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DNA टेस्ट के बाद नीलम को मिला इंसाफ, 56 दिन बाद मां को नसीब हुआ उसका मासूम
Jharkhand News : 21 दिन की नवजात बच्ची के पेट से निकले 8 अविकसित भ्रूण, डॉक्टरों ने बताया अजूबा
Barabanki News : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के बाराबंकी ( Barabanki ) महिला जिला अस्पताल में करीब दो माह पूर्व एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन इसे संयोग कहें या बच्चों की अदला-बदली का विवाद ( infant dispute ), असली मां और नवजात को एक-दूसरे के प्यार से 56 दिनों तक वंचित रहना पड़ा, लेकिन इसका अंत सुखद रहा और डीएनए टेस्ट ( DNA Test ) के बाद बच्चे को असली मां यानि नीलम के हवाले कर दिया गया।
दरअसल, बारंबकी ( Barabanki ) जिला महिला अस्पताल में बच्चों की अदला बदली का यह विवाद उस सयम उठ खड़ा हुआ जब दो मां ने एक ही बच्चे पर अपना दावा ठोक दिया। विवाद की स्थिति इसलिए पैदा हुई कि दो महिला ने कुछ ही मिनट के अंतराल में अपने-अपने बच्चे को जन्म दिया था। इनमें से एक बच्चे ने कुछ समय बाद दम तोड़ दिया। जिस बच्चे ने दम तोड़ दिया उसकी मां हर्षिता यह मानने को तैयार नहीं थी कि उसका बेटा मर गया। परिणाम यह हुआ कि हर्षिता ने भी दूसरे बच्चे पर अपना होने का दावा ठोक दिया। दो मां के बीच का यह विवाद इतना गहरा गया कि जिला अस्पताल प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने डीएनए टेस्ट के जरिए इस मामले का निपटारा करने फैसला लिया।
दोनों का सैंपल लेकर टेस्ट के लिए लैबोरेटरी भेज दिया गया था। बाराबंकी में जिला महिला अस्पताल के एनआईसीयू वॉर्ड में भर्ती दो नवजात की कथित अदलाबदली पर कराए गए डीएनए परीक्षण की रिपोर्ट 56 दिन के बाद पुलिस को मिली। पुलिस ने रिपोर्ट न्यायालय बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत की। बच्चे की डीएनए रिपोर्ट जैदपुर क्षेत्र की प्रसूता नीलम से मिलान होने पर उसे बच्चा सौंप दिया गया। समिति की अध्यक्ष न्यायिक मजिस्ट्रेट बाला चतुर्वेदी, सदस्य रचना श्रीवास्तव, राजेश शुक्ला और दीपशिखा ने शुक्रवार को डीएनए रिपोर्ट और अस्पताल के अभिलेखों का परीक्षण कर नवजात को उसके वास्तविक पिता विक्रम और मां नीलम को सौंपे जाने के आदेश जारी किए। विक्रम व उसकी पत्नी जैदपुर के जियनपुर के निवासी हैं। आदेश की प्रति पिता व राजकीय बालगृह शिशु प्राग नारायन रोड लखनऊ को भी सौंपी गई है। नवजात के परिवार के लोगों के आदेश की प्रति मिलते ही हर्षोल्लास से चेहरे चमक गए।
बता दें कि यह घटना 27 जुलाई की है। फतेहपुर के बनीरोशनपुर के सत्येंद्र वर्मा की पत्नी हर्षिता ने बेटे को जन्म दिया था। कुछ दिक्कतों पर आशा कार्यकर्ता गीता ने बच्चे को एनआईसीयू में भर्ती कराया था। इस बीच रात 11 बजकर 15 मिनट पर जियनपुर जैदपुर के विक्रम अपने कुछ घंटे के नवजात को बेबी नीलम के रूप में पता दर्ज कराते हुए एनआईसीयू में भर्ती कराया था। इनमें से एक बच्चे की मौत गई थी। इसके बाद जीवित बच्चे पर दोनों पक्ष अपनी दावेदारी कर रहे थे। जिस पर माता.पिता व बच्चे के डीएनए जांच कराई गई थी।
हर्षिता के पति हो गए थे बेहोश
सीएमएस महिला अस्पताल डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के मुताबिक हर्षिता के पहले दो बच्चे गर्भ में ही मर गए थे। पहला गर्भ समापन फतेहपुर में कराया गया था। दूसरे का डेढ़ साल पहले नगर के शगुन हास्पिटल में कराने की हिस्ट्री मिली थी। तीसरे बच्चे की मृत्यु पर यह दंपति अवसाद में आ गए थे। डीएनए परीक्षण ( DNA test ) रिपोर्ट को जानने के लिए यह दंपति अक्सर अस्पताल आते थे। दावेदार विक्रम व उसकी पत्नी नीलम भी डीएनए के रिजल्ट के परिणाम को उत्सुक थे।