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Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith: 'नवरात्र में व्रत के बजाय संविधान पढ़ो' लिखने वाले दलित लेक्चरर मिथिलेश कुमार गौतम बर्खास्त, निशाने पर दलित समाज
Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith: 'नवरात्र में व्रत के बजाय संविधान पढ़ों' लिखने वाले दलित लेक्चरर मिथिलेश कुमार गौतम बर्खास्त, निशाने पर दलित समाज
बनारस से उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट
Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith: वाराणसी के काशी विद्यापीठ में दलित गेस्ट लेक्चरर को नवरात्रि में महिलाओं को उपवास रखने के बजाय संविधान पढ़ने का सुझाव फेसबुक पर पोस्ट करना भारी पड़ गया है। पोस्ट को आधार बनाकर एबीवीपी के छात्रों के एक धड़े ने विरोध किया। आरोप है कि इन छात्रों ने लेक्चरर की पोस्ट को एडिट करते हुए अन्य बातें व फोटो जोड़कर विवादित पर्चा छपवाकर कैम्पस में बांटा। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। गुरुवार, 29 सितम्बर को कैम्पस में कई घंटों उपद्रव के बाद धार्मिक भावना आहात होने की बात लेकर विवि के कुलपति प्रो एके त्यागी से मिलकर कार्रवाई करने की मांग की। मसलन, महज एक पोस्ट के आधार पर काशी विद्यापीठ प्रशासन ने गेस्ट लेक्चरर मिथिलेश कुमार गौतम को नौकरी से बर्खास्त कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इतना ही नहीं बर्खास्त करने के साथ-साथ विश्वविद्यालय परिसर में उनके प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया। विश्वविद्यालय की तानाशाही रवैये को लेकर बनारस के लोगों में कड़ी नाराजगी है और सवाल खड़े कर रहे हैं।
Uttar Pradesh | Mithilesh Gautam, a guest lecturer at Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith in Varanasi, has been dismissed by the University & prohibited to enter the University campus after his Facebook post on fasting during #Navratri pic.twitter.com/ImbCrk5nk5
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 30, 2022
आखिर क्या लिखा दिया दलित लेक्चरर ने ?
गौरतलब है कि राजनीतिक शास्त्र विभाग के गेस्ट लेक्चरर मिथिलेश कुमार गौतम ने फेसबुक पर लिखा था कि 'नौ दिन के नवरात्र व्रत से अच्छा है कि महिलाएं नौ दिन भारतीय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ें। उनका जीवन गुलामी और भय से मुक्त हो जाएगा जय भीम।' इस पोस्ट को लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन का कहना है कि यह हिंदू धर्म के खिलाफ है और इसके इससे विश्वविद्यालय का माहौल खराब हो रहा है।
एकतरफा है कार्रवाई : पीड़ित लेक्चरर
इस घटना के संबंध में पीड़ित मिथिलेश कुमार गौतम ने 'जनज्वार' को बताया कि कैम्पस में उनकी लोकप्रियता सवर्ण टीचरों को हजम नहीं हो रही थी। इसलिए कुछ लोगों ने आपराधिक प्रवित्ति के एवीवीपी के छात्रों को उकसा कर यह कृत्य कराया गया है। मेरे पोस्ट में ऐसा कुछ नहीं है कि कैम्पस का माहौल ख़राब हो और किसी की भावना को ठेस पहुंचे। मेरी पोस्ट में 'नौ दिन के नवरात्र व्रत से अच्छा है कि महिलाएं नौ दिन भारतीय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ें। उनका जीवन गुलामी और भय से मुक्त हो जाएगा जय भीम।' बस इतना ही लिखा गया है। जबकि कैम्पस में पर्चे बांटे गए हैं, उसमें साजिश के तहत एडिट करते हुए किसी अन्य की पोस्ट को जोड़कर मामले को विवादित रूप जान बुझाकर दिया गया और बखेड़ा खड़ा करने के लिए किया गया है। मेरे साथ विवि प्रशासन द्वारा एक तरफा कार्रवाई की गई है। हमारी क़ानूनी टीम जल्द ही विवि प्रशासन के समक्ष अपना पक्ष रखने वाली है। साथ ही टेक्नीकल एक्सपर्ट इस चालबाजी का खुलासा भी कुलपति महोदय के समक्ष करेगी। जल्द ही मेरी खिलाफ साजिश करने वालों आपराधिक प्रवित्ति के छात्रों को मैं बेनकाब करने वाला हूँ। मेरे खिलाफ की गई की गई विवि की कार्रवाई एकतरफा और बेबुनियादी आरोपों को आधार बनाकर की गई है। न्याय मिलने तक मैं संघर्ष करूँगा। पूर्वांचल, बनारस, दिल्ली और देश भर से लोगों का सहयोग मिल रहा है।'
कुलसचिव को किसने दिया आदेश ?
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुनीता पांडे ने कहा कि डॉक्टर मिथिलेश कुमार गौतम अतिथि अध्यापक राजनीतिक शास्त्र विभाग द्वारा हिंदू धर्म के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट के संबंध में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा दिनांक 29 सितंबर को शिकायती पत्र प्राप्त हुआ है। गौतम द्वारा किए गए कृत्य के कारण विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों में आक्रोश व्याप्त है तथा विश्वविद्यालय का वातावरण खराब होने एवं परीक्षा एवं प्रवेश बाधित होने की आशंका है। इस संबंध में मुझे यह करने का निर्देश प्राप्त हुआ है कि विश्वविद्यालय नियमावली के तहत मिथिलेश कुमार गौतम को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा को देखते हुए परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाता है।
पीड़ित लेक्चरर को न्याय दिलाने के लिए छात्र मिले वीसी से
शुक्रवार को लेक्चरर के समर्थन में दर्जनों छात्रों ने कुलपति प्रो एके त्यागी से मिलकर कार्रवाई करने की मांग की। साथ षड्यंत्र कारी तत्वों को पहचान कर कार्रवाई की बात कही। समाजवादी चिंतक चौधरी राजेंद्र कहते हैं कि 'ये सरकार जनता से डर रही है। महंगाई, बेरोजगारी और किसान के मुद्दों को जैसे-तैसे दबाने के लिए बगैर किसी आधार के छोटे मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने में भी नहीं चुक रहे हैं। जैन छात्रावास के का मुद्दा हो या दलित लेक्चरर द्वारा अपनी बात सोशल मीडिया पर लिख भर देने कैसी किसी की भावना आहात हो जा रही है। विवि को एकतरफा कार्रवाई करने से पहले लेक्चरर का भी पक्ष सुनना चाहिए था।'
वंचित तबके से आने वाले मेधाओं को बनाया जा रहा निशाना
पत्रकार राजीव कुमार सिंह कहते हैं कि 'सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के दौरान भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का महात्मा गांधी काशी विवि के प्रशासन उल्लंघन कर रहा है। इससे यह साबित होता है कि उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों में व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की जगह वंचित तबकों से आने वाले अध्यापकों और कर्मचारियों से लगातार भेदभाव की शिकायतें आ रही हैं। जो किसी भी प्रकार से न्याय सांगत नहीं है। लेक्चरर पर की गई विवि प्रशासन की कार्रवाई एकतरफा और निंदनीय है। अध्यापक को उसके विधिक अधिकार के बावजूद भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। इससे यह साबित होता है कि शैक्षणिक संस्थाओं में विशेष प्रकार की विचारधारा से प्रभावित लोग षडयंत्र पूर्वक वंचित तबके से आने वाले मेधाओं को अपना निशाना बना रहे हैं।