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उत्तर प्रदेश

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपियों को बरी करने वाले जज को इनाम, बनाया यूपी का उप-लोकायुक्त

Janjwar Desk
13 April 2021 6:57 AM GMT
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपियों को बरी करने वाले जज को इनाम, बनाया यूपी का उप-लोकायुक्त
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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर 32 आरोपियों को 30 सितंबर 2020 को सीबीआई के विशेष जज की हैसियत से सुनाए गए फैसले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था....

जनज्वार डेस्क। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से तकरीबन 135.3 किमी दूर अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और इस केस में 49 आरोपी बनाए गए थे जिनमें से 17 की मौत हो चुकी है और बचे हुए 32 आरोपियों को 30 सितंबर 2020 को सीबीआई के विशेष जज की हैसियत से सुनाए गए बाबरी विध्वंस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इन 32 आरोपियों में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे तमाम बड़े चेहरे शामिल थे। बाबरी मस्जिद मामले पर 32 आरोपियों को बरी करने वाले सेवानिवृत्त जज सुरेंद्र कुमार यादव ने बीते सोमवार को उत्तर प्रदेश के नए उप-लोकायुक्त पद की शपथ ली।

उत्तर प्रदेश के वर्तमान लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्रा हैं। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बीते छह 6 अप्रैल को सुरेंद्र कुमार यादव को राज्य का तीसरा उप लोकायुक्त नियुक्त किया है। इस मौके पर कई हम चेहरे मौजूद रहे और बीते दिन लोकायुक्त संजय मिश्रा ने यादव को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। किसी भी राज्य में लोकायुक्त भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई की एक संस्था है जो एक गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति होता है और वह भ्रष्टाचार, सरकारी कुप्रबंधन या मंत्रियों अथवा लोक सेवकों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग जैसे मामलों की जांच के सांविधिक प्राधिकरण की तरह काम करता है। भ्रष्टाचार-रोधी इस संस्था में एक लोकायुक्त और तीन उप-लोकायुक्त होते हैं। उप-लोकायुक्त का कार्यकाल आठ वर्षों का होता है।

जज सुरेंद्र कुमार यादव जो अब राज्य ने नए उप-लोकायुक्त हैं। उन्होंने साल 2020 के दौरान अपने आदेश में कहा था कि आरोपियों के खिलाफ कोई निर्णायक सबूत नहीं है और 6 दिसंबर 1992 को जो भी हुआ वह कोई साजिश नहीं, बल्कि अचानक हुई घटना थी जिसके तहत इन तमाम आरोपियों को उनके आरोपों से रिहा किया जाता है। यादव नें 2,300 पेज के लंबे फैसले में यह भी कहा कि उस दिन हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कारसेवक व्यवस्था संभाले हुए थे और उनके द्वारा बराबर निर्देश दिया जा रहा था। यादव ने अपने फैसले में यह भी कहा कि कुछ अराजक कारसेवकों के समूह द्वारा मस्जिद गिराई गई थी और ऐसे लोगों को रामभक्त नहीं कहा जा सकता है। मस्जिद गिराना पूर्व नियोजित साज़िश नहीं थी। यह अचानक हुआ प्रकरण था।

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल थे जैसे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आदि। यह तमाम लोग बाबरी मस्जिद मामले के आरोपी बनाए गए थे।

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