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कानपुर इनकाउंटर में डॉक्टरों का खुलासा हर पुलिसकर्मी को मारी गयी थी 8-10 गोलियां, कई धंस गयीं थीं शरीर में
कानपुर। यूपी के कानपुर में मारे गए पुलिसकर्मियों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इन्हें 8-8 दस-दस गोलियां मारी गईं थीं। पुलिसकर्मियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर भी यह देखकर दंग रह गए।
पुलिसकर्मियों के सिर, चेहरे और हाथ-पैर में कई गोलियां पाई गईं हैं। कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। उधर चौबेपुर थानाध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध पाई गई है और खबर है कि एसटीएफ ने उनसे पूछताछ की है।
पोस्टमार्टम के दौरान बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्र के चेहरे पर गोली लगी मिली है। चेहरे पर गोली लगने से उनके वाइटल ऑर्गन्स बाहर आ गए थे और तुरन्त उनकी मौत हो गई थी। ज्यादातर पुलिसकर्मियों के शरीर पर लगी गोलियां आर-पार हो गईं थीं। पुलिसकर्मियों के शरीर में गोलियों के टुकड़े भी पाए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ये गोलियां लगने के बाद हड्डियों से टकराकर टूटी हैं और शरीर के बाहर हो गईं हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि गोलियां राइफलों की लग रही हैं। अब इनके विशेष परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। तीन पुलिसकर्मियों के शरीर में टूटी हुई गोलियां पाई गईं हैं।
पुलिसकर्मियों के पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई थी। टीम में 4 डिप्टी सीएमओ, 8 डॉक्टर और 3 वीडियो ग्राफर थे। टीम में एसीएमओ डॉ एपी मिश्र, डॉ एसके सिंह, डॉ अवधेश गुप्ता और डॉ अरविंद यादव शामिल थे। डॉक्टरों की टीम में डॉ बिपुल चतुर्वेदी, डॉ बीसी पाल,डॉ परवीन सक्सेना, डॉ राहुल वर्मा, डॉ जीएन द्विवेदी और डॉ शैलेंद्र कुमार थे।
1 जुलाई की देर रात कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गए पुलिस दल पर उसने हमला कर दिया था। विकास और उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग झोंक दी थी, जिसमें डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मी मारे गए थे और 1 ग्रामीण सहित 7 पुलिसकर्मी घायल होबगे थे। घटना के बाद एसटीएफ की 100 टीमें बनाई गईं हैं और लगातार छापामारी की जा रही है। हालांकि अबतक विकास पकड़ में नहीं आया है।
घटना में किसी भेदिए की भूमिका सामने आ रही है। यूपी के डीजीपी का कहना है कि इस बिंदु पर भी जांच की जा रही है। उधर चौबेपुर के थाना इंचार्ज विनय तिवारी से पूछताछ की गई है। घटना के समय सभी पुकिसकर्मी आगे चले गए थे और विनय तिवारी गांव के बाहर जेसीबी के पास ही रह गए थे, जबकि यह इलाका उनके थाना क्षेत्र में था और उनको इलाके के भौगोलिक स्थिति की ज्यादा जानकारी थी।