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उत्तर प्रदेश

मानवाधिकार आयोग ने आगरा में भूख से मौत मामले में योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में मांगा जवाब

Janjwar Desk
24 Aug 2020 5:49 PM GMT
मानवाधिकार आयोग ने आगरा में भूख से मौत मामले में योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में मांगा जवाब
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file photo of CM Yogi

पांच साल की एक बच्ची की पिछले दिनों भूख और बीमारी से मौत हो गई थी। कामबंदी के कारण उसके घर में भोजन का अभाव था। इस मामले में मीडिया में छपी खबरों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया...

जनज्वार। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आगरा में पांच साल की एक बच्ची की कथित रूप से भूख और बीमारी से मौत मामले में नोटिस जारी किया है। मानवाधिकार आयोग ने यह नोटिस मीडिया में इस संबंध में छपी खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जारी किया है। नोटिस जारी करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने योगी सरकार से जवाब तलब किया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने योगी सरकार को भेजे नोटिस में चार सप्ताह के अंदर प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार की सहायता व पुनर्वास में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।

आयोग ने उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव से यह उम्मीद जतायी है कि वह सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करेंगे ताकि इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो। मालूम हो कि मीडिया में यह खबर आयी थी कि परिवार के कमाने वाले सदस्य की टीबी बीमारी का शिकार होने की वजह से बच्ची को भोजन और इलाज नहीं मिल पाया और तीन दिन तक बुखार से ग्रस्त होने की वजह से शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।

आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाए गए जन कल्याणकारी कार्यक्रमों के बावजूद बच्ची की भूख और बीमारी से मौत हो गई।

इसमें कहा गया है कि लाॅकडाउन के कारण सरकार ने गरीबों, मजदूरों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। राज्य सरकार ने कई बयान दिए हैं कि वो गरीबों और जरूरतमंदों के भोजन, शेल्टर व रोजगार के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए मजदूरों और कामगारों के कानूनों पर काम कर रहे हैं, लेकिन यह दिल दहलाने वाली घटना अलग कहानी कहती है।

आयोग ने इसे स्थानीय प्रशासन द्वारा मानवाधिकारों की गंभीर लापरवाही का मामला करार दिया और कहा कि वह सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए व्यवस्थित रूप से काम करें।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बच्च्ी आगरा के बरोली अहिर ब्लाॅक के नगला विधिचंद गांव की थी और माता-पिता व बहन के साथ रहती थे। परिवार के पास एक महीने ेसे कोई काम नहीं था और कुछ सप्ताह से खाना मिलना भी मुश्किल हो रहा था। परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं था।

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