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गाय, गंगा, गौमूत्र और गोबर का जाप करने वाली योगी सरकार क्यों नहीं बचा पायी सरकारी गोशाला की एक दर्जन से ज्यादा गायें?
तोषी मैंदोला की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। बीते चार साल से गाय, गंगा, गौमूत्र और गोबर के मंत्र का जाप कर रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में सरकारी गौशालाओं का हाल बेहाल है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंर्तगत आने वाला कान्हा गौशाला में तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा गायों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि भूख प्यास की वजह से इन गायों की जानें गई हैं।
यह घटना ऐसे समय में सामने आयी है जब योगी सरकार गौसंरक्षण और गौशालाओं के नाम पर छह सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट आवंटित कर चुकी है। बावजूद इसके गायों के लिए कुव्यवस्था कायम हैं। इस खबर के बाद जिला प्रशासन से लेकर चिकित्सा प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। सोशल मीडिया पर भी मरी हुई गायों के तरह-तरह के वीडियो वायरल हो रहे हैं। ऐसे में जनज्वार की टीम ने यह जानने की कोशिश की कि इस खबर में कितनी सच्चाई है।
सबसे पहले हम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कान्हा गौशाला में जा पहुंचे। यहां बातचीत के दौरान कान्हा गौशाला के कमिटी मेंबर डॉ. प्रेमचंद्र ने बताया कि 2000 की क्षमता वाली गौशाला में तकरीबन 1900 से ज्यादा गाय हैं। सोशल मीडिया पर भी मरी हुई गायों के वीडियो वायरल हो रहे हैं लेकिन इनमें से अधिकांश फेक वीडियो हैं।
डॉ. प्रेमचंद्र कहते हैं, 'गौशाला में मरने वाली गाय भूख और प्यास की वजह से नहीं मरी हैं बल्कि यह बाहर से आई हुई रेसक्यू गायें थीं जो कि मरणावस्था में आई थीं। लगभग 11 गायें मरने की ही कंडीशन में आई थीं जिसमें से 5 गायों को बचा लिया गया है और बाकि 6 गाय की मौत हो गई है।
पड़ताल के दौरान हमने पाया कि पूरी गौशाला में भूसा चरने के लिए लगभग चार नाद हैं और पानी के लिए छोटी-छोटी सी तीन नाद हैं जिसमें 1900 से ज्यादा गायें भूसा चरने से लेकर पानी पीती हैं। जो अपने आप में भुखमरी के सवाल को खड़ा करती है क्योंकि 36 डिग्री सेल्सियस में इतनी कम नादें योगी सरकार के गौ सरंक्षण पर सवाल खड़ा करती हैं।
गौशाला में हड़कप मचा हुआ है और जिला प्रशासन से लेकर चिकित्सा प्रशासन भी डरा हुआ है। गौशाला का जो दरवाजा आमतौर पर खुला होता है लेकिन इस घटना के बाद दरवाजे को बंद कर दिया है और आने जाने में काफी पूछताछ हो रही है जो अपने आप में संदेह को पैदा कर रहा है। इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जमकर गौशाला के बाहर यूरी सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
गायों की मौत की खबर सुनते ही गौतमबुद्ध नगर के कांग्रेस कार्यकर्ता भी यहां पहुंचे तो उन्होंने योगी सरकार के किलाफ नारेबाजी की। इन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जनज्वार को बताया कि न ही अंदर हरे चारे की व्यवस्ता है और न ही चोकर की पर्याप्त व्यवस्था है। कई गायें तो ऐसी हैं जो भूसे के अंदर दबी हुई हैं और गौशाला के कर्मचारियों को इसकी खबर तक नहीं है, वे उन्हें मरा हुआ समझ रहे हैं जबकि वो जिंदा हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि योगी सरकार इंसानों से लेकर जानवरों में भी अपनी तानाशाही दिखा रही है। सरकार सुबह से लेकर शाम तक गौ संरक्षण की बात करती है लेकिन तस्वीर इससे इतर है। लगभग 600 करोड़ का बजट योगी सरकार ने पारित किया है लेकिन क्या उसका सही उपयोग हो रहा हैं।
'योगी सरकार कहती है कि गायों को सड़कों पर मत छोड़ों उन्हैं हमारी गौशाला में छोड़ दो लेकिन हिंदू समाज में गाय को पूजा जाता है। लेकिन गौशाला में तो गायों को जबरन बांध कर मारा जा रहा हैं। जो बहुत ही निंदनीय हैं। सरकार को प्रधिकरण के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।'
इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेस यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने अपने फेसबुक फोस्ट में लिखा, ''ग्रेटर नोएडा की सत्ता संचालित गौशाला में भूख प्यास से तड़प तड़प दम तोड़ती गौवंश की तस्वीर हृदय विदारक! गौवंश के नाम पर वोट मांगने वाली BJP ने सत्ता हासिल कर उन्हें सिर्फ छलने का महा पाप और अपराध किया है। गौवंश की मृत्यु के जिम्मेदार प्राधिकरण के लोगों पर हो कार्रवाई।''
वहीं कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाधी ने भाजपा पर तंज कसते हुए निशाना साधा- 'यूपी की गौशालाओं में ऐसे वीभत्स दृश्य अब आम हैं जो हमें झकझोरते हैं। अब इसकी तुलना कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना से करिए। पंचायत में गौठान की स्थापना, गौठान में 2 रु kg में गोबर खरीद, इससे जैविक खाद, दियों का निर्माण, खाद की 10 रु किलो में सरकारी खरीद। इन तमाम आरोपो के बाद सवाल उठ रहे है कि आखिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की गौशाला श्मशान घाट बन गई है। इस हालत का जिम्मेदार कौन?''