे प्राधिकरण ने सही नहीं माना है।

इसके लिए यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नंद गोपाल नंदी ने आदेश दिया है कि पीएम जन कल्याण योजना के तहत अल्पसंख्यक विभाग में द्वारा किए कार्यों की जांच के लिए एसआईटी बनाई जाए।इस सहित समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान के पिता के नाम पर बने एक पार्क का राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नाम बदल दिया है। अब यह पार्क देश के पहले शिक्षा मंत्री के नाम से जाना जाएगा। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी इसका लोकार्पण करेंगे। सपा सरकार में मंत्री रहे आजम खान ने रामपुर में अपने घर के पास इस पार्क को बनवाया था। अपने पिता मुम्ताज खान के नाम पर आजम ने इस पार्क का नामकरण किया। हालांकि बनने के साथ ही यह पार्क विवादों में आ गया। पहले इसके दरवाजे आम जनता के लिए बंद होते थे। फिर साल 2017 में योगी सरकार के आने के बाद आम लोगों के लिए भी पार्क को खोल दिया गया था।

बुधवार 24 फरवरी 2020 को सपा सांसद आजम खां का नाम लोकतंत्र सेनानियों की सूची से काट दिया गया। सूची से नाम कटने के बाद अब हर माह बीस हजार रुपये के हिसाब से मिलने वाली सपा सांसद की पेंशन बंद हो गई। शासन ने मौजूदा तिमाही के पेंशनधारकों की सूची इसी हफ्ते प्रशासन को भेजा है। समाजवादी पार्टी की सरकार में आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे मीसा बंदियों के लिए पेंशन योजना शुरू की गी थी। 2012 में इस योजना की शुरुआत हुई। इस दौरान सपा सांसद आजम खान समेत जिले में 37 लोगों को पेंशन के लिए चिन्हित किया गया था। यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पहले से कई और आरोपों से घिरे और पिछले दस महीनों से जेल में बंद पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खान पर अब हज हाउस निर्माण घोटाले का शिकंजा कस रहा है।

दरअसल, मामले की जांच तेज करते हुए एसआईटी अब इसमें अनियमितता के लिए कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के अभियंताओं की भूमिका की जांच कर कही है। माना जा रहा है कि जल्दी ही इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद के आला हजरत हज हाउस और लखनऊ के मौलाना अली मियां मेमोरियल हज हाउस के निर्माण में जरूरत से ज्यादा धन खर्च किया गया था। बता दें कि लखनऊ हज हाउस का निर्माण 2004 से 2006 की मुलायम सरकार के कार्यकाल में हुआ था। उसी समय गाजियाबाद में हिंडन नदी के किनारे हज हाउस के लिए जमीन ली गई थी। 2012 की सपा सरकार में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो गाजियाबाद हज हाउस का निर्माण पूरा हुआ। इन दोनों सपा सरकारों में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खान ही थे। बाद में योगी की सरकार आने के बाद इसी साल फरवरी में प्रशासन ने गाजियाबाद में बने हज हाउस को एनजीटी के आदेश पर सील कर दिया था।

वहीं दूसरी तरफ आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम की अनियमितताओं पर सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्ती समाजवादी पार्टी को भी अखरी है। आजम खान के समर्थन में सपा की उत्तर प्रदेश इकाई ने रामपुर में योगी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला। पार्टी ने अपने सांसद पर रामपुर जिला प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई का आरोप भी लगाया था। स्थिति तनावपूर्ण न हो इसलिए जिला प्रशासन अलर्ट मोड में था। सपा नेताओं के रामपुर आने की घोषणा के बाद शहर में धारा 144 लगा दी गई, कई दिनो तक शहर की सीमा पर तलाशी अभियान चलाया जाता रहा। बताते चलें कि अभी कुछ महीनो पहले ही आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम को रामपुर में पुलिस हिरासत में लिया गया था। स्वार से सपा विधायक अब्दुल्ला पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगा था।

रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम को सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। गौरतलब है कि एक शिकायत के बाद जौहर विश्वविद्यालय में छापेमारी की कार्रवाई चल रही थी जिसका अब्दुल्ला ने विरोध किया था। ओरिएंटल कॉलेज नाम के एक संस्थान के प्रधानाचार्य जुबैर खान ने शिकायत की थी कि जौहर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में कुछ ऐसी किताबें हैं जो दुर्लभ किस्म की हैं और जिन्हें चोरी किया गया है। मामले की जांच 16 जून से शुरू हुई और इसी जांच के मद्देनजर पुलिस ने यूनिवर्सिटी के कैम्पस में छापा मारा था। छापे के दौरान पुलिस को यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय से 2500 से ज्यादा ऐसी किताबें मिलीं हैं जो न सिर्फ दुर्लभ हैं बल्कि जिन्हें चोरी किया गया है। अब्दुल्लाह के विषय में बताया गया कि वो पुलिस द्वारा लिए जा रहे एक्शन में अड़ंगा डाल रहे थे।

सपा द्वारा लगातार योगी आदित्यनाथ पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया जा रहा है, साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पद का दुरूपयोग करते हुए एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं और सपा की छवि धूमिल कर रहे हैं। वैसे दोखा जाए तो ये कोई पहली बार नहीं है जब आजम खान पर गाज गिरी है, बल्कि उनके ऊपर संकट के बादल तो उसी वक़्त मंडराने शुरू हो गए थे जब 2017 में पार्टी ने हार का सामना किया था और अखिलेश यादव को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। कयास लगाया गया था कि योगी आदित्यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद किसी भी क्षण इनपर शिकंजा कसा जा सकता है। अक्सर ही अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले आज़म खान का बुरा वक़्त लोकसभा चुनावों से ठीक उस वक़्त शुरू हुआ था, जब उन्होंने भाजपा नेता जयाप्रदा को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। आज़म के बयान के बाद उनकी खूब आलोचना हुई थी। तमाम भाजपा नेताओं ने आजम खान को स्त्री विरोधी बताया था।

बात हाल फिल्हाल की हो तो मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी आजम खान के गले की फांस बनी हुई है। आजम खान के ऊपर रामपुर में बनी मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए करोड़ों रुपये की जमीन हथियाने की बात सामने आई थी जिसपर एक्शन लेते हुए पुलिस ने आजम खान के ऊपर 26 नए मामले दर्ज किये। यही नहीं उत्तर प्रदेश शासन की फाइलों में बतौर भू माफिया अपना नाम दर्ज करा चुके आजम खान को अभी कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग का नोटिस मिला है। नोटिस में इस बात का जिक्र था कि उन्होंने रामपुर में बने लग्जरी रिसॉर्ट 'हमसफर' के लिए सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किया और रिसोर्ट बनाया है।

बहरहाल आजम खान पर मचा ये सियासी घमासान कब थमता है, इसका फैसला वक़्त करेगा। मगर जिस तरह आजम खान पर बिना सिर मुड़ाए ही ओले पड़ रहे हैं साफ पता चल रहा है कि जैसे जैसे दिन बीतेंगे मामला और धार पकड़ेगा और इसपर मचा सियासी घमासान बदस्तूर जारी रहेगा। बाकी अब जब आजम खान के बुरे वक्त की शुरुआत हो ही चुकी है तो ये बताना भी कहीं न कहीं जरूरी हो जाता है कि इनका बुरा वक्त तभी दूर होगा जब सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ चाहेंगे और इनकी तरफ कृपा दृष्टि से देखेंगे।

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