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उत्तर प्रदेश

Pilibhit News : पैसे के लिए एसएस हॉस्पिटल ने लाश को बंधक बनाया, तीमारदारों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा

Janjwar Desk
10 Jan 2022 10:37 AM IST
Pilibhit News : पैसे के लिए एसएस हॉस्पिटल ने लाश को बंधक बनाया, तीमारदारों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा
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रॉड से तीमारदारों पर हमला करता एसएस हॉस्पिटल स्टाफ।

Pilibhit News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद पीलीभीत में शहर के नामचीन नर्सिंग होम एसएस हॉस्पिटल (SS Hospital) में इलाज में लापरवाही के चलते एक किशोर की मौत हो गई। लाश मांगने पर 35,000 पहले ही ले चुके हॉस्पिटल प्रबंधन ने 50,000 रुपये का और बिल पकड़ा दिया।

पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट

Pilibhit News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद पीलीभीत में शहर के नामचीन नर्सिंग होम एसएस हॉस्पिटल (SS Hospital) में इलाज में लापरवाही के चलते एक किशोर की मौत हो गई। लाश मांगने पर 35,000 पहले ही ले चुके हॉस्पिटल प्रबंधन ने 50,000 रुपये का और बिल पकड़ा दिया। लंबा चौड़ा बिल देने में असमर्थता व्यक्त करने पर हॉस्पिटल प्रबंधन ने लाश (Dead Body) को बंधक बना लिया, जिस पर भड़के तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया तो हॉस्पिटल का स्टाफ लोहे की लंबी-लंबी रॉड लेकर हमलावर हो गया।


हॉस्पिटल संचालक डॉ. एसके अग्रवाल (DR. SK AGARWAL) का आदेश मिलते ही उनके स्टाफ में मृतक के परिजनों और रिश्तेदारों को घेरकर सड़क पर दौड़ा दौड़ाकर पीटा। गांधी स्टेडियम रोड पर स्थित एसएस हॉस्पिटल के बाहर जाम लग गया। महिलाओं को पकड़कर जमीन पर पटककर पीटा गया। सूचना मिलने पर जब मौके पर पुलिस पहुंची तो हमलावर स्टॉफ़ तितर-बितर हो गया। बमुश्किल पुलिस के दखल देने पर लाश परिजनों को सौंपी गई। इस मामले में मृतक के परिजनों ने कोतवाली में डॉ. एसके अग्रवाल और उनके हॉस्पिटल स्टाफ के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज किए जाने के लिए तहरीर दी है। कोतवाल हरीश वर्धन सिंह ने बताया कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने भी मरीज के परिजनों के विरुद्ध हॉस्पिटल में हंगामा करने, तोड़फोड़ करने और स्टाफ से मारपीट करने के बाबत तहरीर दी है। दोनों तहरीर पर जांच की जा रही है।


क्या है पूरा मामला

तहरीर में जहानाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम मिल्क सरैंदा पट्टी निवासी जगदीश कुमार उर्फ जोगिंदर सिंह ने कहा कि 8 जनवरी को पीलीभीत नगर के डॉ. एसके अग्रवाल के एसएस हॉस्पिटल में अपना मरीज राजकुमार (17) को सुबह लगभग 11 बजे भर्ती कराया था, तब अस्पताल में 35 हजार रुपया जमा किया था। तहरीर में आरोप लगाया गया कि पैसा जमा करने के बाद भी इलाज में लापरवाही बरती गई जिसके परिणाम स्वरूप मरीज राजकुमार की मृत्यु अपराहन 3 बजे हो गई। अब अस्पताल वाले 50 हजार और मांग रहे हैं। जब रुपए ना होने का हवाला दिया तो स्टाफ ने डेड बॉडी देने से मना कर दिया। तहरीर में कहा गया कि जब मृतक के परिजनों और रिश्तेदारों ने विरोध किया तो एसएस हॉस्पिटल के स्टाफ के लोगों ने एक राय होकर हॉस्पिटल संचालक डॉ. एसके अग्रवाल के इशारे पर मरीज के परिजनों-रिश्तेदारों को जमकर पीटा और महिलाओं को भी नहीं बख्शा। तहरीर में जगदीश कुमार उर्फ जोगिंदर सिंह ने कहा कि स्टॉफ़ के मारपीट करने से उनके और परिजनों के शरीर पर काफी गुम चोटें आई हैं।

ढाई साल पहले भी लापरवाही से मरा था मजदूर

29 मई 2019 को गांधी स्टेडियम रोड स्थित एसएस हॉस्पिटल में घायल राजमिस्त्री बरहा गांव निवासी 35 वर्षीय छोटेलाल की मौत हो गई थी। डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए परिजनों ने हंगामा किया था। इस मामले में एसएस हॉस्पिटल के डॉक्टर एसके अग्रवाल के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी। तब भी डॉक्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा था।कहा गया था कि एसएस हॉस्पिटल में कोई भी न्यूरो सर्जन नहीं था जबकि मरीज के सर में चोट लगी थी, जिसका इलाज न्यूरो सर्जन द्वारा किया जाना था।

वर्ष 2017 में डॉ. प्रांजल पर दर्ज हो चुका मुकदमा

माह जुलाई 2017 में कोतवाली पुलिस ने एसएस हॉस्पिटल की संचालक डॉ. एसके अग्रवाल के बेटे कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रांजल अग्रवाल के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। उस समय दर्ज मुकदमे में सुनगढ़ी थाना क्षेत्र के बरहा कॉलोनी निवासी देवेंद्र कुमार रस्तोगी ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया था कि 16 जून 2017 को एसएस हॉस्पिटल में अपनी पुत्रवधू को लेकर पहुंचे थे। हॉस्पिटल में कर्मचारियों को बताया कि पुत्रवधू चार माह के गर्भ से है। डॉ. नेहा अग्रवाल से मिलकर ही इलाज शुरू कराना है। स्वास्थ्यकर्मी ने उनकी बातों को दरकिनार करते हुए खुद इलाज शुरू कर दिया था। पंद्रह मिनट बाद परेशानी बढ़ी तो भी डॉक्टर को बुलाने पर जोर दिया गया, जिसकी फिर से अनदेखी की गई थी। लिहाजा पेट में पल रहा बच्चा खराब हो गया था। जिसके बाद भी स्वास्थ्यकर्मी ने डॉ. नेहा को नहीं बुलाया था। अलबत्ता पहले अल्ट्रासाउंड फिर ब्लड की जांच कराने के बाद दवा दे दी थी। डॉ. नेहा से नहीं मिलवाने पर मरीज को डिस्चार्ज करने को कहा तो बिल पकड़ा दिया गया था, जिसमें डॉ. प्रांजल का नाम अंकित था। विरोध जताने पर डॉ. नेहा के नाम की दूसरी पर्ची दे दी गई थी। हो-हल्ला के बीच प्रांजल पहुंचे तो परेशानी समझने के बजाए अभद्र व्यवहार करते हुए अस्पतालकर्मियों से धक्का देकर बाहर निकलवाने का फरमान सुना दिया था। परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने उस समय भी डॉ. प्रांजल अग्रवाल का गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी।

अवैध खून के कारोबार से भी चर्चित है हॉस्पिटल

एसएस हॉस्पिटल अवैध रूप से बच्चों और किशोरों का खून निकालकर काला कारोबार करने के लिए भी चर्चित है। माह जुलाई 2017 में पीलीभीत पुलिस ने एक व्यक्ति को रंगे हाथों नाबालिग लड़के का खून निकालते पकड़ कर पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया था। यह गिरोह नाबालिग बच्चों को बरगला कर और उन्हें पैसों का लालच देकर खून निकालता था, फिर उसे मोटी कीमत पर अस्पतालों में बेचता था। तब पुलिस को सूचना मिली थी कि कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला शेर मोहम्मद में एक मकान में अवैध रूप से कुछ लोग खून निकालने का कारोबार करते है। इस समय भी दो नाबालिग बच्चों का खून निकालने की तैयारी है। उस समय छापेमारी के दौरान जाकिर को गिरफ्तार किया गया था। बाद में जाकिर की निशानदेही पर हरिशंकर, सरवन, हरचरन सिंह गौतम, कमल कुमार, राजेश कुमार को पीलीभीत पुलिस ने गिरफ्तार किया था।पूछताछ में सामने आया था कि जिसका खून निकाला जा रहा था, उससे 500 रुपए में लेकर एसएस हॉस्पिटल में 1000 रुपए में बेचा जाता था। एसएस हॉस्पिटल मरीजों को खून के लिए हजारों रुपए ऐंठते थे। एसएस हास्पिटल संचालक डॉ. एस के अग्रवाल एवं अन्य अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों के खिलाफ अपराध संख्या 330/17, 18/27 में मुकदमा दर्ज किया गया था।

बरेली के अस्पतालों को बेचे जाते हैं मरीज

कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने स्टिंग करके एसएस हॉस्पिटल से बरेली के रामकिशोर हॉस्पिटल को मरीज बेचने का भंडाफोड़ किया था। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग जांच कर रहा है। दरअसल जिला अस्पताल से एक लंबे अरसे से बरेली के निजी अस्पतालों से सांठगांठ करके मरीजों को गंभीर स्थिति बताकर हायर सेंटर रेफर करने के नाम पर एंबुलेंस चालकों के जरिए बेचने का मामला मीडिया की सुर्खियां बना था। उसके बाद जिला अस्पताल के मरीजों को बरेली ना भेज कर एसएस हॉस्पिटल में भेजा जाने लगा और एसएस हॉस्पिटल अपने यहां से बरेली के रामकिशोर हॉस्पिटल मरीज भेजने लगा। इस मामले की शिकायत होने पर स्वास्थ्य महकमा जांच कर रहा है।

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