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उत्तर प्रदेश

Pilibhit News : यूपी में साइबर ठगों के निशाने पर वकील, जेल स्टाफ बनकर करते हैं कॉल, पीलीभीत में ठगी

Janjwar Desk
30 Sep 2022 4:51 PM GMT
Pilibhit News : यूपी में साइबर ठगों के निशाने पर वकील, जेल स्टाफ बनकर करते हैं कॉल, पीलीभीत में ठगी
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( ठगी के शिकार अधिवक्ता अंशुल गौरव सिंह)

Pilibhit News : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अधिवक्ता (Advocate) हो जाएं सावधान, अगर उनके पास फोन कॉल करने वाला खुद को जिला कारागार (District Jail) से कॉल करना बताता है। नहीं तो आप हो जाएंगे ठगी के शिकार। उत्तर प्रदेश में अब अधिवक्ता साइबर ठगों (Cyber thugs) के निशाने पर हैं।
पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट

Pilibhit News : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अधिवक्ता (Advocate) हो जाएं सावधान, अगर उनके पास फोन कॉल करने वाला खुद को जिला कारागार (District Jail) से कॉल करना बताता है। नहीं तो आप हो जाएंगे ठगी के शिकार। उत्तर प्रदेश में अब अधिवक्ता साइबर ठगों (Cyber thugs) के निशाने पर हैं। साइबर अपराधियों ने ठगी का बिल्कुल एक नया तरीका ईजाद किया है। पीलीभीत (Pilibhit)के एक अधिवक्ता को साइबर ठग ने स्वयं को कारागार का स्टाफ बताते हुए जेल में बंद उनके मुवक्किल के पैर में फ्रैक्चर हो जाना बताकर ब्लड की उपलब्धता के लिए पैसों की डिमांड करते हुए 3,420 रुपए ऑनलाइन ठग लिए। कुछ अन्य अधिवक्ताओं के पास भी इस तरह के फोन कॉल आए हैं। ठगी के शिकार अधिवक्ता ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत (Complaint) की है।

साइबर ठगी के शिकार हुए आवास विकास कॉलोनी निवासी अधिवक्ता अंशुल गौरव सिंह (Anshul Gaurav Singh) शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार प्रभु से मिले। अधिवक्ता ने एसपी को दिए शिकायती प्रार्थना पत्र में कहा कि 29 सितंबर 2022 को समय करीब 6:13 पर मोबाइल नंबर 9412585643 पर मोबाइल नंबर 7302275550 से एक फोन कॉल आया और उसके द्वारा अपना नाम राजीव सैनी बंदी रक्षक जिला कारागार पीलीभीत होना बताया गया। उसके द्वारा यह कहा गया कि आपका मुवक्किल जो हाल ही में जिला कारागार में बंद हुआ है, उसका बैरक में फिसलने से पैर टूट गया है और उसके सिर में भी काफी गंभीर चोट आई है, जिस कारण उसका काफी खून बह गया है।


शिकायती पत्र के अनुसार अधिवक्ता अंशुल ने फोन करने वाले को बताया कि मेरा मुवक्किल वीरपाल पुत्र श्यामलाल गंगवार अभी 4 दिन पहले पूर्व जिला कारागार पीलीभीत में बंद हुआ है। उसकी पैरोकारी में उसके मित्र ही सहयोग कर रहे हैं। एक उसकी भाभी जो उससे बंद होने के बाद जेल में मिलने आई थी। उनके अलावा और कोई व्यक्ति मेरे संपर्क में नहीं है। इस बात पर राजीव सैनी द्वारा यह कहा गया कि आप उसके परिवार से मेरी बात करा दें या मुवक्किल का काफी खून बह जाने के कारण आप तत्काल खून की व्यवस्था करें, क्योंकि कारागार के अस्पताल में तो इलाज की सारी व्यवस्था है लेकिन आपको खून खरीद कर ही देना पड़ेगा, इसलिए उस बंदी के परिवार वालों को मेरा मोबाइल नंबर दे दो या दिए गए क्यूआर कोड पर खून खरीद कर लाने के लिए 3, 420 रुपए अमेजॉन के यूपीआई अकाउंट के इसी नंबर पर ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें। फोन करने वाले ने यह भी कहा कि हरपाल सिंह रावत की ब्लड बैंक में आपके बंदी के ब्लड का ग्रुप का खून उपलब्ध है और आपके बंदी को तत्काल खून की जरूरत है। वरना आपके मुवक्किल की जान को खतरा है। अंशुल गौरव सिंह का कहना है कि मैं अपने मुवक्किल के प्रति सहानुभूति के चलते ठगी का शिकार हो गया। पैसे ट्रांसफर करने के बाद उसके दोनों व्हाट्सएप कॉलिंग नंबर बंद आ रहे। आगे दिए गए मोबाइल नंबरों पर संपर्क करने पर मोबाइल नंबरों पर संपर्क नहीं हो सका। अधिवक्ता ने बताया कि शक होने पर जब जिला कारागार के जेलर संजय कुमार राय से इस घटना के संबंध में संपर्क किया तो इस तरीके की कोई घटना जिला कारागार में घटित होना नहीं बताया गया। जेलर ने बताया कि इस तरह के फर्जी फोन कॉल तीन-चार दिनों से बहुत आ रहे है। उनके पास भी शिकायत आई है। वह एसपी से इस प्रकरण में शिकायत कर साइबर ठगी करने वालों को गिरफ्तार किए जाने को लेकर बात करेंगे।


यह है साइबर ठग का नंबर

व्हाट्सएप नंबर 917 0780 1650

अमेजॉन अकाउंट एएमजेडएन 0014338615@एपीएल एक्सिस बैंक

शिकार होने से बचे अधिवक्ता परवेज

बीते एक दिन पहले इसी तरह का कॉल एक और अधिवक्ता परवेज के मोबाइल नंबर पर आया, जिसमें साइबर ठग द्वारा यह कहा गया कि उनका मुवक्किल जिला कारागार में बंद है, उसको हार्ट अटैक आया है। उसकी तबीयत काफी गंभीर है। उसके परिवार के लोगों से बात कराइए। हालांकि वह अधिवक्ता ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बच गए।

झांसे में नहीं आए अधिवक्ता अमित

अधिवक्ता अमित कुमार के पास में एक फोन कॉल पहुंचा। फोन करने वाले ने खुद को जिला कारागार का आरक्षी राजीव सैनी बताया। उनके जिला कारागार में बंद मुवक्किल पवन वर्मा का नाम लेकर उसका जिला कारागार की ऊपर की बैरक में पैर फिसलने से फ्रैक्चर होना बताकर तत्काल उसके परिजनों से बात करवाने को कहा लेकिन कुछ देर बाद ही अमित कुमार को आभास हो गया कि फोन करने वाला कोई ठग है।

साइबर सेल को सौंपी जांच : एसपी

पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार प्रभु ने बताया कि अधिवक्ताओं के पास फोन आए हैं कि उनके जेल में बंद मुवक्किल के चोट लग गई है। ब्लड की जरूरत है। ब्लड मंगवाने के लिए पैसों की डिमांड की है। इस मामले में साइबर क्राइम सेल को निर्देश दिए गए हैं कि तत्काल इस मामले में पीड़ित की तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज करें और ठगी करने वाले का पता लगा कर उसको गिरफ्तार करें। ऐसा लगता है कि साइबर ठग के पास जिला कारागार का अपडेट डाटा है।


कारागार प्रशासन ने दी सफाई

पीलीभीत जिला कारागार प्रशासन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि जेलर को कारागार में निरूद्ध बंदियों के परिजनों तथा बंदियों के वादों की पैरवी कर्ता अधिवक्तागण के माध्यम से यह ज्ञात हुआ है कि कुछ संदिग्ध/अराजक तत्व के द्वारा बंदियों के परिजनों एंव उनके अधिवक्ताओ को अलग-अलग मोबाइल/दूरभाष संख्या से कारागार के कर्मी बनकर पैसे की मॉग की जा रही है। संदिग्ध व्यक्ति/अराजक द्वारा बंदी के कारागार से गम्भीर रूप से बीमार होने अथवा घायल होने पर उसके उपचार हेतु पैसा माँगा जा रहा हैै। जो सर्वथा आपराधिक कृत्य है। कारागार प्रशासन द्वारा प्रकरण को अत्यंत संवेदनशील एंव गम्भीर मानते हुए प्रकरण की सम्यक जाँच हेतु अपेक्षित कार्यवाही की जा रही है। कारागार में निरूद्ध बंदियों को बीमार होने अथवा चोट लगने पर उनका शासकीय खर्च पर निःशुल्क इलाज कराया जाता है, जिसके लिए कारागार में किसी भी कर्मचारी द्वारा किसी पैसे की माँग नहीं की जाती हैै। प्रत्येक बंदी के को सुरक्षित न्यायिक अभिरेक्षा में रखा जा रहा है तथा पल प्रतिपल बंदियों की समस्याओं का समाधान किया जाता है। सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि कारागार में निरुद्ध किसी बंदी के गंभीर रूप से बीमार होने/चोटिल होने के निमित्त उसके उपचार पर व्यय हेतु किसी भी व्यक्ति को पैसा न दिया जाये और यदि कोई अनजान व्यक्ति आपके मोबाइल पर ऐसा कृत्य करने को गुमराह/बाध्य करता है तो तत्काल कारागार के दूरभाष संख्या-05882-255360 जो सदैव संचालित रहता है (24ग7) पर सूचना उपलब्ध करा सकते हैं तथा ऐसे मोबाइल नम्बर को पुलिस एवं कारागार विभाग को भी सूचित करें ताकि किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय स्थिति होने पर सम्बन्धित अपचारी व्यक्ति के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जा सके।

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