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Mulayam Singh Yadav Profile: अटल से मोदी तक नेताजी की चतुर चाल के रहे हैं मुरीद, ये रहा मुलायम सिंह यादव का पूरा 'सफर'

Janjwar Desk
10 Oct 2022 6:26 AM GMT
Mulayam Singh Yadav Profile: अटल से मोदी तक नेताजी की चतुर चाल के रहे हैं मुरीद, ये रहा मुलायम सिंह यादव का पूरा चिट्ठा
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Mulayam Singh Yadav Profile: अटल से मोदी तक नेताजी की चतुर चाल के रहे हैं मुरीद, ये रहा मुलायम सिंह यादव का पूरा 'चिट्ठा'

Mulayam Singh Yadav Profile: बता दें कि राजनीति की अपनी बड़ी लंबी पारी मे नेताजी ने बड़े उतार चढ़ाव देखे। उनका धरती पछाड़ दांव बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमाओं को धराशाई कर देता था। यही कारण रहा कि उनके पक्ष समेत विपक्ष तक के नेताओं से संबंध ठीक ही रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनकी राजनीतिक चालों के मुरीदों में गिने जाते हैं...

Mulayam Singh Yadav Profile : धरती पुत्र के नाम से विख्यात मुलायम सिंह यादव का आज 10 अक्टूबर 2022 की सुबह 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दुनिया से रूखसत लेन उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का आगामी 22 नवंबर क़ो 83वां जन्मदिन था, लेकिन उनकी आंखें हमेशा के लिए बंद हो गईं। पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे, जिसके चलते उन्हें गुरुग्राम मेदांता (Medanta Gurugram) में एडमिट कराया गया था। बता दें कि 2 अक्टूबर शाम उनकी तबियत कुछ अधिक बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया था।

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ। मुलायम सिंह यादव अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।

राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (MA) और बीटी (BT) करने के उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। मुलायम सिंह जी का काफ़ी लंबी बीमारी के कारण 10 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया

मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।

केंद्रीय राजनीति में कदम

केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। 'भारतीय जनता पार्टी' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

राजनीतिक विचार और विदेश यात्रा

मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं। लोकसभा सदस्य कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा 'कॉम डी सिमॉन' की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे। लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।

सदस्यता विधान परिषद : 1982-1985

विधान सभा : 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (8 बार)

विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद : 1982-1985

विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा : 1985-198

केंद्रीय कैबिनेट मंत्री

सहकारिता और पशुपालन मंत्री : 1977

रक्षा मंत्री : 1996-1998

भाजपा से दूरी अटल से मधुरता

मुलायम सिंह यादव मीडिया को कोई भी ऐसा मौका नहीं देते, जिससे कि उनके ऊपर 'भाजपा' के क़रीबी होने का आरोप लगे। जबकि राजनीतिक हलकों में यह बात मशहूर है कि अटल बिहारी वाजपेयी से उनके व्यक्तिगत रिश्ते बेहद मधुर थे। वर्ष 2003 में उन्होंने भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से ही प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। अब 2012 में उनका आकलन सच भी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश में 'समाजवादी पार्टी' को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है। 45 मुस्लिम विधायक उनके दल में हैं।

बता दें कि राजनीति की अपनी बड़ी लंबी पारी मे नेताजी ने बड़े उतार चढ़ाव देखे। उनका धरती पछाड़ दांव बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमाओं को धराशाई कर देता था। यही कारण रहा कि उनके पक्ष समेत विपक्ष तक के नेताओं से संबंध ठीक ही रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनकी राजनीतिक चालों के मुरीदों में गिने जाते हैं।

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